त्रिवेंद्र कैबिनेट का बहुप्रतीक्षित विस्तार इस साल होने की संभावना न के बराबर ही है। लालबत्ती की चाह रखने वालों को नए साल का इंतजार करना ही होगा। इसे इस तथ्य के प्रकाश में देखें कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा साफ कर चुके हैं कि मंत्रियों की अगले बीस दिनों की परफारमेंस की गहन समीक्षा होगी। माना जा रहा है कि नड्डा की कसौटियों पर खरा न उतरने वाले मंत्रियों की कुर्सी जा भी सकती है। ऐसे में कैबिनेट में कुछ और पद खाली हो सकते हैं और नए विधायकों की ताजपोशी हो सकती है।
2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नौ मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। दो पद खाली छोड़े गए थे। माना जा रहा था कि जल्द ही इन पदों को भरा जाएगा। 2019 में काबीना मंत्री प्रकाश मंत की असमय दुखद मृत्यु से एक पद और खाली हो गया। उसके बाद से ही लगातार कयाल लगाए जाते रहें हैं कि कैबिनेट के तीन पदों को कभी भी भरा जा सकता है। इसके लिए तारीख पर तारीख सोशल मीडिया और मीडिया में तैरती रहीं। लेकिन वो वक्त आया कभी नहीं।
सियासी गलियारों में चर्चा रही कि भाजपा अध्यक्ष नड्डा के देहरादून दौरे के तत्काल बाद इन पदों को भरा जाएगा। लेकिन हालात इशारा कर रहे हैं कि विधायकों को अरमान पूरे होने का वक्त अभी नहीं आया है। नड्डा ने अपने दौरे के दौरान यह ऐलान किया है कि सभी मंत्रियों के अगले बीस दिनों के कामकाम की समीक्षा की जाएगी। नड्डा का यह समय 27 दिसंबर को पूरा होगा। इसके बाद उनके पास रिपोर्ट जाएगी और देखा जाएगा कि मंत्रियों ने कैसा काम किया है। यह भी हो सकता है कि नड्डा की कसौटियों पर खऱा न उतरने वाले मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए।
माना जा रहा है कि त्रिवेंद्र कैबिनेट का विस्तार कम से कम इस साल तो संभव नहीं है। अगर समीक्षा में काम न करने वाले मंत्रियों को बाहर करना ही है तो यह काम भी नए साल में ही होगा। अगर ऐसा होता है तो फिलवक्त कैबिनेट में खाली तीन पदों की संख्या और भी बढ़ सकती है। यह भी तय है कि कैबिनेट का विस्तार भले ही नए साल में हो पर ताजपोशी उन्हीं की होगी, जिन्हें सीएम त्रिवेंद्र का आर्शीवाद मिलेगा या फिर जिनकी सीधी ऊपर तक पकड़ होगी।