भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी. राजा ने शनिवार को नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक का बहिष्कार करने वाले मुख्यमंत्रियों के फैसले को उचित ठहराया और दावा किया कि उनके इस कदम की वजह केंद्र सरकार की कुछ हरकतें हैं।
राजा ने संविधान में भारत को राज्यों के संघ के रूप में परिभाषित करने का जिक्र करते हुए कहा, “इसका मतलब है कि केंद्र सरकार को सभी राज्य सरकारों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए और करों व धन का उचित हिस्सा दिया जाना चाहिए, लेकिन केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर रही है।”
राजा ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने वाले मुख्यमंत्रियों का समर्थन करते हुए कहा, “संविधान में लिखा होने के बावजूद केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर रही है। केंद्र सरकार की ओर से भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है और कुछ राज्यों को लगता है कि उनके साथ अन्याय हुआ है। उनकी आवाज का सम्मान और उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जा रहा है।”
उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार संघवाद को नहीं समझती। राजा ने कहा, “मोदी सहकारी संघवाद की बात करते हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच सहयोग कहां है? संघवाद कहां है? संघवाद सिर्फ राजनीतिक नहीं है,बल्कि राजकोषीय संघवाद भी हमारी संघीय शासन प्रणाली का अभिन्न अंग है।”
उन्होंने आरोप लगाया, “मोदी सरकार इन सभी चीजों का सम्मान नहीं करती है।” राजा ने बताया कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद योजना आयोग को खत्म कर नीति आयोग का गठन किया गया। राजा ने कहा, “नीति आयोग की क्या जरूरत है? संसद के रहते नीति आयोग कौन से नीतिगत फैसले ले सकता है? ये सभी सवाल हैं। इसलिए मुख्यमंत्रियों का इन सवालों को उठाना और अपना विरोध प्रदर्शित करना सही है।”