अर्जेंटीना के दिग्गज फुटबॉलर और पूर्व कोच डिएगो माराडोना का निधन हो गया है। अर्जेंटीना को फुटबॉल विश्व कप जिताने वाले माराडोना ने 60 साल की उम्र में हार्ट अटैक के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया। तीन सप्ताह पहले ही उनके दिमाग में ब्लड क्लॉट की सर्जरी हुई थी। सबसे महान खिलाड़ियों में उनकी गिनती होती है लेकिन मैदान के बाहर उनकी जिंदगी ड्रग और शराब के नशे से फंसी रही।
साहसी, तेज तर्रार और हमेशा अंदाजा से परे कुछ करने वाले माराडोना के पैरों का जादू पूरी दुनिया ने फुटबॉल के मैदान पर देखा। एक तरफ माराडोना फुटबॉल की दुनिया के सबसे कामयाब खिलाड़ियों में शामिल हो रहे थे तो दूसरी तरफ वह कोकीन के नशे में फंस चुके थे। 1991 में उन्हें 15 महीनों के लिए पाबंदी भी झेलनी पड़ी। 1997 में सन्यास से पहले उन्हें 1994 में वर्ल्ड कप से बाहर कर दिया गया था।
1999 और 2000 में भी उन्हें दिल की बीमारियों के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। 2004 में भी उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई थी। उन्हें वजन को नियंत्रित करने के लिए दो बार गैस्ट्रिक बाइपास सर्जरी से गुजरना पड़ा तो शराब के नशे की लत छुड़ाने के लिए भी इलाज लेना पड़ा। जनवरी में उन्हें पेट में ब्लीडिंग की शिकायत हुई तो जुलाई में घुटनों का ऑपरेशन कराना पड़ा था। तीन सप्ताह पहले ब्रेन में ब्लड क्लॉटिंग के कारण सर्जरी की गई थी।
माराडोना 1980 के दशक के मध्य में उस समय नशे की गिरफ्त में आए जब वह अपने करियर में पीक पर थे। लेकिन अगले दो दशकों तक वह बुरी तरह नशे में डूबे रहे। 2014 में माराडोना ने अपने नशे की आदत पर कहा था, ''मैं अपने विपक्षियों को बड़ा अडवांटेज देता हूं। आप जानते हैं कि यदि मैं ड्रग्स नहीं लेता तो मैं कैसा खिलाड़ी हो सकता था।'' 1996 में उन्होंने एक बार सार्वजनिक रूप से कहा था, ''मैं ड्रग एडिक्ट था, हूं और रहूंगा।''