क्रिकेट जुनून और लगन का खेल है। इंटरनेशनल लेवल तक पहुंचने के लिए खिलाड़ी काफी मेहनत करते हैं और फिर वहां पहुंचने के बाद भी उन्हें अपना नाम बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। जब कोई खिलाड़ी इंटरनेशनल लेवल पर खेलता है तो उसे पूरी दुनिया देखती है और उसके अच्छे खेल पर उसकी सराहना भी करती है, उसे फॉलो करती है, लेकिन मैदान पर या मैदान के बाहर किए जाने वाले उसके कामों से उसकी छवि भी काफी जल्दी खराब होती है।
कई खिलाड़ियों के हुए करिअर बर्बाद
पिछले दो-तीन दशक से क्रिकेट में मैच फिक्सिंग का भूत काफी ज्यादा चल गया है और कई खिलाड़ी इसके चपेट में आकर अपना करिअर भी बर्बाद कर चुके हैं। कुछ खिलाड़ी इंटरनेशनल लेवल पर अपने देश के लिए खेलते हुए फिक्सिंग के आरोप में पकड़े गए हैं और उनका करिअर खत्म हो गया है तो वहीं कुछ खिलाड़ी घरेलू लीग में भी फिक्सिंग करके अपना करिअर खत्म कर चुके हैं। आज हम इस विषय पर इसलिए बात कर रहे हैं क्योंकि कल ही एस श्रीसंत का बीसीसीआई ने आजीवन प्रतीबंध हटा दिया है। बीसीसीआई ने 36 वर्षीय श्रीसंत पर अगस्त 2013 में राजस्थान रॉयल्स टीम के अपने साथी अजित चंदीला और अंकित चव्हाण के साथ उस साल के आईपीएल में कथित स्पॉट फिक्सिंग में लिप्त होने के कारण प्रतिबंध लगा दिया था।
आज हम ऐसे ही कुछ खिलाड़ियो की बात करेंगे जो फिक्सिंग में लिप्त होने के कारण प्रतिबंधित हो चुके है या फिर अपना करिअर ही खत्म कर बैठे थे।
मोहम्मद अजहरुद्दीन
सचिन तेंडुलकर के उदय से पहले यदि भारत के पास कोई स्टाइलिश और धुंआधार बल्लेबाज था तो वो थे मोहम्मद अजहरुद्दीन जिन्होंने टेस्ट और वनडे दोनों में अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया था। इसके अलावा अजहरुद्दीन को भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक भी माना जाता है। 15 हजार से ज्यादा इंटरनेशनल रन बनाने वाले अजहरुद्दीन पर फिक्सिंग में शामिल होने का आरोप खुद फिक्सिंग में फंसे अफ्रीकी खिलाड़ी हैंसी क्रोनिए ने लगाया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक क्रोनिए को सट्टेबाजों से अजहरुद्दीन ने ही मिलवाया था क्योंकि उनका सट्टेबाजों से लंबे समय से संबंध था।
इसके अलावा अजहरुद्दीन पर मुंबई के अंडरवर्ल्ड से भी गहरी दोस्ती रखने का आरोप लगा और उनका करिअर बुरी तरह बर्बाद होने लगा। 2000 में बीसीसीआई और आईसीसी ने उन्हें आजीवन के लिए बैन कर दिया। कुछ सालों बाद आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट के निर्णय के बाद बीसीसीआई ने तो अपना बैन हटा लिया। हालांकि तब तक उनकी खेलने की उम्र जा चुकी थी और वो फिर कभी क्रिकेट महीं खेल पाए।
हैंसी क्रोनिए
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान और अफ्रीका के लिए नौ हजार से ज्यादा इंटरनेशनल रन बनाने वाले हैंसी क्रोनिए पर 7 अप्रैल, 2000 में फिक्सिंग का आरोप लगा था। उनके साथ हर्शल गिब्स और निकी बोए का नाम भी इस कांड में शामिल था। इस केस की जांच कराई गई और क्रोनिए ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया जिसके बाद उन पर क्रिकेट से आजीवन बैन लगा दिया गया।
सितंबर 2001 में उन्होंने अपने ऊपर लगाए बैन के खिलाफ अपील भी किया, लेकिन उनकी अपील को तुरंत खारिज कर दिया गया। 1 जून, 2002 को एक विमान दुर्घटना में 32 वर्षीय क्रोनिए की मौत हो गई। जब उनकी मौत की जांच कराई गई तो पता चला पायलट की लापरवाही से विमान दुर्घटना का शिकार हुआ था। हालांकि, उनकी मौत के बाद कई लोगों का मानना था कि फिक्सिंग का सच बाहर ना आ जाए इसलिए क्रोनिए की हत्या करवा दी गई।
मनोज प्रभाकर
मनोज प्रभाकर को भारत के बेहतरीन ऑलराउंडर्स में से एक माना जाता था और उनकी गेंदबाजी कमाल की थी। भारत के लिए 96 टेस्ट और 157 वनडे विकेट लेने वाले प्रभाकर टेस्ट और वनडे दोनों में भारत के लिए शानदार काम करते थे। 1996 वर्ल्ड कप के बाद प्रभाकर को इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टीम में नहीं चुना गया जिसके बाद उन्होंने उस समय टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगाया।
उन्होंने 1999 में तहलका के स्टिंग ऑपरेशन में भी हिस्सा लिया और बीसीसीआई के खिलाफ आवाज उठाई। इसके बाद बीसीसीआई ने जांच कराई और खुद प्रभाकर को ही फिक्सिंग का दोषी पाया जिसके बाद उन्हें आजीवन के लिए बैन कर दिया गया। वे भी इसके बाद कभी क्रिकेट के मैदान पर वापसी नहीं कर पाए।
मोहम्मद आमिर, मोहम्मद आसिफ और सलमान बट
2010 में लॉर्ड्स टेस्ट मैच में इंग्लैंड के खिलाफ पाकिस्तान के तेज गेंदबाज मोहम्मद आमिर और मोहम्मद आसिफ ने जानबूझकर नो गेंद फेंकी थी जिसका खुलासा एक स्टिंग ऑपरेशन के दौरान हुआ था। उस समय आमिर की उम्र 20 साल के करीब थी और वह इंटरनेशनल क्रिकेट में पाकिस्तान के उभरते हुए चेहरे थे।
इस घटना में उस समय पाकिस्तान के कप्तान रहे बाएं हाथ के बल्लेबाज सलमान बट भी शामिल थे और सभी खिलाड़ियों ने ऐसा करने के लिए सट्टेबाजों से पैसे लिए थे। आईसीसी की जांच में तीनों खिलाड़ी गुनहगार साबित हुए जिसके बाद सलमान बट पर 10 साल, आसिफ पर सात साल और आमिर पर पांच साल का बैन लगाया था।
इसके अलावा बट को 30 महीने, आसिफ को एक साल और आमिर को छह महीने जेल की सजा भी सुनाई गई। बट के बैन से पांच और आसिफ के बैन से तीन साल इस शर्त पर कम कर दिए गए थे कि वे आगे से ऐसी गलती नहीं करेंगे। आमिर ने इंटरनेशनल क्रिकेट में अच्छी वापसी कर ली है, लेकिन आसिफ और बट अभी भी घरेलू क्रिकेट खेल रहे हैं।
अब ऐसे में देखना यह होगा कि क्या श्रीसंत अगले साल सितंबर से अपना प्रतिबंध हटने के बाद क्रिकेट के मैदान पर वापसी कर पाएंगे या नहीं।