कई दिनों से प्रधानमंत्री को लेकर एक बात लोगों के बीच तैर रही थी कि उन्होंने गाजा में बमबारी रुकवाने के लिए इजरायली प्रधानमंत्री से बात की थी या नहीं। इसको लेकर खुद प्रधानमंत्री मोदी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि उन्होंने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सरकार से आग्रह किया था कि रमजान जैसे पावन महीने में गाजा पर बमबारी ना करें।
आज तक चैनल को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने कहा, "रमजान के महीने के दौरान, मैंने अपने विशेष दूत को प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मिलने और यह समझाने के लिए इज़रायल भेजा कि उन्हें रमजान के दौरान गाजा में बमबारी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने इसका पालन करने के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन आखिरी में, 2-3 दिनों तक झगड़ा चलता रहा।” प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि वो इन बातों की पब्लिसिटी नहीं करना चाहते हैं लेकिन फिर भी भारत के लोग उन्हें मुसलमानों के मामलों को लेकर घेरते रहते हैं।
बता दें कि पिछले साल, 7 अक्टूबर को साउथ इज़राइल पर हमास के आतंकवादियों के हमले के बाद गाजा में युद्ध छिड़ गया, जिसके परिणामस्वरूप 1,170 से अधिक लोग मारे गए थे। उन लोगों में ज्यादातर आम नागरिक थे। हमास शासित गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायल की सैन्य जवाबी कार्रवाई में कम से कम 35,233 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा था कि जब तक हमास खत्म नहीं हो जाता तब तक हमला जारी रहेगा।
इंटरव्यू के दौरान प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने दोनों देश, इजरायल और फिलिस्तीन का अकेले दौरा किया। पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने पिछली सरकारों के विपरीत कार्य किया, जो धर्मनिरपेक्षता का दिखावा करती थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “पहले एक फैशन चलता था कि अगर कोई इजरायल जा रहा है तो उसका फिलिस्तीन जाना जरूरी होता था। लेकिन मैंने ऐसा करने से इंकार किया।” वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के सवाल पर भी जवाब देते हुए बताया कि आखिर वो प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं करते। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “पहले कम्यूनिकेशन का एक ही सोर्स था, लेकिन आज बहुत सारे हैं। आज जनता भी लोगों की आवाज बनकर सामने आती है। आज बिना मीडिया के कोई भी व्यक्ति जवाब दे सकता है।”