महाराष्ट्र के बारामती से नव-निर्वाचित सांसद सुप्रिया सुले ने केंद्र सरकार पर संसद भवन परिसर से छत्रपति शिवाजी महाराज, बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर और महात्मा गांधी की प्रतिमाओं को हटाकर भारत के नागरिकों का अपमान करने का आरोप लगाया है।
लोकसभा सचिवालय ने बताया कि था कि देश के महापुरुषों की प्रतिमाओं को संसद भवन परिसर के एक भव्य 'प्रेरणा स्थल' में सम्मानपूर्वक स्थापित किया जा रहा है, क्योंकि परिसर के विभिन्न स्थानों पर प्रतिमाएं रखे होने से आगंतुक इन्हें ठीक से नहीं देख पा रहे थे।
सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में सुले ने कहा, ''संसद भवन परिसर से छत्रपति शिवाजी महाराज, भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भव्य प्रतिमाएं हटा दी गईं। यह कृत्य बेहद क्रोधित करने वाला है। भारत के लोगों ने इन महापुरुषों के प्रति अपने प्रेम के कारण ही इन प्रतिमाओं को स्थापित किया था। प्रतिमाएं हटाकर सरकार ने भारत के लोगों का अपमान किया है।''
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता शरदचंद्र पवार सहित अन्य विपक्षी दलों ने भी इस कदम को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, ''छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की वर्षगांठ पर छह जून को हुई इस घटना से ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण कुछ नहीं हो सकता।''
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि जब महाराष्ट्र में मतदाताओं ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में मतदान नहीं किया तो उन्होंने संसद में लगी छत्रपति शिवाजी और बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमाओं को हटा दिया और जब गुजरात में उसे क्लीन स्वीप नहीं मिला तो महात्मा गांधी की प्रतिमा हटा दी गई।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा ने इस कदम को स्वतंत्रता, आजादी और समानता के आदर्शों की अवमानना बताया, जबकि तृणमूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार ने महापुरुषों की प्रतिमाएं हटाने का कारण जानना चाहा।