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बीसीसीआई ने साबित किया, महिला और पुरुष क्रिकेटरों में लाखोंं-करोड़ों का अंतर

महिला विश्व कप में भारत के फाइनल में पहुंचने पर बीसीसीआई ने सभी महिला क्रिकेटर को 50-50 लाख रुपए इनाम में देने की घोषणा की है। वहीं सपोर्ट स्टाफ को भी 25-25 लाख रुपए का ऐलान किया गया। अब 23 जुलाई को भारत का सामना खिताबी मुकाबले में मेजबान इंग्लैंड से होगा। टीम इंडिया ने सेमीफाइनल में 6 बार की वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को मात दी।
बीसीसीआई ने साबित किया, महिला और पुरुष क्रिकेटरों में लाखोंं-करोड़ों का अंतर

बीसीसीआई द्वारा महिला क्रिकेटरों के दिए गए इनाम की अगर पुरुष क्रिकेटरों के इनाम से तुलना की जाए तो ये काफी कम है। बीसीसीआई हमेशा से इस भेदभाव को लेकर विवादों में रहा है. चाहे सुविधाओं की बात हो या मैच फीस, दोनों ही मामलों में बीसीसीआई महिला क्रिकेट टीम को पुरुषों की तुलना में उपेक्षा करता आया है। कई महिला खिलाड़ी भी इस भेदभाव के खिलाफ आवाज उठा चुकी हैं. लेकिन ये कम ही खबरों में आ पाती है। इसके इतर कुछ दिन पहले पुरुष क्रिकटरों और बोर्ड के बीच का फीस विवाद काफी सुर्खियों में रहा था। 

महिला क्रिकेट टीम के 12 साल बाद वर्ल्ड कप में जगह बनाने के बाद किए गए इनाम के ऐलान में इस भेदभाव को साफतौर पर देखा जा सकता है। वहीं अगर बात करे पुरुष खिलाड़ियों की तो उन्हें हमेशा से महिला क्रिकेटरों की तुलना में सुविधा और फीस दोनों ही ज्यादा दी जाती रही हैं। साथ ही समय-समय पर पुरुष क्रिकेटरों के लिए इनामों का एलान होता रहता है. इसके अलावा विज्ञापन कंपनी भी महिला खिलाड़ियों के बजाय पुरुष खिलाड़ियों को तवज्जो देती आई है। 

साल 2011 में जब टीम इंडिया ने मुंबई में श्रीलंका को हराकर दूसरी बार वर्ल्ड कप अपने नाम किया था तब बीसीसीआई ने सभी क्रिकेटरों को पुरस्कार के रुप में 1-1 करोड़ रुपए देने की घोषणा की थी। लेकिन टीम के सभी खिलाड़ियों ने इस राशि को काफी कम बताते हुए इनाम के तौर पर 5 करोड़ की मांग की. इसके बाद बीसीसीआई को इनामी राशि 1 करोड़ से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपए करना पड़ा था। 

इसके 2 साल बाद साल 2013 में जब टीम इंडिया ने मेजबान इंग्लैंड को हराकर चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम की थी तब बीसीसीआई ने सभी क्रिकेटरों को 1-1 करोड़ रुपए इनाम देने की घोषणा की थी। वहीं सपोर्ट स्टाफ को भी 30-30 लाख रुपए का ऐलान किया गया। देखा जाए तो ये इनामी राशि महिला क्रिकेटरो को दी गई राशि की लगभग दोगुनी है. इस तरह का पक्षपात बीसीसीआई के भेदभाव को साफतौर पर दर्शाने के लिए काफी है। 

इसी साल मार्च में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में 2-1 से जीत दर्ज कर 2016-17 सत्र का शानदार अंत करने वाली टीम इंडिया को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने टीम, कोच और सहयोगी स्टाफ के लिए नकद पुरस्कार का ऐलान किया था। 

भारत ने इस सत्र में कुल 13 मैच खेले, जिसमें से 10 में जीत हासिल की थी। भारत ने इस पूरे सत्र में शानदार प्रदर्शन किया और लगातार चार टेस्ट सीरीज अपने नाम की। इनाम के फलस्वरुप भारतीय टेस्ट टीम के प्रत्येक खिलाड़ी को 50 लाख रुपये, कोच को 25 लाख रुपये और सहयोगी स्टाफ को 15 लाख रुपये इनाम मिला था। 

इस इनाम के साथ ही बीसीसीआई ने टीम इंडिया के खिलाड़ियों का सालाना क्रिकेट कॉन्ट्रेक्ट का भी ऐलान किया था। इस कॉन्ट्रेक्ट के तहत  ग्रेड ए खिलाड़ियों के लिए दो करोड़ रुपये की राशि की घोषणा की थी। यह पहले एक करोड़ रुपये थी जबकि ग्रेड-बी और ग्रेड-सी के क्रिकेटरों को क्रमश: एक करोड़ और 50 लाख रुपये का ऐलान किया गया। 

महिला और पुरुष खिलाड़ियों के बीच भेदभाव बीसीसीआई में ही नहीं अन्य बोर्ड और अतंरराष्ट्रीय टू्र्नामेंट में की इनामी राशियों में भी दिखाई देता है। अगर महिला खिलाड़ियों के खेल के स्तर को और ज्यादा निखारना है तो इस भेदभाव दूर करना ही होगा।

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