Advertisement

#MeToo: आरोपमुक्त हुए BCCI के सीईओ राहुल जौहरी, बोले- जिंदगी का सबसे मुश्किल समय झेला

प्रशासकों की समिति (सीईओ) द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय जांच समिति ने बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी को #MeToo के...
#MeToo: आरोपमुक्त हुए BCCI के सीईओ राहुल जौहरी, बोले- जिंदगी का सबसे मुश्किल समय झेला

प्रशासकों की समिति (सीईओ) द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय जांच समिति ने बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी को #MeToo के आरोपों से दोषमुक्त करार दिया। समिति ने कम से कम दो महिलाओं के अरोपों को खारिज करते हुए इन्हें ‘मनगढ़ंत’ बताया।

जौहरी को पिछले तीन हफ्ते से छुट्टी पर जाने को बाध्य किया गया था, लेकिन अब वह काम पर लौट सकते हैं। जांच समिति के एक सदस्य ने हालांकि उनके लिए ‘लैंगिक संवेदनशील काउंसिलिंग’ की सिफारिश की है।

इस मुद्दे पर दो सदस्यीय प्रशासकों की समिति का रुख बंटा हुआ था। अध्यक्ष विनोद राय ने जौहरी के काम पर लौटने को स्वीकृति दी जबकि डायना एडुल्जी ने कुछ सिफारिशों के आधार पर उनके इस्तीफे की मांग की जिसमें काउंसिलिंग भी शामिल है।

आरोपमुक्त होने के बाद जानें क्या बोले जौहरी

राहुल जौहरी ने यौन उत्पीड़न के मामले में तीन सदस्यीय जांच समिति से आरोपमुक्त होने के बाद बुधवार को कहा कि पिछले छह सप्ताह उनकी जिंदगी का ‘सबसे मुश्किल’ समय था। जौहरी ने अपना कामकाज संभालने के बाद कहा, ‘मैं आज अपने कार्यालय में लौट आया हूं और सभी सहयोगियों ने गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया। पिछले डेढ़ महीने मेरे और मेरे परिवार के लिए काफी कठिन रहे हैं। मैं चाहूंगा की जो मैंने झेला है वैसा किसी के साथ ना हो। मेरी पत्नी सीमा और दोनों बेटे मेरी कानूनी टीम के साथ बैठे थे। वे मेरे बचाव का हिस्सा थे। अगर मुझे परिवार और दोस्तों का साथ नहीं मिला होता तो मेरे लिए मानसिक तौर पर यह लड़ाई लड़ना मुश्किल होता। मुझे हमेशा से भगवान पर भरोसा था कि मैं इस मामले में पाक साफ होकर निकलूंगा।’

यौन उत्पीड़न के आरोप झूठे, आधारहीन और मनगढ़ंत

जांच समिति के प्रमुख न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राकेश शर्मा ने अपने निष्कर्ष में कहा, ‘कार्यालय या कहीं और यौन उत्पीड़न के आरोप झूठे, आधारहीन और मनगढ़ंत हैं जिनका मकसद राहुल जौहरी को नुकसान पहुंचाना था।’ तीन सदस्यीय जांच समिति में दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष बरखा सिंह और वकील कार्यकर्ता वीना गौड़ा भी शामिल थीं।

वीना ने बर्मिंघम में चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान एक शिकायतकर्ता से ‘अनुचित बर्ताव’ के लिए जौहरी की काउंसिलिंग की सलाह दी। वीना ने हालांकि कहा कि जौहरी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का कोई मामला नहीं बनता।

सुप्रीम कोर्ट को भी सौंपी जाएगी रिपोर्ट

सीओए ने 25 अक्टूबर को गठित इस समिति को जांच पूरी करने के लिए 15 दिन का समय दिया था। इसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को भी सौंपी जाएगी। सीओए की सदस्य एडुल्जी चाहती हैं कि बुधवार को यह रिपोर्ट प्रकाशित नहीं हो और उन्होंने मांग की कि इसका अध्ययन करने के लिए उन्हें कम से कम कुछ दिन का समय दिया जाए।

सीओए प्रमुख विनोद राय ने हालांकि समिति के सदस्यों और बीसीसीआई की विधि टीम के समक्ष रिपोर्ट को खोल दिया। एडुल्जी समिति के गठन के खिलाफ थीं और चाहती थीं कि आरोपों के आधार पर जौहरी को बर्खास्त किया जाए जबकि राय का मानना था कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के अनुसार किसी कार्रवाई से पहले जांच जरूरी है।

गुमनाम ईमेल में लगाए गए थे आरोप

जौहरी के खिलाफ सबसे पहले यौन दुराचार के आरोप एक गुमनाम ईमेल में लगाए गए थे जिसे ट्विटर पर डाला गया, लेकिन बाद में इस पोस्ट को हटा दिया गया। आरोपी का दावा था कि जौहरी की पिछली नौकरी में वह उसके साथ काम करती थीं। इसके बाद दो और आरोप लगाए गए। इसमें से एक सिंगापुर में रहने वाली मीडिया पेशेवर और एक अन्य महिला थी जो जौहरी के साथ उनके पिछले संस्थान में काम कर चुकी थी।

स्काइप के जरिए दोनों महिलाओं ने सुनवाई में हिस्सा लिया

इन दोनों महिलाओं ने स्काइप के जरिए सुनवाई में हिस्सा लिया। इसके अलावा बीसीसीआई की भ्रष्टाचार रोधी इकाई के पूर्व प्रमुख नीरज कुमार, बीसीसीआई कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी, आईपीएल याचिकाकर्ता आदित्य वर्मा और मुंबई के पूर्व कप्तान शिशिर हट्टनगड़ी ने भी सुनवाई में हिस्सा लिया।

इसके अलावा जौहरी के खिलाफ बीसीसीआई की महिला कर्मचारी के साथ भी अनुचित व्यवहार का आरोप लगा. इस महिला कर्मचारी ने हालांकि सुनवाई में हिस्सा नहीं लिया। जौहरी गवाही के लिए पहुंचने वाले अंतिम व्यक्ति थे जो दो दिन चली।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad