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128 वर्ष की आयु में योग गुरु स्वामी शिवानंद सरस्वती का निधन, योगी आदित्यनाथ ने दी श्रद्धांजलि

प्रख्यात योग गुरु और पद्मश्री सम्मानित स्वामी शिवानंद सरस्वती का शनिवार को वाराणसी में 128 वर्ष की आयु...
128 वर्ष की आयु में योग गुरु स्वामी शिवानंद सरस्वती का निधन, योगी आदित्यनाथ ने दी श्रद्धांजलि

प्रख्यात योग गुरु और पद्मश्री सम्मानित स्वामी शिवानंद सरस्वती का शनिवार को वाराणसी में 128 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन से योग और आध्यात्मिक जगत में शोक की लहर है।

स्वामी शिवानंद के शिष्य संजॉय सर्वजना ने बताया, "स्वामीजी का शनिवार रात करीब 9 बजे निधन हो गया।"

उन्होंने आगे बताया कि "स्वामी शिवानंद को 30 अप्रैल को निमोनिया और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण बीएचयू अस्पताल में भर्ती कराया गया था।" उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वामी शिवानंद के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा, "योग के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान देने वाले काशी के प्रख्यात योग गुरु 'पद्म श्री' स्वामी शिवानंद जी का निधन अत्यंत दुःखद है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! आपकी साधना एवं योगमय जीवन संपूर्ण समाज के लिए महान प्रेरणा है। आपने अपना पूरा जीवन योग के विस्तार में समर्पित कर दिया। बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को सद्गति एवं उनके शोकाकुल अनुयायियों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!"

स्वामी शिवानंद सरस्वती का जन्म 8 अगस्त 1896 को अविभाजित भारत के सिलहट जिले (अब बांग्लादेश) में हुआ था। जब वे केवल छह साल के थे, तब उनके माता-पिता का निधन हो गया। उनके अंतिम संस्कार के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल के नबद्वीप ले जाया गया। जहां योग गुरु ओंकारानंद गोस्वामी ने उन्हें आश्रय दिया और आध्यात्म तथा योग की शिक्षा दी। इसके बाद उन्होंने कुछ समय वृंदावन में व्यतीत किया। वर्ष 1979 में वे वाराणसी आ गए और कबीरनगर के दुर्गाकुंड क्षेत्र में एक छोटा आश्रम स्थापित किया।

स्वामी शिवानंद अपने संयमित जीवन, सेवा भावना और साधना के लिए प्रसिद्ध रहे। उन्होंने कभी किसी से धन या दक्षिणा नहीं ली। उनके अनुयायियों का कहना है कि वे अत्यंत सरल, विनम्र और आत्मनिर्भर थे। उनका लक्ष्य केवल योग और सेवा को समाज में प्रसारित करना था। बीते 50 वर्षों से वे 400 से 600 कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सेवा कर रहे थे। वह उन्हें उनकी झोपड़ियों में जाकर भोजन और सहायता प्रदान करते रहे।

वर्ष 2022 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें योग के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से नवाज़ा था। इसके अलावा 29 जून 2019 को उन्हें बेंगलुरु में योग रत्न अवार्ड भी प्रदान किया गया था।

स्वामी शिवानंद ने बीते 100 वर्षों से हर कुंभ मेले (प्रयागराज, नासिक, उज्जैन और हरिद्वार) में भाग लिया। हाल ही में जनवरी-फरवरी 2025 में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले में भी वे उपस्थित थे। 

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