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Search Result : "आउटलुक से खास बातचीत"

मोदी के मन की 8 खास बातें, गर्मी से मौतों का जिक्र नहीं

मोदी के मन की 8 खास बातें, गर्मी से मौतों का जिक्र नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लोगों को गर्मी में संभलकर रहने और अपना ख्‍याल रखने की सलाह जरूर दी। लेकिन भीषण गर्मी और लू से देश में हुई दो हजार से ज्‍यादा मौतों पर वह कुछ नहीं बोले।
गुर्जर आंदोलनकारियों और सरकार की बातचीत विफल

गुर्जर आंदोलनकारियों और सरकार की बातचीत विफल

आरक्षण के मुद्दे को लेकर गुर्जरों और राजस्थान सरकार के बीच तीसरे दौर की वार्ता भी विफल रही। खबर लिखे जाने तक अभी तक दोनों पक्षों में कोई सहमति नहीं बन पाई है। गुर्जरों की ओर से आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता हिम्मत सिंह गुर्जर ने आरोप लगाया कि सरकार के पास उनके लिए कोई प्रस्ताव नहीं है। गौरतलब है कि मंगलवार को गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला कुछ अस्वस्थ हो गए थे।
सलमान फैसलाः खास वर्ग की बेहया दबंगई

सलमान फैसलाः खास वर्ग की बेहया दबंगई

बॉलीवुड अपने चहेते दबंग सितारे सलमान खान को 2002 के हिट एंड रन मामले में पांच साल की सजा होने के बाद उनके समर्थन में उतरा। कइयों ने गहरी संवेदना संवेदना जताई तो कइयों ने खाए-प‌िए तबके की उबकाई भरी
राफेल सौदे पर बातचीत इसी महीने शुरू होगी: पर्रिकर

राफेल सौदे पर बातचीत इसी महीने शुरू होगी: पर्रिकर

फ्रांस के रक्षा मंत्री की भारत यात्रा से पहले भारत ने कहा कि भारतीय वायु सेना के लिए राफेल लड़ाकू जेट विमान खरीदने के लिए बातचीत इसी महीने शुरू होगी। अरबों डॉलर के इस सौदे को जितना जल्दी संभव हो अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
स्मृति से ओझल होते खास चेहरे

स्मृति से ओझल होते खास चेहरे

मानव संसाधन विकास मंत्रालय और स्मृति ईरानी के कामकाज से असहज महसूस करने वाले कई नामी-गिरामी अधिकारियों ने मंत्रालय से पल्ला झाड़ लिया।
विनोद मेहता की पुस्तक का लोकार्पण

विनोद मेहता की पुस्तक का लोकार्पण

आउटलुक पत्रिका के संस्थापक संपादक रहे विनोद मेहता की किताब ‘एडिटर अनप्लग्ड’ का यहां एक सादे समारोह में लोकार्पण किया गया। इस दौरान प्रसिद्ध उपन्यासकार विक्रम सेठ ने पुस्तक के कुछ अंश पढ़कर सुनाए।
विनोद मेहता का लखनवी अंदाज

विनोद मेहता का लखनवी अंदाज

गिरिलाल जैन के सुस्त युग के ठीक पहले शुरू होने वाले और अर्णब के स्वच्छंद युग में समाप्त होने वाले अपने कॅरियर में विनोद मेहता ने उल्लेखनीय कामयाबी पाई वह भारत की अंग्रेजी पत्रकारिता को एक हलकापन देने के साथ-साथ उसमें गंभीरता भी लाए।
हिंदी समाज को अच्छी तरह समझते थे विनोद मेहता

हिंदी समाज को अच्छी तरह समझते थे विनोद मेहता

विनोद मेहता की कई बातें जो उन्हें अन्य संपादकों से अलग करती थीं, उनमें सबसे बड़ी यह है कि वे लोकतंत्र में सिर्फ यकीन ही नहीं करते थे, उसे पत्रकारिता में भी पूरी तरह अपनाया हुआ था। संपादक के नाम पत्र कॉलम में अपने खिलाफ लिखी चिट्ठियों को भी वे जिस तरह तवज्जो देते थे, उसकी मिसाल शायद ही अन्यत्र मिले।
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