बीसीसीआई के नैतिक अधिकारी न्यायमूर्ति डीके जैन ने सोमवार को सचिन तेंदुलकर के खिलाफ हितों के टकराव के आरोप खारिज कर दिए क्योंकि इस दिग्गज क्रिकेटर ने सहमति योग्य 'संदर्भ की शर्तें' उपलब्ध नहीं कराने की दशा में क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएससी) का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया है।
जैन ने अपने दो पेज के फैसले में आरोपों को निराधार करार दिया तथा कहा कि तेंदुलकर ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी कि वह सीएसी के सदस्य के रूप में काम नहीं करेंगे जिसके बाद यह मामला निपटा दिया गया।
शिकायत को निराधार बताया
उन्होंने अपने फैसले में कहा कि एक बार जब बीसीसीआई कार्यक्षेत्र की शर्तों तथा कार्यकाल को स्पष्ट कर देता है तो वह इसका हिस्सा बनने के बारे में फैसला करेंगे। तेंदुलकर खुद को क्रिकेट सलाहकार समिति का हिस्सा नहीं मानते और इस रूप में काम नहीं करेंगे। इस कारण वर्तमान शिकायत कोई मायने नहीं रखती। इसलिए वर्तमान शिकायत को निराधार करार दिया जाता है और इस प्रकार उसका निपटारा किया जाता है।
बीसीसीआई के लोकपाल की भूमिका भी निभा रहे जैन ने कहा कि तेंदुलकर ने अपने वकील अमित सिब्बल के जरिए बयान जारी किया जो कि मामला खारिज करने के लिये पर्याप्त है।
वकील ने दी ये सफाई:
तेंदुलकर के कानूनी वकील के बयान में लिखा है: वर्तमान कार्यवाही में अपने अधिकारों और अंतर्विरोधों के पक्षपात के बिना, श्री सचिन तेंदुलकर इस बात को दोहराना चाहते हैं कि वे सीएसी की स्थापना के बाद से बीसीसीआई से अनुरोध कर रहे हैं कि संदर्भ की शर्तें और उनका कार्यकाल उनके लिए सुसज्जित करें।
उन्होंने हाल के वर्षों में बार-बार यह अनुरोध किया है, जैसे कि हाल ही में 7.12.2018 को। उनके पास अब कोई अन्य विकल्प नहीं है, अब वे बीसीसीआई से यह बात करें कि जब तक बीसीसीआई संदर्भ की शर्तों और उनकी नियुक्ति के कार्यकाल को प्रस्तुत नहीं करता है, तब तक वे सीएसी सहित बीसीसीआई की किसी भी समिति का हिस्सा नहीं होंगे।
संजीव गुप्ता ने लगाया था आरोप
इसका मतलब है कि अगर सीओए कार्यक्षेत्र की उचित शर्तों को उपलब्ध नहीं कराते तो फिर तेंदुलकर विश्व कप के बाद नए कोच की चयन प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे। मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ के सदस्य संजीव गुप्ता ने तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण पर हितों के टकराव का आरोप लगाया था क्योंकि वे सीएसी सदस्य होने के साथ आईपीएल फ्रेंचाइजी टीमों से भी जुड़े थे।
(एजेंसी इनपुट)