भारत की स्टार शटलर पीवी सिंधू ने शनिवार को स्विटजरलैंड के बासेल में आयोजित बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया है। सेमीफाइनल मुकाबले में सिंधू ने चीन की चेन यू फे को 40 मिनट तक चले मुकाबले में सीधे 21-7, 21-14 से मात देकर लगातार तीसरी बार विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में प्रवेश किया। इससे पहले साल 2017 में ग्लास्गो और 2018 में चीन के नानजिंग में आयोजित विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने में कामयाब रही थी। लेकिन दोनों ही बार वो खिताबी जीत हासिल करने में नाकामयाब रही। ऐसे में सिंधू इस बार फाइनल में अपने मेडल का रंग बदलने की पुरजोर कोशिश करेंगी।
एकतरफा मुकाबले में चीनी खिलाड़ी को हराया
दुनिया की पांचवें नंबर की महिला एकल खिलाड़ी पीवी सिंधू ने दुनिया की नंबर तीन खिलाड़ी चेन यू फे को कोई मौका नहीं दिया। पहला गेम सिंधू ने महज 15 मिनट में 21-7 के अंतर से अपने नाम कर लिया। इसके बाद दूसरे गेम में हाथ टाइम तक 11-7 की बढ़त भी हासिल कर ली थी। लेकिन इसके बाद चीनी खिलाड़ी ने वापसी की पुरजोर कोशिश की लेकिन उनकी मेहनत रंग नहीं ला सकी और 21-14 के अंतर से सिंधू ने जीत दर्ज कर लगातार तीसरी बार वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में एंट्री की।
2013 में इस चैंपियनशिप में पदक जीतने पहली महिला भारतीय
सिंधू ने शुक्रवार को सेमीफाइनल में एंट्री करते ही विश्व चैंपियनशिप में अपना पांचवां पदक पक्का कर लिया था। साल 2013 में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थी। इसके बाद साल 2014 में भी उन्होंने कांस्य पदक जीता और विश्व चैंपियनशिप में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनीं थी। इसके बाद साल 2017 और 2018 में उन्होंने सिल्वर मेडल अपने नाम किए थे। ऐसे में प्रशंसकों को उनसे स्वर्णिम सफलता की दरकार है। सिंधू ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप जैसी स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक अपने नाम नहीं कर सकी हैं। साल 2016 में रियो ओलंपिक में भी उन्होंने रजत पदक अपने नाम किया था।
साई प्रणीत भी कर चुके हैं पदक पक्का
वहीं दूसरी ओर पुरुष सिंगल में साई प्रणीत भी सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास रच चुके हैं। अब से कुछ देर बाद सेमीफाइनल में उनका सामना जापान के केंटो मोमोटा की चुनौती होगी। प्रकाश पादुकोण के बाद वर्ल्ड चैंपियनशिप में पुरुष सिंगल में मेडल जीतने वाले प्रणीत दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं। पादुकोण ने 36 साल पहले 1983 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक जीता था। उन्हें कांस्य पदक मिला था। पहली बार है जब भारत को महिला व पुरुष वर्ग के सिंगल्स में पदक मिलेगा।