खुद के नाम पर माइनिंग लीज को लेकर विधायकी पर संकट के बीच झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के आक्रामक होने के बाद भाजपा बैकफुट पर है। अब भाजपा नये सिरे से अपने वोट बैंक बढ़ाने और हेमन्त सोरेन को घेरने में जुटी है। इसी सप्ताह पांच हजार से अधिक पंचायत प्रतिनिधियों को सम्मानित करना, नगर निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण न देने पर विरोध प्रदर्शन और आंदोलन का एलान, हेमन्त सरकार पर भ्रष्टाचार का पुलिंदा जारी करते हुए उनकी विफलताओं को लेकर चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा उसी का हिस्सा हैं।
खुद के नाम माइनिंग लीज लेने को लेकर भाजपा ने राज्यपाल से शिकायत कर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने का आग्रह किया था। राज्यपाल ने चुनाव आयोग को अग्रसारित किया। बीते अगस्त के अंतिम सप्ताह में चुनाव आयोग का मंतव्य भी राजभवन पहुंच गया। उसके बाद जो झारखंड में राजनीतिक ड्रामा हुआ देश जानता है। यहां के अखबारों में हेमन्त सोरेन की विधायकी खत्म होने की खबर लीड बनी, सोशल मीडिया में खबरें खूब चलती रहीं। उस समय की खबरों के अनुसार हेमन्त सोरेन की सदस्यता समाप्त की जा चुकी है। मगर ठोस आधार के अभाव में इस मसले पर आक्रामक रही भाजपा को खामोश हो जाना पड़ा तो राज्यपाल को भी मुंह पर ताला लगा लेना पड़ा। आज तक आधिकारिक तौर पर यह भी स्पष्ट नहीं हुआ कि चुनाव आयोग का मंतव्य क्या था। राजभवन की इस मुद्दे पर खामोशी से राज्यपाल की भी भद पिटी। राजभवन की खामोशी पर भी हेमन्त सोरेन को आक्रमण का मौका मिला। यूपीए विधायक चुनाव आयोग के मंतव्य और राज्यपाल का फैसला जानने राजभवन पहुंच गये तो आयोग का पत्र लेने खुद हेमन्त सोरेन भी राजभवन गये, सूचना के अधिकार के तहत भी जानकारी मांगी गई।
राजभवन की खामोशी पर तल्खी जाहिर की कहा कि मैं दोषी हूं जो सजा सुनाई जाये। बहरहाल उस दौर के संकट को देखते हुए हेमन्त सोरेन रेस हो गये पुरानी पेंशन योजना, 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता, पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण, नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विस्तार पर विराम(तीन दशक से आदिवासी, मूलवासी इसे लेकर संघर्षरत थे), सर्वजन पेंशन, आदिवासी, अल्पसंख्यकों के हितों से जुड़े अनेक नीतिगत बड़े फैसले कर लिये। सामन्य स्थिति में पूरे कार्यकाल में इन फैसलों को करना आसान नहीं था। इन फैसलों के बाद भी हेमन्त रुके नहीं 'आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार' कार्यक्रम के तहत जिलों में भ्रमण कर रहे हैं मानों जिला स्तर पर सम्मेलन कर रहे हों। इस ताजा अभियान में 12 लाख से अधिक लोगों से उनकी समस्याओं को लेकर आवेदन लिये गये और पांच लाख से अधिक आवेदनों का निबटारा हुआ तो हर जिले में कई सौ करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन और परिसम्पत्ति का वितरण कर रहे हैं। यह जनता से सीधे कनेक्ट होने का मामला है। अंजाद कुछ इस तरह कि चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार हों। अपनी सभाओं में हेमन्त यह भी कहना नहीं भूलते कि केंद्र से बकाया 1.36 लाख करोड़ देने का आग्रह किया तो हमारे पीछे ईडी, सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों लगा दी गईं। हेमन्त सोरेन की ताजा आक्रामक चाल से भाजपा में बेचैनी है। पिछले विधानसभा चुनाव में 81 