साल 2007 में हुए आईसीसी वर्ल्ड टी-20 के पहले संस्करण को टीम इंडिया के युवराज सिंह ने यादगार बना दिया था। भले ही टूर्नामेंट की शुरूआत में वो खराब फॉर्म में थे, लेकिन जब टीम को टूर्नामेंट में जीवित रहने के लिए उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी तभी युवराज ने एक ऐसी पारी खेली, जिसने उनके करियर की दशा और दिशा पूरी तरह से बदल दी।
19 सितंबर, 2007-डरबन
19 सितंबर 2007 को डरबन के किंग्समीड मैदान में भारत और इंग्लैंड के बीच अहम मुकाबला हुआ और साथ ही भारतीय टीम के लिए अगले दौर में पहुंचने के लिए इस मैच को बड़े अंतर से जीतना जरूरी था। वीरेंदर सहवाग और गौतम गंभीर ने भारत को शानदार शुरूआत दिलाते हुए पहले विकेट के लिए 136 रन जोड़े। हालांकि 15.3 ओवरों तक भारत ने 155 रनों तक तीन विकेट गंवा दिए थे और विशाल स्कोर तक पहुंचने के लिए टीम को एक ताबड़तोड़ पारी की आवश्यकता थी। भारतीय टीम के लिए क्रीज पर मौजूद थे टीम के दो सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज युवराज सिंह और महेंद्र सिंह धोनी।
19वां ओवर- स्टुअर्ट ब्रॉड और युवराज का कहर
इसके बाद 19वां ओवर लेकर आए स्टुअर्ट ब्रॉड और उनके सामने थे युवराज सिंह। यहां से युवी ने ब्रॉड की लगातार 6 गेंदों पर 6 छक्के लगाकर स्टेडियम में बैठे दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। युवी ने 16 गेंदों में 7 छक्कों और तीन चौकों की मदद से 58 रनों की तूफानी पारी खेली खेलते हुए कई विश्व रिकॉर्ड भी बनाए। टी20 में एक ओवर में 6 छक्के लगाने वाले युवी पहले बल्लेबाज बने। इसके अलावा उन्होंने 12 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया, जोकि टी20 क्रिकेट में किसी भी बल्लेबाज द्वारा लगाया गया सबसे तेज अर्धशतक भी था। आपको बता दें कि यह दोनों रिकॉर्ड आज भी युवराज सिंह के नाम ही है और साथ में इस मैच के बाद युवराज सिंह को सिक्सर किंग का तमगा भी मिला।
एंड्रू फ्लिंटॉफ से हुई थी नोक-झोक
19वें की शुरूआत से पहले युवराज सिंह और इंग्लैंड टीम के दिग्गज ऑलराउंर एंड्रू फ्लिंटॉफ के बीच में बहस भी हुई थी, जिसके बाद युवराज सिंह काफी गुस्से में नजर आ रहे थे। यहां तक कि अंपायर और धोनी को भी आकर युवराज को शांत करना पड़ा। युवराज ने इसके बाद जो किया, उसे देखकर तो कहा जा सकता है कि फ्लिंटॉफ की गलती का खामियाजा इंग्लैंड टीम को भुगतना पड़ा। हालांकि मैच के बाद दोनों खिलाड़ियों ने हाथ मिलाते हुए खेल भावना का शानदार परिचय दिया।
18 रनों से भारत ने जीता मैच
युवराज द्वारा खेली गई ताबड़तोड़ पारी के दम पर भारत ने 20 ओवरों में 4 विकेट के नुकसान पर 218 रन बनाए और अंत में इस मैच को 18 रनों से अपने नाम किया। युवराज ने सेमीफाइनल में भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 30 गेंदों में 70 रनों की बेहतरीन पारी खेलते हुए भारत को फाइनल में पहुंचाया। इसके बाद भारत ने पहले टी-20 विश्वकप के फाइनल में पाकिस्तान को 5 रनों से हराते हुए खिताब को अपने नाम किया।