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प्रधानमंत्री मोदी ने ‘आश्रम भूमि वंदना’ कार्यक्रम के तहत महात्मा गांधी साबरमती आश्रम पुनर्विकास प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दांडी कूच के दिवस के अवसर पर मंगलवार को अहमदाबाद स्थित साबरमती...
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘आश्रम भूमि वंदना’ कार्यक्रम के तहत महात्मा गांधी साबरमती आश्रम पुनर्विकास प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दांडी कूच के दिवस के अवसर पर मंगलवार को अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम में आयोजित ‘आश्रम भूमि वंदना’ कार्यक्रम में शिरकत कर महात्मा गांधी साबरमती आश्रम पुनर्विकास प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया। इसके साथ ही उन्होंने पुनर्विकसित कोचरब आश्रम का उद्घाटन भी किया।

प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी की प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पित की और आश्रम में स्थित गांधी जी के निवास ‘हृदय कुंज’ भी गए। प्रधानमंत्री ने पुनर्विकास प्रोजेक्ट को दर्शाती प्रदर्शनी को भी निहारा और आश्रम परिसर में पौधरोपण किया। इस समारोह में राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद रहे।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि साबरमती आश्रम हमेशा से अप्रतिम ऊर्जा के एक जीवंत केंद्र रहा है। यहां आकर हम बापू की प्रेरणा का अनुभव करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि साबरमती आश्रम ने पूज्य बापू के सत्य, अहिंसा, राष्ट्रसेवा और वंचितों की सेवा में नारायण सेवा को देखने के मूल्यों को जीवंत रखा है।

प्रधानमंत्री ने दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद गांधी जी द्वारा स्थापित कोचरब आश्रम में उनके द्वारा बिताए गए समय का वर्णन किया।

श्री मोदी ने 12 मार्च की ऐतिहासिक तारीख का उल्लेख करते हुए कहा कि पूज्य बापू ने इस दिन दांडी कूच की शुरुआत की थी और यह तारीख भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से अंकित हो गई। यह ऐतिहासिक दिन स्वतंत्र भारत में एक नए युग की शुरुआत का गवाह बन गया है। उन्होंने कहा कि आज का दांडी कूच का दिवस एक ऐतिहासिक दिवस है। साबरमती आश्रम से शुरू हुई दांडी यात्रा ने आजाद  भारत की पृष्ठभूमि तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

12 मार्च, 2022 से ही राष्ट्र ने साबरमती आश्रम से ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ की शुरूआत की थी। उस बात का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत देशवासियों ने देश के बलिदानियों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि अमृत महोत्सव ने अमृत काल में प्रवेश के लिए एक प्रवेशद्वार बनाया। अमृत महोत्सव के अवसर पर देश में जनभागीदारी का ऐसा वातावरण बना था, जैसा आजादी के पहले के समय में देखने को मिला था। उन्होंने महात्मा गांधी के आदर्शों और मूल्यों के प्रभाव और अमृत महोत्सव के दायरे के विषय में भी चर्चा की।

प्रधानमंत्री ने आजादी का अमृत महोत्सव की सफलता की बात करते हुए कहा कि इस महोत्सव के अंतर्गत 3 करोड़ से अधिक लोगों ने पंच प्राण की शपथ ली, 2 लाख से अधिक अमृत वाटिकाओं का निर्माण किया गया तथा 2 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए। इसके साथ ही, जल संरक्षण की दिशा में भी काम किया गया, जिसके अंतर्गत 70,000 से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण किया गया है। इसके अलावा हर घर तिरंगा अभियान के माध्यम से पूरा देश राष्ट्रभक्ति के रंग में रंग गया था और मेरी माटी, मेरा देश कार्यक्रम के जरिए लाखों शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई तथा 2 लाख से अधिक शिला पट्टिकाओं की स्थापना की गई।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जो राष्ट्र अपनी धरोहर को नहीं संजो पाता, वह अपना भविष्य भी खो देता है। बापू को साबरमती आश्रम केवल देश ही नहीं, बल्कि पूरी मानव जाति की विरासत है। इस अमूल्य विरासत के प्रति लंबे समय तक रखे गए उपेक्षा के भाव को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी 120 एकड़ में फैला यह आश्रम घटकर 5 एकड़ ही रह गया। उन्होंने कहा कि यहां मौजूद 63 इमारतों में से अब केवल 36 इमारतें ही बची हैं, और केवल 3 इमारतें ही आगंतुकों के लिए खुली हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में आश्रम के महत्व को ध्यान में रखकर इसे सहेजकर रखना 140 करोड़ भारतीयों का दायित्व है।

