देश में चुनावी सरगर्मी अपने उफान पर है इस बीच विभिन्न दलों की ओर से कई सेलिब्रिटी भी उसका ताप बढ़ाने मे लगे हैं। इनमें शामिल अधिसंख्य खिलाड़ी हैं, जो खेल के मैदान की जगह चुनावी मैदान में अपना पसीना बहा रहे हैं।
खिलाड़ियों के व्यक्तित्व से बड़ा उन्हें भारत में सेलिब्रिटी का दर्जा दिया जाता है, जो उन्हें जनता के बीच एक लोकप्रिय चेहरा भी बनाता है। क्रिकेट का मैदान हो या निशानेबाजी का क्षेत्र.. हॉकी हो या फिर तैराकी हो, इन क्षेत्रों के कई दिग्गजों ने अपनी ताकत साबित करने के बाद, अपनी दूसरी पारी शुरू करने के लिए राजनीति की ओर रुख किया। कुछ कामयाब रहे तो वहीं कुछ फेल भी हुए, लेकिन कोई भी चेहरा ऐसा नही आया जिसने राजनीति पर अपनी बड़ी छाप छोड़ी हो। आम चुनाव 2019 के मैदान में इस बार गौतम गंभीर, बॉक्सर विजेंद्र सिंह व कृष्णा पूनिया हैं।
जानिए कुछ अन्य खिलाड़ियों का राजनैतिक सफर:
चेतन चौहान
भारतीय राष्ट्रीय टीम के लिए सुनील गावस्कर के साथ पूर्व सलामी बल्लेबाज, चेतन ने भारत के लिए 40 टेस्ट मैचों में 2084 रन बनाए हैं। हालांकि चेतन बाद में भाजपा में शामिल हो गए और 1991 और 1998 में दो बार अमरोहा से अपनी लोकसभा सीट जीती। खेल की तरह, चेतन को अपने राजनीतिक करियर में भी हार का सामना करना पड़ा, जब वह 1996, 98 और 2004 में तीन बार लोकसभा चुनाव हार गए।
मोहम्मद अजहरुद्दीन
मोहम्मद अजहरुद्दीन ने 99 टेस्ट मैचों में अपने पहले तीन टेस्ट मैचों में तीन शतक सहित 21 शतक और 22 अर्द्धशतक के साथ कुल 6215 रन बनाए। उन्होंने 334 एकदिवसीय मैचों में उस समय कुल 9378 एकदिवसीय रन बनाए हैं।
मैच फिक्सिंग के आरोप लगने के बाद उनका खेल करियर पटरी से उतर गया था। इसके बाद उन्होने अपनी खोई हुई साख बदलने के लिए राजनीति का सहारा लिया। उन्होंने 2009 के चुनावों में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया, और मुरादाबाद से जीतकर संसद के सदस्य बने। हालांकि 2014 के आम चुनाव में उन्हे हार का सामना करना पड़ा।
मंसूर अली खान पटौदी
भारत के अब तक के सबसे अच्छे क्रिकेट कप्तान मंसूर अली खान पटौदी ने दो बार राजनीति में कदम रखा था। पहली बार था जब इंदिरा गांधी ने प्रिवी पर्स को खत्म कर दिया था। टाइगर ने "विश्वास के उल्लंघन" का विरोध किया और विशाल हरियाणा पार्टी के टिकट पर गुड़गांव से 1971 के आम चुनाव लड़े और बुरी तरह हार गए थे। फिर 1991 में वे भोपाल से कांग्रेस के टिकट पर खड़े हुए लेकिन इस बार भी उन्हे हार का सामना करना पड़ा।
राज्यवर्धन सिंह राठौर
सबसे सफल भारतीय एथलीट, जिन्होंने खेल से राजनीति में बदलाव किया। वह एक डबल-ट्रैप शूटर थे, जिन्होने 2004 के ओलंपिक में भारत को रजत पदक दिलाकर एकमात्र पदक जीता था। कर्नल राठौर ने अपने शूटिंग करियर में सात अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक हासिल किए हैं। सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद, राठौर भाजपा में शामिल हो गए।
वह जयपुर ग्रामीण सीट से जीत गए। हालांकि, उनका शिखर 2014 में आया था, जब उन्हें सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। राठौर को कैबिनेट मंत्री के रूप में 2017 में युवा मामलों और खेल के मुक्त प्रभार के लिए चुना गया था। वह सबसे सफल भारतीय खिलाड़ियों में से एक हैं जो राजनेता बन गए।
