केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश कर दी की। राष्ट्रपति अब किसी भी समय राष्ट्रपति शासन हटाने के फैसले पर दस्तखत कर सकते हैं। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
उत्तराखंड में फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार सफल हो गई है। हरीश रावत द्वारा रखे गये विश्वास मत प्रस्ताव में उन्हें 33 विधायकों के मत मिले हैं। विधानसभा अध्यक्ष के मत पर असमंजस की स्थिति है। सूत्र हालांकि कह रहे हैं कि कांग्रेस को 34 मत मिले हैं। विपक्ष में 28 मत पड़े हैं।
उत्तराखंड में मचे सियासी घमासान के बीच कांग्रेस की वरिष्ठ नेता इंदिरा हृदयेश ने कहा कि आलाकमान तय करेगा कि प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा। इंदिरा के इस बयान के बाद से कयास लगाया जा रहा है कि हो सकता है कि प्रदेश में कांग्रेस आलाकमान सत्ता किसी और के हाथ में दे सकती है।
मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में एक माह तक चलने वाले महाकुंभ सिंहस्थ मेले के दूसरे शाही स्नान के दिन सोमवार को दोपहर बाद ओलावृष्टि, भारी बारिश और तेज हवाओं ने लोगों का मजा किरकिरा कर दिया। तेज तूफान औऱ ओलावृष्टि की वजह से विभिन्न घटनाओं में 7 लोग घायल हो गए हैं।
उत्तराखंड में सत्ता गठन का सपना संजो रही भाजपा को करारा झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने कांग्रेस के 9 बागी विधायकों की याचिका खारिज करते हुए उन्हें अयोग्य करार दिया है। हाई कोर्ट के ऐसे रुख के बाद बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं।
धर्मनगरी उज्जैन के सिंहस्थ कुंभ में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तिथि तय हो गई है। संतों ने धर्मसंसद में आखिरकार निर्माण पर फैसला कर लिया है। संतों ने गरजते हुए साफ कहा है कि मंदिर निर्माण से मोदी सरकार का कोई लेना देना नहीं है।
दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के नाम पर पिछले दशकों में राजीनतिक खेल होते रहे हैं, लेकिन भाजपा सहयोगी संगठनों ने इस बार ‘स्नान राजनीति’ का नया रूप पेश कर दिया है।
प्राकृतिक प्रकोप से तबाह होने के बाद सिंहस्थ नगरी में स्थिति तेजी से सामान्य की ओर लौट रही है। साधू-संतों से लेकर प्रशासन भी धार्मिक नगरी में जारी सिंहस्थ कुंभ को कामयाब बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा है। शनिवार को राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद कमान संभाली औऱ मेला क्षेत्र में पत्नी के साथ मिलकर श्रमदान भी किया।
उत्तराखंड में कांग्रेस के नौ अयोग्य घोषित किए गए बागी विधायकों के भाग्य को लेकर अनिश्चितता बरकरार है क्योंकि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर नौ मई तक अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।