गहन है यह अन्धकारा लेखक अमित श्रीवास्तव का उपन्यास है। इससे अलावा इनका एक काव्य संग्रह, एक उपन्यास और एक संस्मरण प्रकाशित हो चुका है। अमित श्रीवास्तव आईपीएस अधिकारी हैं। यह बताना इसलिए ज़रूरी है क्यूंकि उपन्यास की विषय वस्तु और उसके विश्लेषण से इसका तआल्लुक है।
गहन है यह अन्धकारा भाषा, लेखन शैली, स्टोरी टेलिंग की पेस को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण उपन्यास कहा जा सकता है।बात अगर उपन्यास की कहानी की करें तो, कहानी सामान्य है। पुलिस को एक रोज एक लाश मिलती है जिसका अधिकांश भाग जल चुका है। लाश की गर्दन काटी गई है। इतनी निर्मम तरीके से हत्या हुई है कि मृतक की पहचान कर सकना बहुत कठिन हो चुका है। इसके आगे पुलिस इन्वेस्टिगेशन चलती है और मृतक, उसकी पहचान, उसके हत्यारों और उसकी हत्या के कारण का पता लगाया जाता है। यह मूल कहानी है।
अमित श्रीवास्तव चूंकि आईपीएस अधिकारी हैं, इसलिए इस तरह की घटनाएं, उनके पुलिस सेवा के करियर में कई बार सामने आईं होंगी। हम भी इस तरह की ख़बरें आए दिन अखबार में पढ़ते रहते हैं। मगर यह उपन्यास कथानक के लिए याद रखे जाने वाली चीज़ नहीं है। अगर सिर्फ़ कहानी कह दी जाती तो बहुत मुमकिन था कि यह उपन्यास सुरेन्द्र मोहन पाठक स्टाइल का एक रोचक क्राइम थ्रिलर लुगदी साहित्य का उपन्यास बन जाता। लेकिन यहां लेखक का जीवन अनुभव, साहित्य अध्ययन, ऑब्जर्वेशन, समर्पण दिखाई देता है। लेखक का कवि पन दिखाई देता है।
एक सामान्य कहानी को जिस पेस के साथ कहा गया है, वह अद्भुत है। पूरे सफ़र में यह जानने कि रोमांच और रोचकता बनी रहती है कि यह लाश किसकी है, किसने हत्या की है और क्यों की है। इसके साथ ही जिस तरह से लेखक ने पुलिस के हर पक्ष से पाठकों को रूबरू करवाया है, जिस तरह पुलिसिया कार्यवाही, कानूनी व्यवस्था की सच्चाई, ज़मीनी हक़ीक़त, सिस्टम के करप्शन और उसके पीछे की वजहों को बताया है यह इस उपन्यास की जान है। पुलिस की छवि को चमकाने या पुलिस की बर्बरता को जस्टिफाई करने की कोई कोशिश नहीं दिखती। जब सिस्टम के भीतर से कोई सिस्टम की कमियां उजागर करता है तो, बहुत हिम्मत चाहिए होती है। इसलिए यह उपन्यास एक महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाएगा।
यह उपन्यास भाषा और कथानक की दृष्टि से भी मजबूत है। इसकी भाषा ऐसी है कि कहीं प्रवाह टूटता ही नहीं है। ज़्यादा दिमाग़ भी नहीं लगाना पड़ता। हां जो बातें लिखी गई हैं, उनमें गहराई है, जिसे समझने के लिए आपका एक बेसिक बौद्धिक स्तर होना ज़रूरी है। वगरना सरल भाषा के बावजूद आप बार बार एक लाइन को पढ़ेंगे और बातें आपके सर के ऊपर से गुज़र जाएंगी।
किताब : गहन है यह अन्धकारा
लेखक : अमित श्रीवास्तव
प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
मूल्य : 450 रुपए
पेज : 158