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Search Result : "उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय"

विकास स्वरूप विदेश मंत्रालय के नए प्रवक्ता

विकास स्वरूप विदेश मंत्रालय के नए प्रवक्ता

विदेश मंत्रालय ने 1986 बैच के आइएफएस अफसर विकास स्वरूप को नया प्रवक्ता नियुक्त किया है। वह अकबरूद्दीन का स्थान लेंगे। इलाहबाद विश्वविद्यालय से स्नातक स्वरूप क्यू एंड ए किताब से खासे चर्चित रहे हैं
उत्तराखंड के कांग्रेसी नेता देंगे जंतर-मंतर पर धरना

उत्तराखंड के कांग्रेसी नेता देंगे जंतर-मंतर पर धरना

केन्द्र सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य की लगातार की जा रही कथित उपेक्षा के विरोध में कांग्रेस ‌दिल्ली में धरना देने जा रही है। २४ मार्च को आयोजित इस धरने में उत्तराखंड के कई कांग्रेसी नेता भाग लेंगे। मुख्यमंत्री हरीश रावत इसमें हिस्सा लेंगे या नहीं यह तय नहीं है।
वित्त आयोग की सिफारिशों से राज्य नाखुश

वित्त आयोग की सिफारिशों से राज्य नाखुश

चौदहवें वित्त आयोग की सिफारिश को अगर लागू कर दिया जाए तो बिहार, असम, त्रिपुरा और उत्तराखंड जैसे राज्यों का केंद्रीय करों में हिस्सा घट सकता है। इन राज्यों ने वित्त आयोग की सिफारिशों से अपनी नाराजगी जताई है।
बेमौसम बरसात से उत्तर भारत में आफत

बेमौसम बरसात से उत्तर भारत में आफत

बेमौसम बर्फबारी और बरसात ने उत्तर भारत में लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में हुए हिमस्खलन में सेना के दो जवान की मौत हो गई है। दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में बारिश की वजह से ठंड लौट आई है। मौसम विभाग ने अगले तीन दिन तक ऐसा मौसम बने रहने की आशंका जाहिर की है।
भारी हिमपात और बारिश

भारी हिमपात और बारिश

ऊंची चोटियों पर रव‌िवार से भारी बर्फबारी हो रही है। इस वजह से निचले इलाकों में लगातार बारिश जारी है। मैदानी इलाकों में ठिठुरन और बारिश होने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
एक विद्रोही गीत की कहानी

एक विद्रोही गीत की कहानी

देश के राजनीतिक इतिहास में ऐसी घटनायें कम ही सुनने को मिलती हैं कि एक गीत किसी सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर दे और सरकार को उस गीत और गीतकार के खिलाफ पूरी ताकत झोंकनी पड़ी हो। और आख़िरकार वह गीत ही सरकार का विदाई गीत बन गया हो।
इंसाफ की तलाश और हिंसा का चक्र

इंसाफ की तलाश और हिंसा का चक्र

राजधानी के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक पूर्व प्रोफेसर नागरिकों की एक अनुसंधान टीम के साथ घोर मोआवादी प्रभाव वाले एक जिले में गए जहां उनके एक पूर्व छात्र पुलिस अधीक्षक हैं। पुलिस अधिकारी की अपने पूर्व शिक्षक से मुलाकात का यह गर्वीला क्षण था, उन्होंने अपने गुरु के पांव छुए और उनके साथ अपनी तस्वीर खिंचवाई। नागरिक अनुसंधान टीम ने तब तक प्रशासन, पुलिस और सरकार समर्थित नक्सल विरोधी सशस्त्र निजी सेना का पक्ष ले लिया था इसलिए प्रोफेसर ने माओवादियों का पक्ष लेने के लिए नदी पार जाने की बात कही। इस पर शिष्य पुलिस अधीक्षक तपाक से बोले, सर, आप उस पार गए कि दुश्मन की तरफ होंगे और हमारी गोली खा सकते हैं। मैंने जानबूझकर दोनों लोगों का नाम छिपाया है ताकि एक निजी गुफ्तगू दोनों के लिए सार्वजनिक झेंप की वजह न बन जाए। लेकिन उनकी बातचीत से प्रशासन की ताजा मानसिकता पता चलती है: कि अब नक्सलवादियों के साथ निबटने में बीच की कोई जनतांत्रिक जमीन नहीं बची है। न सिविल हस्तक्षेप की कोई पहल, जैसे जयप्रकाश नारायण ने 1970 के दशक में बिहार के मुसहरी में की थी। अब प्रतिनिधि शासन और माओवादियों के बीच बस मैदान-ए-जंग है।
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