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दो स्विस फुटबॉलरों ने सर्बिया के खिलाफ हाथों से क्यों बनाया 'डबल ईगल' का निशान

शुक्रवार को फीफा वर्ल्ड कप के एक मुकाबले में स्विट्जरलैंड ने सर्बिया को 2-1 से हरा दिया। लेकिन यह मैच...
दो स्विस फुटबॉलरों ने सर्बिया के खिलाफ हाथों से क्यों बनाया 'डबल ईगल' का निशान

शुक्रवार को फीफा वर्ल्ड कप के एक मुकाबले में स्विट्जरलैंड ने सर्बिया को 2-1 से हरा दिया। लेकिन यह मैच 'राजनीतिक वजहों' से चर्चा में आ गया। असल में जीत के बाद स्विट्जरलैंड के दो खिलाड़ियों शेरडन शकीरी और जाका ने अपने हाथों से ‘डबल ईगल’ का चिन्ह बनाया, जो कि अल्बानिया का राष्ट्रध्वज है। 

क्या है वजह?

जाका और शकीरी दोनों की जड़ें कोसोवो गणराज्य से जुड़ी हैं, जो पूर्व में युगोस्लाविया का हिस्सा था। 1980 में राजनीतिक अस्थिरता के चलते युगोस्लाविया टूट गया। सर्बिया भी इससे अलग हुआ और कोसोवो सर्बिया का एक राज्य बना।

कोसोवो के बहुसंख्यक अल्बानियन लोगों ने सर्बिया से आजादी के लिए 1981 में विरोध प्रदर्शन शुरु किए। अल्बानियन और कोसोवो के सर्ब लोगों में तनाव शुरु हो गया। 1998-99 के बीच दोनों के बीच हिंसा हुई, जिनमें कई अल्बानियन परिवारों को कोसोवो छोड़कर स्विट्जरलैंड आना पड़ा। जाका और शकीरी अल्बानियन शरणार्थी परिवारों से आते हैं। वे स्विट्जरलैंड में रिफ्यूजी की तरह पले-बढ़े।

हिंसा और तनाव के बीच 18 लाख की आबादी वाले कोसोवो को अलग देश की मान्यता देने के लिए सर्बिया से संघर्ष चला, जो आज भी जारी है। फुटबॉल सिर्फ गेंद लेकर मैदान में 90 मिनट तक दौड़ने का खेल नहीं है बल्कि यह खेल कई देशों की राजनीति, अस्मिता, भावनाओं और वहां के इतिहास से जुड़ा होता है। मैदान में घटी इस घटना का संदर्भ भी ऐतिहासिक है, जिससे जाका और शकीरी की भावनाएं जुड़ी हैं। हो सकता है फीफा दोनों स्विस खिलाड़ियों पर कार्रवाई करे लेकिन उन्होंने पूरे विश्व और सर्बिया तक अपनी बात पहुंचा दी।

कई लोग नाराज तो कई समर्थन में

कई लोग इसे प्रतिरोध का एक प्रतीक मानकर दोनों का समर्थन कर रहे हैं और टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस से उनकी तुलना कर रहे हैं, वहीं कई लोग इसकी आलोचना भी कर रहे हैं। यहां तक कि स्विट्जरलैंड के कोच भी इससे नाराज हैं। कोच व्लादीमिर पेतकोविच ने दोनों को जश्न मनाते हुए देखने के बाद कहा कि राजनीति और फुटबॉल को कभी आपस में नहीं मिलाना चाहिए।

पेतकोविच ने मैच के बाद पत्रकारों से कहा, ‘आपको राजनीति और फुटबॉल को कभी भी नहीं मिलाना चाहिए। प्रशंसक होना अच्छा है और सम्मान दिखाना अहम है। यह स्पष्ट है कि भावनाएं आ जाती हैं। लेकिन मुझे लगता है कि मैदान के अंदर और बाहर फुटबॉल से राजनीति को दूर रखना चाहिए और हमें इस पर खेल के लिहाज से ध्यान लगाना चाहिए जो लोगों को एक दूसरे के करीब लाता है।’

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