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डोमेस्टिक क्रिकेट में भी होता है नस्लवाद, दक्षिण भारतीय खिलाड़ियों को झेलनी पड़ती है नस्लीय टिप्पणी: इरफान पठान

अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद से नस्लवाद के मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है। नस्लवाद के मुद्दे को...
डोमेस्टिक क्रिकेट में भी होता है नस्लवाद, दक्षिण भारतीय खिलाड़ियों को झेलनी पड़ती है नस्लीय टिप्पणी: इरफान पठान

अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद से नस्लवाद के मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है। नस्लवाद के मुद्दे को लेकर अब बहुत से लोग सामने आ रहे हैं और अपनी बात रख रहे हैं। अमेरिका और कई देशों में इस मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। ऐसे में भारत के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी इरफान पठान ने कहा है कि कभी-कभी, दक्षिण भारत से आने वाले खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट खेलने के लिए उत्तरी या पश्चिमी राज्यों में आते हैं, तो उन्हें नस्लभेद का शिकार होना पड़ता है। पठान का यह कमेंट तब आया, जब विंडीज क्रिकेटर डैरेन सैमी ने आईपीएल के दौरान नस्लवाद का शिकार होने की बात कही। एएनआई के साथ बातचीत में, पठान ने कहा कि कुछ फर्स्ट क्लास मैचों के दौरान, भीड़ में कुछ लोग हो सकते हैं जो सिर्फ मजाकिया दिखने के लिए उपद्रव मचाने की कोशिश करते हैं।

डैरेन सैमी भी हुए आईपीएल के दौरान नस्लवाद के शिकार

वहीं अगर बात सैमी की करें तो उन्होंने 2013-14 के सीजन सनराइजर्स हैदराबाद के लिए खेले हैं। हिन्दी में कालू शब्द गहरे रंग वाले व्यक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है। उन्होंने यह नहीं बताया कि उनके खिलाफ कब और किसने यह टिप्पणी की थी। वेस्टइंडीज के ऑल राउंडर ने कहा कि वह इस शब्द के सही अर्थ नहीं जानते थे, लेकिन जब उन्हें इसका मतलब पता चला तो वह बहुत डर गए। सैमी ने क्रिकेट की इस डार्क साइड का खुलासा किया। सैमी के इस बयान के बाद सनराइजर्स हैदराबाद के 2013-14 के कुछ खिलाड़ियों ने इस मुद्दे पर अपनी बात कही है।

इरफान पठान ने यह साफ किया कि कैंप में इस तरह की कोई घटना नहीं हुई थी। उन्होंने कहा कि ऐसा हुआ होगा और लोगों ने इस बारे में बात की होगी। हालांकि, पूर्व भारतीय ऑलराउंडर ने कहा कि भारतीय घरेलू क्रिकेट में इस तरह के नस्लीय किस्से अक्सर सुनने को मिलते हैं। उन्होंने दावा किया कि दक्षिण भारतीय क्रिकेटर्स अक्सर इस तरह के शब्दों का सामना करते हैं।

हमें अपने लोगों को शिक्षित करने की जरूरत

उन्होंने कहा, ''मैं 2014 में वहां सैमी के साथ था। मुझे लगता है कि वास्तव में ऐसा हुआ होगा। इस मुद्दे पर चर्चा भी की गई होगी। इसलिए मुझे ऐसी बातों की जानकारी नहीं है, क्योंकि बड़े पैमाने पर चर्चा नहीं की गई होगी। लेकिन साथ ही, हमें अपने लोगों को शिक्षित करने की आवश्यकता है, क्योंकि मैंने घरेलू क्रिकेट में ऐसी टिप्पणियां करते हुए देखा है।''

इरफान ने कहा, ''खासकर दक्षिण भारत के हमारे कुछ क्रिकेटर, देश के उत्तरी और पश्चिमी भागों में ऐसी चीजों का सामना करते हैं। हालांकि मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता। भीड़ के बीच क्या होगा, कोई अपने आपको ज्यादा विद्वान समझने की कोशिश करता है। ऐसा नहीं है क्योंकि लोग नस्लवादी हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि कोई व्यक्ति ऐसा कुछ कहकर लोकप्रिय होने की कोशिश करता है। इस दौरान वह हंसी-मजाक में अपनी लाइन भी क्रॉस कर जाता है।''

पार्थिव पटेल ने किया इंकार

पार्थिव पटेल 2013 में सनराइजर्स का हिस्सा थे। उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने किसी भी खिलाड़ी द्वारा किसी भी तरह के नस्लभेद या रंगभेद के बारे में नहीं सुना है। हालांकि, 2013 में इस फ्रेंचाइजी के सराथ खेलने के बाद वह रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर का हिस्सा बन गए थे। वहीं, पार्थिव पटेल ने कहा, ''मुझे नहीं लगता कि मैंने उन (अपमानजनक) शब्दों का उपयोग करते हुए किसी को सुना है।'' भारत के पूर्व क्रिकेटर वेणुगोपाल राव ने भी दावा किया कि वह भी इस बारे में कुछ नहीं जानते हैं। वेणुगोपाल 2014 में सनराइजर्स के साथ जुड़े थे। उन्होंने कहा, ''मुझे यकीन नहीं है.... इसके बारे में पता नहीं है।''

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