टीम इंडिया के अनुभवी खिलाड़ी एमएस धोनी का विश्व कप में 'बलिदान ' लिखे विकेटकीपिंग गलव्स में पहनकर खेलने का विवाद बढ़ता ही जा रहा है। अब आईसीसी ने बीसीसीआई से कहा कि धोनी ने नियमों का उल्लंघन किया है। वह ग्लव्स पर कोई निजी मैसेज नहीं लिख सकते हैं। आईसीसी ने पहले ही इसे लेकर आपत्ति जताई थी, जिस पर बीसीसीआई ने जवाब दिया था।
बीसीसीआई के सीईओ विनोद राय ने कहा था कि हमने बीसीसीआई की तरफ से आईसीसी को सूचना भेज दी है की धोनी के ग्लव्स में जो चिन्ह है उसका किसी व्यवसायिक और धर्म के सांकेतिक से कोई लेना देना नहीं है।
केंद्रीय मंत्री भी धोनी के समर्थन में
इससे पहले केंद्रीय मंत्री वीके सिंह और खेलमंत्री किरण रिजिजू भी महेंद्र सिंह धोनी के समर्थन में आ गए हैं। उन्होने कहा कि धोनी के ग्लव्स पर पैरा मिलिट्री फोर्स के बलिदान बैज के निशान पर मचे बवाल पर बीसीसीआई से रिपोर्ट मांगी है और कहा बीसीसीआई उनके साथ खड़ा रहे। साथ ही उन्होने कहा कि देश के सम्मान से कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि बीसीसीआई इस मामले को आईसीसी के सामने रखेगा और इसे जल्द ही सुलझाएगा। एम एस धोनी की पहचान देश की पहचान है, सेना की पहचान है और इसमें कोई राजनीति नहीं है। इसलिए, बीसीसीआई को धोनी के साथ खड़ा होना चाहिए। रिजिजू ने कहा कि सरकार खेल निकायों के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती है क्योंकि निकाय स्वायत्त और स्वतंत्र हैं।
यह एक सैन्य प्रतीक नहीं
आईसीसी की दखलअंदाजी के बाद बीसीसीआई धोनी पक्ष में खड़ा हो गया था। प्रशासकों की समिति (सीओए) के प्रमुख विनोद राय ने शुक्रवार को कहा कि बीसीसीआई ने आईसीसी से इसके लिए अनुमति मांगी है कि महेंद्र सिंह धोनी अपने विकेटकीपिंग ग्लव्स पर 'बलिदान बैज' पहनना जारी रखेंगे क्योंकि यह एक सैन्य प्रतीक नहीं है।
कहां से शुरू हुआ सारा विवाद
दरअसल, विश्व कप में टीम इंडिया के पहले मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ धोनी ने जो गलव्स पहने थे, उन पर सेना का बलिदान बैज बना हुआ था। इस पर आईसीसी ने बीसीसीआई से अपील की है कि वह धोनी को दस्तानों से लोगो हटाने को कहे। आईसीसी का कहना है कि नियमों के मुताबिक किसी भी अन्य प्रतीक वाली चीजों को मैदान पर नहीं पहना जा सकता। हालांकि बीसीसीआई ने इस मसले पर धोनी का समर्थन किया।
धोनी ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में 46 गेंद पर 34 रन की पारी खेली थी। इस दौरान उन्होंने दो चौके लगाए थे। उन्होंने कीपिंग के दौरान युजवेंद्र चहल की गेंद पर एंडीले फेहलुकवायो को स्टंप आउट किया था। भारत ने यह मैच 6 विकेट से जीत लिया था।
पाकिस्तानी मंत्री फवाद चौधरी ने की आलोचना
इस सारे विवाद में पाकिस्तान के एक मंत्री फवाद चौधरी, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हैं ने भी भारतीय मीडिया और धोनी की जमकर आलोचना की। उन्होने सोशल मीडिया पर एक ट्वीट किया जिसमें धोनी के विकेटकीपिंग दस्ताने के मामले पर अपनी राय व्यक्त की और इस मामले पर बहस करने के लिए भारतीय मीडिया को भी लताड़ा।
फवाद चौधरी ने अपने ट्वीट में लिखा कि धोनी महाभारत के लिए नहीं क्रिकेट खेलने के लिए इंग्लैंड में हैं, भारतीय मीडिया में एक मूर्खतापूर्ण बहस चल रही है, खासकर भारतीय मीडिया का एक वर्ग युद्ध से इतना प्रभावित है कि उन्हें सीरिया, अफगानिस्तान या रावंडा में भेजा जाना चाहिए।
मानद लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक वाले दूसरे क्रिकेटर हैं धोनी
‘बलिदान बैज’ के चिह्न का इस्तेमाल हर कोई नहीं कर सकता। इसे सिर्फ पैरा कमांडो ही लगाते हैं। पैरा स्पेशल फोर्स को आमतौर पर पैरा एसएफ कहा जाता है। यह भारतीय सेना की स्पेशल ऑपरेशन यूनिट होती है। पैरा स्पेशल फोर्स ने ही 2016 में पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। ‘बलिदान बैज’ पैराशूट रेजिमेंट के विशेष बलों के पास होता है। इस बैज पर ‘बलिदान’ लिखा होता है। धोनी को 2011 में सेना में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गई थी। वे यह सम्मान पाने वाले दूसरे क्रिकेटर हैं। उनसे पहले कपिलदेव को यह सम्मान दिया गया था।