हाल ही में कई दिग्गज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों ने खेल को अलविदा कह दिया, किसी ने एक प्रारूप से संन्यास लिया तो किसी ने सभी प्रारूपों को अलविदा कह दिया। डेल स्टेन, हाशिम अमला, लसिथ मलिंगा और शोएब मलिक जैसे कई अनुभवी खिलाड़ियों ने किसी ना किसी रूप में क्रिकेट से दूरी बनाने का फैसला लिया। भारत की तरफ से अंबाती रायडू भी एक ऐसा नाम रहे जिन्होंने अचानक अपने संन्यास का ऐलान कर दिया। अब इस फेहरिस्त में ताजा नाम है श्रीलंका के मिस्ट्री स्पिनर अजंता मेंडिस का। कैरम बॉल के जनक श्रीलंका के स्पिनर अजंता मेंडिस ने बुधवार को क्रिकेट को अलविदा कहा दिया।उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा कर दी है।
2008 में किया था पदार्पण
वेस्टइंडीज के खिलाफ पोर्ट ऑफ स्पेन में वनडे मैच के जरिए (2008) अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करिअर का आगाज करने वाले अजंता मेंडिस ने अब 11 साल बाद अचानक से संन्यास लेकर सभी को हैरान कर दिया है। अपने पहले मैच में तीन विकेट लेकर सुर्खियों में आए मेंडिस की खासियत उनकी अनोखी फिरकी थी, जिसके शिकार तकरीबन सभी बल्लेबाज हुए। उन्होने टेस्ट में 2008 में भारत के खिलाफ क्रिकेट में पदार्पण किया था। उन्होने तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला में 26 विकेट चटकाए, जिसे श्रीलंका ने 2-1 से जीता था। मेंडिस ने 19 टेस्ट में 70 विकेट, 87 वनडे में 152 और 39 टी-20 में 66 विकेट चटकाए, लेकिन चोटों और खराब फॉर्म के कारण वह अपने करिअर को लम्बा नहीं खींच सके।
एशिया कप में की थी सबसे बेहतरीन गेंदबाजी
34 वर्षीय स्पिनर उन्होंने 2015 में न्यूजीलैंड के खिलाफ आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था। कैरम बॉल से विरोधियों को परेशान करने वाले मेंडिस ने अपने करिअर में 288 विकेट झटके थे। 34 वर्षीय ने एशिया कप में उस समय धमाका किया था जब उन्होंने 13 रन देकर छह विकेट लिए थे, जब श्रीलंका ने 2008 में फाइनल में भारत के खिलाफ 100 रन की जीत दर्ज की थी। वनडे में सबसे तेज 50 विकेट लेने का रिकॉर्ड भी मेंडिस के नाम ही है। उन्होंने सिर्फ 19 मैचों में 50 विकेट पूरे कर भारत के तेज गेंदबाज अजित अगरकर (23 मैच, 50 विकेट) का रिकॉर्ड तोड़ा था।
टी-20 में जिंबाब्वे के खिलाफ फेंका थी ड्रीम स्पैल
टी-20 क्रिकेट में जिंबाब्वे के खिलाफ चार ओवर में कुल आठ रन देकर छह विकेट लेने का कमाल किया और लंबे समय तक टी-20 के इस रिकॉर्ड को शीर्ष पर रखा। हालांकि बाद में जब उनकी गेंदबाजी को बल्लेबाज समझने लगे और जब धोनी जैसे बल्लेबाजों ने कुछ मैचों में उनका तोड़ निकाला, तो मेंडिस साधारण साबित होने लगे। उन्हें आखिरी बार 2015 में अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का मौका मिला जिसके बाद उनकी श्रीलंकाई टीम में कभी वापसी नहीं हो सकी।