कीर्ति आज़ाद
1983 विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा, कीर्ति आज़ाद ने भारत के लिए 7 टेस्ट और 25 वनडे खेले। हालांकि उनका राजनीति से नाता पुराना है क्योंकि उनके पिता भागवत झा आजाद ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया था।
एक खिलाड़ी के रूप में अपने करियर के बाद, उन्होंने टेलीविजन पर प्रसारण का रुख किया। वह कई समाचार चैट-शो और मैच-बाद के टेलीविज़न चर्चाओं का हिस्सा रहे हैं। फिर भी, उन्होंने अंततः राजनीति में ही खुद को सहज पाया और कहीं न कहीं यह उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण भी हो सकता है। उन्होंने भाजपा के टिकट पर दरभंगा से 2014 का लोकसभा चुनाव जीता। बहरहाल आगामी लोकसभा चुनाव से पहले कीर्ति आजाद ने बीजेपी छोड़ कर कांग्रेस का दामन थाम लिया है।
ए एस खान
ए एस खान निस्संदेह भारत के स्वर्णिम हॉकी युग से एक बहुत बड़ा नाम है। उन्होंने 1975 कुआलालंपुर में विश्व कप जीता। हरी टर्फ पर राष्ट्र की सेवा करने के बाद शेर खान संसद सदस्य और कांग्रेस के साथ केंद्रीय मंत्री के रूप में भारतीय राजनीति में आ गए। खान 1997 में भाजपा में शामिल हुए, लेकिन 1999 में वे फिर से कांग्रेस परिवार के साथ जुड़ गए।
नवजोत सिंह सिद्धू
नवजोत सिंह सिद्धू जिन्हे अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के साथ-साथ अपने जुमलों और ठहाकों के लिए भी जाना जाता है। सिद्धू ने 1983 में अपना डेब्यू किया था और भारतीय टीम के लिए 51 टेस्ट खेले। उन्होंने 134 वनडे मैचों में भी टीम का प्रतिनिधित्व किया।
वे अपनी विचित्र शैली और कमेंट्री के दौरान व्यंग्याात्मक शायरी और उपमाओं के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। उनकी टिप्पणियों को उनके चाहने वालो के द्वारा "सिद्धूवाद" के रूप में याद किया जाता है। फिर भी, उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया, और 2004 में भाजपा में शामिल हो गए। वह राजनीतिक क्षेत्र में भी सफल रहे हैं, दो बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। फिलहाल वे पंजाब की कांग्रेस सरकार में मंत्री हैं।
नफीसा अली
दो बार की राष्ट्रीय तैराकी चैंपियन खिलाड़ी से एक अभिनेत्री बनी और फिर राजनीति में आई 62 वर्षीय नफीसा अली ने विभिन्नताओं भरा जीवन जीया और कई बार अपना करियर बदला।
1972-1974 तक, वह भारतीय तैराकी में हावी रहीं, बैक टू बैक राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीतीं। वह कलकत्ता जिमखाना क्लब में एक जॉकी भी थीं। नफीसा ने राजनीति में अपना करियर 2004 में शुरू किया, वह तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गईं और पश्चिम बंगाल में दक्षिण कोलकाता सीट के लिए चुनाव लड़ा। हालांकि, अपने निर्वाचन क्षेत्र में हारने के बाद, उन्हें अपने अगले मौके के लिए पांच और साल इंतजार करना पड़ा। 2009 में, उन्होंने लखनऊ से समाजवादी पार्टी के लिए चुनाव लड़ा। उस समय उनकी चुनावी उम्मीदवारी में जीत हुई। हालांकि, सपा के साथ एक संक्षिप्त कार्यकाल के बाद, वह उसी वर्ष कांग्रेस में शामिल हो गई।
अब देखना यह होगा कि इस आम चुनाव में चुने जाने के बाद क्या कोई खिलाड़ी राजनीति में कोई बड़ा किर्तिमान स्थापित कर पाता हैं या नही?