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आयकर छापे: सिंधिया समर्थकों के नाम आने से बढ़ी शिवराज की मुश्किलें, मंत्रियों से इस्तीफा लेने का दबाव

आयकर छापों के बाद आई सीबीडीटी रिपोर्ट ने शिवराज सिंह की मुश्किलें बढ़ा दी है। इससे कांग्रेस और भाजपा...
आयकर छापे: सिंधिया समर्थकों के नाम आने से बढ़ी शिवराज की मुश्किलें, मंत्रियों से इस्तीफा लेने का दबाव

आयकर छापों के बाद आई सीबीडीटी रिपोर्ट ने शिवराज सिंह की मुश्किलें बढ़ा दी है। इससे कांग्रेस और भाजपा में उनके विरोधियों दोनों को उन पर हमले करने का मौका मिल गया है। कांग्रेस तो आगे बढ़ कर रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही करने की मांग कर रही है किन्तु सरकार कुछ करने की स्थिति में नहीं दिख रही है। शिवराज सिंह पूरी तरह से बैकफुट पर नजर आ रहे है।

रिपोर्ट की खबर  सामने आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पलटवार किया और वर्ष2013 के आयकर छापों के दौरान मिले दस्तावेजों को सार्वजिक  किया । उनमें उल्लेख है कि उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के लिए पैसों का लेने-देने हुआ। उसमें शिवराज सिंह के वर्तमान ओएसडी नीरज वशिष्ठ का नाम भी  था। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अलावा उस समय की कांग्रेस सरकार के पचास से ज्यादा विधायक और कई मंत्रियों के नाम शामिल है।  आज उनमें से ग्यारह विधायक और दो मंत्री भाजपा में है। ये सभी सिंधिया समर्थक विधायक थे जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गये थे।

इस पूरे घटनाक्रम से शिवराज सिंह बैकफुट पर आ गये है। कांग्रेस के हमलों के साथ ही उनकी पार्टी में उनके विरोधी सक्रिय हो गये है। पार्टी की ओर से शिवराज सिंह पर दबाव बनाया जा रहा है कि जिन सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने नाम रिपोर्ट में आये है उनसे स्तीफा लिया जाये।  शिवराज सिंह ऐसा नहीं करना चाह रहे है क्योंकि इससे सिंधिया की नाराजगी झेलनी पड़ेगी। शिवराज के विरोधियों ने पार्टी के अंदर ही उनके स्तीफे के मांग उठानी शुरू कर दी है।
ऐसी स्थिति में राज्य सरकार के हाथ पूरी तरह से बंध गये है।  पहले राज्य सरकार रिपोर्ट के आधार पर कुछ अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने जा रही थी किन्तु दिग्विजय सिंह के खुलासे और रिपोर्ट में  सिंधिया समर्थकों के नाम होने से सारी कार्यवाही रोक दी गई है।  राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जो रिपोर्ट सरकार के पास आई है, उसमें कांग्रेस के साथ भाजपा के लोगों के भी नाम भी हैं और इसी के चलते शिवराज सरकार बैकफुट पर है।  इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार आगे बढ़ती है तो उसके लोगों पर भी आंच आ सकती है, लिहाजा असमंजस बना हुआ है।  इसकी संभावना काफी कम है कि राज्य सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर आगे कुछ भी करेगी।

 

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