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‘हुत’ में बिश्नोई का काव्यपाठ : कथ्य की हुई सराहना

‘हुत’ में बिश्नोई का काव्यपाठ : कथ्य की हुई सराहना

साहित्यिक संस्‍था ‘हुत’ की छत्तीसवें एकल काव्यपाठ में 73 वर्षीय कवि बजरंग बिश्नोई ने अपनी धर्मयुग में 1964 में प्रकाशित पहली कविता से लेकर आज तक रची/छपी कविताओं में से एक दर्जन का पाठ किया। कविताओं पर चर्चा में उनकी खामियों-खूबियों पर बहस के साथ ही कथ्य की सराहना हुई, खास कर खुदाबख्स उर्फ खुटईं , गोपी, आदतन, पत्नी के फूल चुनते हुए , अपने खिलाफ और एक विभावना है शहर शीर्षक कविताओं की।
हरी घास पर कविता

हरी घास पर कविता

जन सरोकारसे जुड़कर रचने जनने की परंपरा को प्रोत्साहित कर आगे बढ़ाने के उद्देश्य से अक्टूबर 2012 की 12 तारीख से शुरू साहित्यिक संस्‍‍था हुत की रचना पाठ श्रृंखला कल्वे कबीर के नाम से सोशल मीडिया में चर्चित कवि कृष्‍ण कल्पित के कविता पाठ के साथ 34 वां पायदान पार कर गई।
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