घुटने में गंभीर चोट के बावजूद बजरंग पूनिया ने टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लिया। वह हर हाल में भारत के लिए मेडल जीतकर लाना चाहते थे। हालाकि बजरंग पूनिया ब्रॉन्ज मेडल जीतकर खुश नहीं हैं।के साथ ही पूनिया ने अपने घुटने की चोट के बारे में चौंकाने वाला खुलासा किया है। उनका कहना है कि डॉक्टर्स ने उन्हें नहीं खेलने के लिए कहा था, बावजूद इसके वे पीछे नहीं हटे क्योंकि मेडल लाना ही उनका लक्ष्य था।
बजरंग पूनिया ने कहा, ''मैं ब्रॉन्ज मेडल जीतकर खुश नहीं हूं। मैं देश को वो मेडल नहीं दे पाया जिसकी मुझसे उम्मीद की गई थी। पेरिस ओलंपिक में ज्यादा समय नहीं बचा है और मुझे काफी मेहनत करने की जरूरत है.''
उन्होंने कहा, ''मुझे एक महीने पहले चोट लगी थी। इसी वजह से मुझे 25 दिन तक ट्रेनिंग से दूर रहना पड़ा। डॉक्टर्स मुझे आरान करने की सलाह दे रहे थे। लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता था।''
पूनिया ने अपने चोट के बारे में घर वालों को भी नहीं बताया था। स्टार रेसलर ने कहा, ''मेरी चोट के बारे में घर वालों को नहीं मालूम था। मुकाबला देखने के बाद हालांकि उन्हें मालूम चल गया। जब मैं हारा तो उन्होंने पूछा तुम्हारे घुटने को क्या हुआ है। उनके लिए ब्रॉन्ज मेडल भी गोल्ड से कम नहीं है।''
हालांकि उनके कोच ने पूनिया को ज्यादा प्रैक्टिस करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा, ''मेरे कोच का कहना था कि मुझे ज्यादा प्रैक्टिस करनी चाहिए लेकिन चोट के बाद मुझे पहले से अधिक मजबूत होने की जरूरत थी। इसलिए मैंने रात को सोना कम कर दिया था।''
बता दें कि पूनिया फ्री स्टाइल 65 किलोग्राम इवेंट में गोल्ड मेडल के दावेदार थे। लेकिन सेमीफाइनल में मिली हार के बाद बजरंग पूनिया को ब्रॉन्ज ही मिल पाया। कांस्य पदक के लिए हुए मुक़ाबले में उन्होंने कज़ाख़स्तान के दौलेत नियाज़बेकोव को कोई मौका नहीं दिया और 8-0 से हराकर उन्होंने पदक जीत लिया।