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निर्वाचन आयोग कार्यालय के बाहर तृणमूल नेताओं का धरना शाहजहां शेख को बचाने की कोशिश: भाजपा का आरोप

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को यहां निर्वाचन आयोग के कार्यालय के बाहर तृणमूल कांग्रेस के...
निर्वाचन आयोग कार्यालय के बाहर तृणमूल नेताओं का धरना शाहजहां शेख को बचाने की कोशिश: भाजपा का आरोप

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को यहां निर्वाचन आयोग के कार्यालय के बाहर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के धरने को ‘चुनावी हथकंडा’ करार दिया और आरोप लगाया कि ममता बनर्जी नीत पार्टी संदेशखालि मामले के मुख्य आरोपी शाहजहां शेख को बचाने का हरसंभव प्रयास कर रही है।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने पत्रकारों से कहा, ”तृणमूल कांग्रेस के नेता भारत के संविधान और लोकतंत्र की परवाह नहीं करते हैं। अगर किसी ने संविधान, संवैधानिक संस्थाओं और लोकतंत्र का अपमान किया है तो वह तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं। वे शाहजहां शेख को बचाने के लिए नौटंकी कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि तृणमूल नेताओं का प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में अपनी हार को भांप चुके पार्टी की हताशा को दिखाता है।

पश्चिम बंगाल के संदेशखालि में यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने से जुड़े कथित मामलों में मुख्य आरोपी शेख को फरवरी में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर हमले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। ईडी के दल ने राशन वितरण घोटाला मामले की जांच के तहत पांच जनवरी को क्षेत्र में छापा मारा था।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग के प्रमुखों को बदलने की मांग को लेकर निर्वाचन आयोग कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेताओं को दिल्ली पुलिस ने सोमवार को हिरासत में ले लिया।

तृणमूल कांग्रेस का 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल निर्वाचन आयोग की पूर्ण पीठ से मिलने के बाद आयोग के कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गया। उन्होंने आयोग से लोकसभा चुनावों में समान अवसर सुनिश्चित करने और विपक्षी दलों और नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के ‘दुरुपयोग’ को रोकने का आग्रह किया।

बनर्जी पर निशाना साधते हुए सिंह ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में पूरी तरह से अराजकता है लेकिन तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री केवल शेख की ‘रक्षा और बचाव’ के बारे में चिंतित हैं।

उन्होंने कहा, ”पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। सबसे ज्यादा राजनीतिक हत्याएं पश्चिम बंगाल में हुई हैं। ममता बनर्जी का संविधान में कभी विश्वास नहीं रहा। वह केवल शाहजहां शेख पर भरोसा करती हैं।’

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