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सट्टेबाजी हुई मंजूर तो सरकारी खजाने में आएंगे हजारों करोड़

क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देने की लोढ़ा समिति की सिफारिश मान ली गई तो सरकारी खजाने में दस से बारह हजार करोड़ रुपये आ सकते हैं। हालांकि भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष शशांक मनोहर ने समिति की कई सिफारिशों को मानने से इनकार कर दिया है।
सट्टेबाजी हुई मंजूर तो सरकारी खजाने में आएंगे हजारों करोड़

जानकारों का मानना है कि सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता मिलने से मनोरंजन कर के रूप में सरकारी खजाने में 30 प्रतिशत राशि जमा होने लगेगी। सट्टेबाजी के व्यापक बाजार को देखते हुए यह कर राशि 10-12 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। वैसे भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी का कहना है कि बीसीसीआई सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता नहीं दे सकता, सरकार को ही इसके लिए कुछ करना होगा। फिलहाल सिक्किम और गोवा में ही सिक्किम और जुए को कानूनी मान्यता मिली हुई और इन राज्यों के कानून सिक्किम ऑनलाइन गैंबलिंग (नियमन) कानून, 2009 के मुताबिक यहां खेलों में ऑनलाइन सट्टेबाजी को मंजूरी मिली हुई है। लेकिन सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के केंद्रीय कानून के मुताबिक, दूसरे राज्यों में खेलों में ऑनलाइन सट्टेबाजी की मंजूरी नहीं है।

यदि पब्लिक गैं‌बलिंग एक्ट, 1867 के संघीय कानून पर विचार किया जाए तो खेलों में सट्टेबाजी किसी रूप में अवैध नहीं है। भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में राज्यों को सट्टेबाजी पर अपना कानून बनाने का अधिकार मिला हुआ है। पूर्व क्रिकेटर मदनलाल का कहना है कि सट्टेबाजी एक पे‌चीदा स्थिति है लेकिन इससे यदि सरकार का खजाना भरता है तो इसे जरूर कानूनी मान्यता दी जानी चाहिए। कुछ लोगों का मानना है कि सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता मिलने के बावजूद यहां भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग सकता, क्योंकि अमेरिका और यूरोप में सट्टेबाजी वैध है लेकिन भ्रष्टाचार वहां भी खत्म नहीं हुआ है।

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