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कलमाड़ी का पद लेने से इनकार, मंत्रालय ने आईओए को कारण बताओ नोटिस भेजा

आलोचनाओं से घिरे दागी खेल प्रशासक सुरेश कलमाड़ी ने बुधवार को भारतीय ओलंपिक संघ के आजीवन अध्यक्ष का पद ठुकरा दिया जबकि खेल मंत्रालय ने आईओए को उसके विवादित फैसले पर कारण बताओ नोटिस जारी किया।
कलमाड़ी का पद लेने से इनकार, मंत्रालय ने आईओए को कारण बताओ नोटिस भेजा

कलमाड़ी के वकील हितेश जैन ने एक टीवी चैनल से कहा, उन्होंने पद नहीं लेने का फैसला किया है। उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं थी कि आईओए एेसा कुछ करेगा। उन्होंने अपने बेकसूर साबित होने तक कोई पद लेने से इनकार कर दिया है।कलमाड़ी ने आईओए अध्यक्ष एन रामचंद्रन को लिखे पत्र में कहा, मैं भारतीय ओलंपिक संघ को धन्यवाद देता हूं जिसने मुझे आजीवन अध्यक्ष पद दिया। लेकिन मुझे नहीं लगता कि इस समय यह सम्मान स्वीकार करना सही होगा। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि मुझे क्लीन चिट मिल जायेगी लेकिन तब तक मैं यह सम्मान स्वीकार नहीं कर सकता।

कलमाड़ी और एक अन्य दागी पूर्व अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला को आईओए ने मंगलवार को चेन्नई में सालाना आम बैठक में आजीवन अध्यक्ष बनाया था।

इसके बाद से विवाद पैदा हो गया और मंत्रालय ने आईओए को कारण बताओ नोटिस जारी करके चेतावनी दे डाली कि इन दोनों को हटाने या इनके इस्तीफा देने तक वह आईओए से कोई ताल्लुक नहीं रखेगा।

खेलमंत्री विजय गोयल ने यहां पत्रकारों से कहा, जिस तरीके से आईओए की जीबीएम में इन दोनों को आजीवन अध्यक्ष बनाया गया, वह ना तो उनके संविधान के अनुरूप है और ना ही मंत्रालय को स्वीकार्य है। मैं इससे निराश हूं क्योंकि दोनों पर भ्रष्टाचार के आपराधिक मामले चल रहे हैं। जब तक इन्हें निकाला नहीं जाता या ये इस्तीफा नहीं देते, मंत्रालय आईओए से कोई ताल्लुक नहीं रखेगा।

गोयल ने कहा, अगर आईओए एेसे ही फैसले करेगा तो सरकार को सोचना होगा। इस फैसले का संदेश गलत गया है और लोग इससे खफा है। हम खेलों में पारदर्शिता, सुशासन और जवाबदेही लाने का प्रयास कर रहे हैं और सभी खेल महासंघों को खेल आचार संहिता का पालन करना चाहिये। इस बीच आईओए के संबद्ध उपाध्यक्ष और अंतरराष्‍ट्रीय हाकी महासंघ के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने इस फैसले की निंदा करते हुए दोनों से पद से किनारा करने की अपील की।

उन्होंने कहा, मैं भी जल्दी ही आईओए छोड़ दूंगा क्योंकि मैं एेसे किसी संगठन से जुड़ा नहीं रह सकता जिसका सुशासन से कोई सरोकार नहीं है। मैं इन दोनों से अपील करता हूं कि आरोपों से क्लीन चिट मिलने तक कोई पद स्वीकार नहीं करे। हर किसी का एक दौर होता है और उसके बाद पद छोड़ना जरूरी होता है। कोई हमेशा किसी संगठन में नहीं रह सकता। उन्होंने कहा, इससे भारत की छवि विदेशों में बहुत खराब जाती है। वहां सुशासन और जवाबदेही पर बहुत फोकस किया जाता है और हमें इस पर ध्यान देना चाहिये। इस बीच पिछली सरकार के खेल मंत्री अजय माकन ने आईओए के फैसले को दुखद और दर्दनाक बताया।

उन्होंने कहा , पूर्व खेलमंत्री और खेलों का शौकीन होने के नाते मैं कलमाड़ी और चौटाला को आईओए का आजीवन अध्यक्ष बनाने के फैसले की निंदा करता हूं। यह दुखद और दर्दनाक है और खेलों तथा भारत की छवि के लिये अच्छा नहीं है।

माकन ने कहा, मैं खेलमंत्री से निवेदन करता हूं कि इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाये। सभी खेल महासंघों को मंत्रालय से अनुदान मिलता है लिहाजा सरकार को अपने अधिकार का पूरा प्रयोग करना चाहिये।

इस बीच चौटाला ने कहा, मैं खेलमंत्री विजय गोयल की प्रतिक्रिया से हैरान हूं। उनका दावा है कि मेरे खिलाफ आपराधिक और भ्रष्टाचार के मामले है। मेरे खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है, यह राजनीतिक मामला है।उन्होंने कहा कि वह भारत में ओलंपिक खेलों के लिये इतना कर चुके हैं कि वह इस पद के दावेदार हैं।

माकन ने भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर, भाजपा के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा, आईओए के मौजूदा उपाध्यक्ष तरलोचन सिंह पर भी इस फैसले का विरोध नहीं करने के लिये उंगली उठाई।कलमाड़ी 1996 से 2011 तक आईओए अध्यक्ष रहे और 2010 दिल्ली राष्टमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के संलिप्तता के कारण उन्होंने 10 महीने जेल में भी काटे लेकिन बाद में उन्हें जमानत पर रिहा किया गया।

चौटाला दिसंबर 2012 से फरवरी 2014 तक आईओए अध्यक्ष रहे जबकि राष्‍ट्रीय ओलंपिक संस्था को अंतरराष्टीय ओलंपिक समिति ने एेेसे उम्मीदवारों को चुनाव में उतारने के कारण निलंबित कर दिया था जिनके खिलाफ आरोप पत्रा दाखिल थे। आईओसी ने बाद में आईओए प्रमुख के तौर पर चौटाला के चुनाव को रद्द कर दिया था। भाषा एजेंसी 

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