सदस्यीय विधानसभा में 25 सीटों पर सिमट गई तो अनुसूचित नजाति के लिए आरक्षित 28 सीटों में से महज दो पर संतोष करना पड़ा। ग्रामीण इलाकों के साथ आदिवासी बहुल इलाकों में भी भाजपा पिछड़ गई। विधानसभा की चार सीटों पर उप चुनाव में भी भाजपा को कुछ हाथ नहीं लगा। अब पार्टी की नजर 2024 के चुनाव पर है। पार्टी अपना परफॉर्मेंस सुधारने और हेमन्त सरकार को घेरेने में जुटी है। झारखंड में पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं हुए मगर ग्रामीण इलाकों में अपनी पैठ बनाने और बढ़ाने के लिए रांची में 18 अक्टूबर को भव्य समारोह का आयोजन कर पांच हजार से अधिक निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को सम्मानित किया। बताया कि ये भाजपा के लोग हैं। इसका आधार क्या है यह भाजपा ही बेहतर बता सकती है। गांव-गांव में संपर्क कर लोगों को जुटाया गया। देश में भाजपा की ओर से इस तरह पंचायत के जन प्रतिनिधियों को सम्मानित करने का पहला कार्यक्रम था। समारोह किया। केंद्रीय पंचायती राज मंत्री भी आये और हेमन्त सरकार पर हमलावर रहे। भाजपा नेताओं ने कहा कि हेमन्त सरकार को घेरा कि केंद्र से मिलने वाले मिलने वाली राशि का इस्तेमाल नहीं कर रही। यहां की सरकार ने प्रोपर्टी कार्ड योजना को फेल कर दिया। ड्रोन से जमीन का सर्वे होता लोगों को प्रोपर्टी कार्ड जारी किया जाता। लोगों को इसका फायदा मिलता। मगर हेमन्त सोरेन की सरकार ने इसे जनता के खिलाफ बताया। भाजपा पंचायत प्रतिनिधियों को सम्मानित कर ग्रामीण इलाकों में अपनी पैठ बढ़ाने की तैयारी में है। हेमन्त सरकार ने पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला किया।
प्रदेश में 50 प्रतिशत से अधिक ओबीसी की आबादी है। ऐसे में यह वोट से जुड़ा मामला है। इसमें पिछड़ती भाजपा ने निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण नहीं मिलने को मुद्दा बना उनमें पैठ बनाना चाहती है। 20 अक्टूबर को भाजपा ने राजभवन के सामने विशाल धरना किया। कहा राज् सरकार पिछड़ा विरोधी है। ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में हेमन्त को घेरेने में अब तक पिछड़ रही भाजपा भ्रष्टाचार और सरकार की विफलता के मुद्दे पर हेमन्त सोरेन और उनकी सरकार को नये सिरे से घेरने की तैयारी कर रही है। ईडी और सीबीआई के हाल के ऑपरेशन के हेमन्त के करीबी लोगों, अधिकारियों, वित्तीय प्रबंधकों की नकेल कसी गई है। अदालतों में मामले चल रहे हैं, जांच जारी है। पंचायत प्रतिनिधियों के सम्मान समारोह में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हेमन्त सोरेन के कुनबे पर आक्रमण के बाद अगले दिन यानी 19 अक्टूबर को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा ग्रामीण इलाकों में जाकर अब नये तेवर में, नये कलेवर से काम करेगी। राज्य में सत्ता के संरक्षण में भ्रष्टाचार का सिलसिला कायम है।
ग्रामीण इलाकों से लेकर मुख्यालय में बैठे बड़े नौकरशाह तक को भ्रष्टाचार पर सत्ता धारी दल का समर्थन है। अवैध माइनिंग, जमीन लूट का सिलसिला चरम पर है। हेमन्त सरकार के भ्रष्टाचार, विफलताओं को लेकर 7 से 13 नवंबर तक प्रखंड मुख्यालयों और 19 से 23 नवंबर तक जिला मुख्यालयों में भाजपा ने प्रदर्शन किया जायेगा। चार हजार से अधिक पंचायतों और 32 हजार से अधिक गांव में प्रदर्शन होंगे। देखना यह है कि आक्रामक हुए हेमन्त के काउंटर में भाजपा का आक्रमण कितना कारगर साबित होता है। वोट में कितना बदलता है।