प्रधानमंत्री ने आश्रम की 55 एकड़ जमीन को वापस लेने में आश्रमवासियों के सहयोग की सराहना की तथा आश्रम की सभी इमारतों को उनके मूल स्वरूप में सहेजकर रखने की मंशा व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने ऐसे स्मारकों की लंबे समय से हो रही उपेक्षा के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव, औपनिवेशिक मानसिकता और तुष्टिकरण को जिम्मेदार ठहराया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश की धार्मिक और ऐतिहासिक विरासतों के विकास के संबंध में चर्चा करते हुए कहा कि सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति के परिणामस्वरूप तथा लोगों के सहयोग से काशी विश्वनाथ धाम के पुनर्निर्माण के लिए 12 एकड़ जमीन निकल आई, जिस पर भक्तों के लिए सुविधाएं विकसित की गई हैं। काशी विश्वनाथ धाम के पुनर्विकास के बाद 12 करोड़ श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आए हैं। इसी तरह, अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि के विस्तार के लिए 200 एकड़ जमीन को मुक्त कराया गया। वहां भी पिछले 50 दिनों में 1 करोड़ से अधिक भक्त दर्शन के लिए पहुंचे हैं।

प्रधानमंत्री ने गुजरात में विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के विकास की चर्चा करते हुए कहा कि गुजरात ने पूरे देश को विरासत के संरक्षण की राह दिखाई है। उन्होंने सरदार पटेल के नेतृत्व में सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार को ऐतिहासिक घटना बताया और चांपानेर, धोलावीरा, लोखल, गिरनार, पावागढ़, मोढेरा और अंबाजी के साथ ही वर्ल्ड हेरिटेज सिटी अहमदाबाद का उदाहरण देते हुए कहा कि गुजरात में विरासतों को सहेजने और उन्हें समृद्ध करने वाले काम किए गए हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमने भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी विरासत के लिए विकास का अभियान चलाया है। उन्होंने राजपथ का कर्तव्यपथ के रूप में पुनर्विकास और वहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा की स्थापना तथा अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े स्थानों के विकास का उल्लेख किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने ‘पंच तीर्थ’ के रूप में बी.आर. आंबेडकर से जुड़े स्थानों का विकास और एकता नगर में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की स्थापना का भी उल्लेख किया। श्री मोदी ने कहा कि साबमती आश्रम का पुनर्विकास इस दिशा में एक निर्णायक कदम है।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भविष्य में आने वाली पीढियां और साबरमती आश्रम में आने वाले लोगों को चरखे की शक्ति और क्रांति को जन्म देने की उसकी क्षमता से प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि बापू ने ऐसे राष्ट्र में आशा और विश्वास भर दिया था, जो सदियों की गुलामी के कारण हताशा का शिकार हो रहा था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बापू का विजन देश को उज्ज्वल भविष्य के लिए स्पष्ट दिशा दिखाता है। उन्होंने कहा कि सरकार गांव-गरीब के कल्याण को प्राथमिकता दे रही है और महात्मा गांधी द्वारा दिए गए आत्मनिर्भरता एवं स्वदेशी के आदर्शों का अनुसरण कर आत्मनिर्भर भारत अभियान चला रही है।

श्री मोदी ने प्राकृतिक कृषि के संबंध में बात करते हुए कहा कि गुजरात में 9 लाख किसान परिवारों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है, जिसके कारण गुजरात में यूरिया की खपत में 3 लाख मीट्रिक टन की कमी दर्ज की गई है।

प्रधानमंत्री ने उन आदर्शों का आधुनिक स्वरूप में अनुसरण करने पर जोर दिया, जिसे हमारे पूर्वजों-महापुरुषों ने स्थापित किया है। उन्होंने गांव-गरीबों की आजीविका और आत्मनिर्भर अभियान को प्राथमिकता देने के लिए खादी का उपयोग बढ़ाने का अनुरोध किया।

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