टोक्यो ओलंपिक 2020 के 11 वें दिन भारत की महिला हॉकी टीम ने शानदार प्रदर्शन कर सेमीफाइनल में अपनी जगह बना ली है। सोमवार को हुए ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच महिला हॉकी के क्वार्टर फाइनल मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हरा दिया। ऐसा पहली बार हुआ है जब महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक में ऑस्ट्रेलिया को हरा कर सेमीफाइनल में एंट्री की है। इस मैच में एक किसान परिवार में जन्मी ड्रैग फ्लिकर गुरजीत कौर के गोल ने टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रच दिया। जिसके प्रदर्शन का पूरा भारत दीवाना हो गया है। हर कोई जानना चाहता है कि वह कौन है, उन्होंने हॉकी की शुरुआत कब से और कैसे की।
कौन हैं गुरजीत कौर
अमृतसर की मियादी कला गांव की रहने वाली 25 साल की गुरजीत किसान परिवार से है। जिनका हॉकी से कोई संबंध नहीं था। उनके पिता सतनाम सिंह बेटी की पढ़ाई को लेकर काफी गंभीर थे। गुरजीत और उनकी बहन प्रदीप ने शुरुआती शिक्षा गांव के निजी स्कूल से ली और फिर बाद में उनका दाखिला तरनतारन के कैरों गांव में स्थित बोर्डिंग स्कूल में करा दिया गया। गुरजीत का हॉकी का सपना वहीं से शुरू हुआ। बोर्डिंग स्कूल में लड़कियों को हॉकी खेलता देख गुरजीत बहुत प्रसन्न हुई और उन्होंने इसे अपनी जिंदगी बनाने का फैसला कर लिया।
गुरजीत और उनकी बहन ने खेल में जल्द ही महारत हासिल की जिसके कारण उन्हें मुफ्त शिक्षा प्राप्त हुई। इसके बाद गुरजीत कौर ने अपना ग्रेजुएशन जालंधर के लायलपुर खालसा कॉलेज से पूरा किया। इसके तुरंत बाद ही उन्होंने बिना देर किए राष्ट्रीय स्तर पर खेलना शुरू किर दिया था।
हॉकी के सफर की शुरुआत
गुरजीत कौर को देश के लिए खेलने का पहला मौका 2014 में सीनियर नेशलन कैंप में मिला था। हालांकि वह टीम में अपनी जगह पक्की नहीं कर पाई थी। गुरजीत एक मात्र महिला खिलाड़ी है जिन्होंने 2017 में भारतीय महिला हॉकी टीम की स्थायी सदस्य बनी। उन्होंने मार्च 2017 में कनाडा में टेस्ट सीरीज भी खेली ही। उन्होंने अप्रैल 2017 में हॉकी वर्ल्ड लीग राउंट 2 और जुलाई 2017 में हॉकी वर्ल्ड लीग सेमीफाइनल में प्रतिनिधित्व किया था।
टोक्यो ओलंपिक में सोमवार को हुए मैच के 22वें मिनट में गुरजीत ने पेनल्टी कार्नर पर एक महत्वपूर्ण गोल किया था। इसके बाद भारतीय टीम ने अपनी पूरी ताकत गोल बचाने में लगा दी जिसमें वह सफल रही। गोलकीपर सविता ने भी बेहतरीन प्रदर्शन कर पूरी टीम ने बहुत अच्छा साथ दिया।
आखिरी बार भारतीय महिला टीम 1980 के ओलंपिक में अंतिम 4 में पहुंची थी। 1980 के ओलंपिक राउंड रॉबिन के आधार पर खेला गया था जिसमें महिला टीम आखिरी 4 में पहुंची थी।