Advertisement

Search Result : "सकारात्मक नजरिया"

टेस्ट में ध्यान स्ट्राइक रेट नहीं,  सकारात्मक रवैये पर : पुजारा

टेस्ट में ध्यान स्ट्राइक रेट नहीं, सकारात्मक रवैये पर : पुजारा

पर्याप्त गति से रन नहीं बनाने के कारण आलोचना को दरकिनार करते हुए भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने आज कहा कि टेस्ट क्रिकेट में स्ट्राइक रेट नहीं बल्कि सकारात्मक रवैया मायने रखता है।
खिलाडि़यों पर अपना नजरिया थोपना मेरी शैली नहीं: कुंबले

खिलाडि़यों पर अपना नजरिया थोपना मेरी शैली नहीं: कुंबले

भारत के नये मुख्य कोच अनिल कुंबले ने स्वीकार किया है कि उनके काम करने की शैली में जान राइट का काफी प्रभाव है और वह युवा टीम पर अपने विचार थोपने की जगह उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे।
नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

1937 में जब पहली बार कांग्रेस-लीग के समझौते के बाद उत्तर प्रदेश में पहली कांग्रेस सरकार चुनकर आई तो नेहरू जी मंत्रिमंडल में लीग को स्थान देने के लिए तैयार नहीं हुए थे। जिसके फलस्वरूप देश के विभाजन की नींव रखी गई थी। मेरा उद्देश्य इस सवाल को उठाना नहीं है। उससे कई और सवाल जुड़े हैं। मैं यहां संसदीय सचिव (पार्लियामेंन्ट्री सेक्रेट्री) के पद के इतिहास के बारे में बात करना चाहता हूं। यह पद ब्रिटिश सरकार की परंपरा का हिस्सा है। मैंने कहीं पढ़ा था चर्चिल भी शायद पहले संसदीय सचिव ही हुए थे। सन 1937 में जब पंडित गोविंद वल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी तो वह मुख्यमंत्री बने थे और विजय लक्ष्मी पंडित मंत्री बनी थीं। यदि संसद सचिवों की बात की जाए तो चौधरी चरण सिंह (जो प्रधानमंत्री बने), चंद्रभानु गुप्त (चार बार मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस के कद्दावर नेता थे), आचार्य जुगल किशोर (1947 में आजादी के वक्त कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्रियों में थे) समेत कई संसदीय सचिव थे। उसके बाद भी संसदीय सचिव की परंपरा मंत्रिमंडल का अंग रही। मैं स्मृति से लिख रहा हूं। केंद्र में भी यह पद था। प्रदेश में कई बड़े नेताओं ने संसदीय सचिव के पद से अपना करिअर आरंभ किया था जिनमें बाबू बनारसी दास (मुख्यमंत्री रहे), हेमवतीनंदन बहुगुणा (पूर्व मुख्यमंत्री, कैलाश प्रकाश पूर्व. शिक्षा मंत्री) आदि सम्मिलित हैं।
मोदी के मन की बात, खेल-खिलाड़ियों के लिए बने सकारात्मक माहौल

मोदी के मन की बात, खेल-खिलाड़ियों के लिए बने सकारात्मक माहौल

देश में खेलकूद के समक्ष चुनौतियों को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खेल एवं खिलाड़ियों के प्रति सकारात्मक माहौल बनाने और रियो ओलंपिक के खिलाडि़यों को प्रोत्साहित करने की जरूरत बताई और कहा कि खेल को हार या जीत की कसौटी पर कसने की बजाए खेल भावना के साथ भारत दुनिया में अपनी पहचान बनाए। प्रधानमंत्री ने खेल मंत्री के रूप में सर्बानंद सोनोवाल के कार्यों की काफी प्रशंसा की।
रक्षात्मक अफरीदी बोले, मैं सिर्फ सकारात्मक संदेश दे रहा था

रक्षात्मक अफरीदी बोले, मैं सिर्फ सकारात्मक संदेश दे रहा था

भारत में पाकिस्तान से ज्यादा प्यार मिलने की बात कहकर अपने देश के निशाने पर आए पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के कप्तान शाहिद अफरीदी ने आज इस मसले को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा कि उनका इरादा अपने देश को नीचा दिखाने का नहीं था और वह सिर्फ यहां प्रशंसकों का सम्मान करके सकारात्मक संदेश देने का प्रयास कर रहे थे।
फांसी की शर्मनाक छाया

फांसी की शर्मनाक छाया

मौत की सजा के जरिये अपराध की रोकथाम का लक्ष्य विफल हो चुका है। शोध यह साबित करने में लगातार विफल रहे हैं कि मौत की सजा से अपराध पर रोक लगती है।
भू-अधिग्रहण: आग को सरकारी न्यौता

भू-अधिग्रहण: आग को सरकारी न्यौता

विकास हित में भूमि अधिग्रहण को सरकार और उद्योगों के लिए सुगम बनाने की मोदी सरकार की पहल ने मानो आग को न्यौता दे दिया है। सन 2013 का भू-अधिग्रहण कानून बदलने के अध्यादेश से देशभर में किसानों के बीच जो असंतोष फैला उसका एक नतीजा दिल्ली के ग्रामीण मतदाताओं के मतदान में दिखा, जिन्होंने भाजपा को एक भी सीट नहीं दी और जिस आम आदमी पार्टी को उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में ठुकराया था उसकी झोली भर दी।
न्यायिक देर से भी अंधेर हो सकता है

न्यायिक देर से भी अंधेर हो सकता है

भारतीय संविधान के तहत उपलब्ध न्यायिक सुनवाई के अधिकार और संस्थाबद्ध प्रणालियों में त्वरित न्याययिक सुनवाई के अधिकार की ज्यादा गुंजाइश नहीं बनाई गई है, यह हाल में 40 साल बाद ललित नारायण मिश्र हत्याकांड में आए फैसले से साबित है।
Advertisement
Advertisement
Advertisement