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वेदांता एल्युमीनियम ने झारसुगुड़ा में बनाए 130 'नंद घर'

"127 गांवों के 7000 से अधिक बच्चों की जिंदगी में बदलाव के वाहक बनेंगे नंद घर" भारत की सबसे बड़ी एल्युमीनियम...
वेदांता एल्युमीनियम ने झारसुगुड़ा में बनाए 130 'नंद घर'

"127 गांवों के 7000 से अधिक बच्चों की जिंदगी में बदलाव के वाहक बनेंगे नंद घर"

भारत की सबसे बड़ी एल्युमीनियम उत्पादक कंपनी वेदांता ने झारसुगुड़ा में महिलाओं और बच्चों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाने का बीड़ा उठाया है। वेदांता ने झारसुगुड़ा में 130 नंद घर बनाए हैं। इन नंद घरों का उपयोग झारसुगुड़ा जिले के 127 गांवों में रहने वाले 7 हजार से अधिक बच्चे करेंगे। 

उद्घाटन समारोह में झारसुगुड़ा की विधायक दीपाली दास, जिला ग्रामीण विकास एजेंसी के परियोजना निदेशक प्रबीर कुमार नायक, जिला समाज कल्याण अधिकारी पुण्यबती हेलेन खेस और वेदांता एल्युमीनियम के सीओओ सुनील गुप्ता उपस्थित थे।

उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए विधायक दीपाली दास ने कहा कि ‘मैं बच्चों और महिलाओं के समग्र विकास के लिए हमारी आंगनबाड़ियों को सभी आवश्यक सुविधाओं के साथ आधुनिक बनाने के लिए वेदांता और अनिल अग्रवाल फाउंडेशन को धन्यवाद देना चाहती हूं।

यही नहीं दीपाली दास ने वेदांता द्वारा झारसुगुड़ा और लाइकेरा में शुरू किए गए अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक सेंटर की सराहना करते हुए कहा कि वेदांता के व्यवसाय की मूल भावना भी सामुदायिक कल्याण से प्रेरित है।

जिला ग्रामीण विकास एजेंसी के परियोजना निदेशक प्रबीर कुमार नायक ने कहा कि “वेदांता के नंद घर बच्चों के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्नत तकनीक का प्रयोग करके प्री-स्कूलिंग के दरम्यान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाती है जो बच्चों के सुनहरे भविष्य की सुदृढ़ नींव बनती है।

जिला समाज कल्याण अधिकारी पुण्यबती हेन खेस ने कहा कि ‘मैं बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए वेदांता की आभारी हूं। वेदांता से आग्रह करती हूं कि वह अपने परिवर्तनकारी प्रयासों को सभी आंगनबाड़ियों तक विस्तारित करे, ताकि प्रत्येक बच्चे का विकास सुनिश्चित हो सके।

जमीनी स्तर पर विकास के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए वेदांत एल्युमीनियम के सीओओ सुनील गुप्ता ने कहा कि नंद घर हमारे अध्यक्ष अनिल अग्रवाल के विकास केंद्रित कार्यक्रमों के माध्यम से जमीनी स्तर पर महिलाओं और बच्चों की जिंदगी में बदलाव लाने की प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है।

उन्होने कहा कि आधुनिक बुनियादी ढांचे और समग्र प्रशिक्षण में पर्याप्त निवेश के माध्यम से, हम ग्रामीण महिलाओं के विकास के नए रास्ते खोल रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि भारत के बच्चों को उन्नत सुविधाएं मिले। यह ग्रामीण क्षेत्रों में पूरे समुदायों को बदलने और उन्हें सामाजिक-आर्थिक मुख्यधारा में लाने में मदद कर रहा है।

नंद घरों को स्मार्ट टेलीविजन सेट, स्वच्छ पेयजल के लिए जल शोधक, सामुदायिक स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ शौचालय और चौबीस घंटे बिजली सुनिश्चित करने के लिए सौर पैनलों से सुसज्जित हैं। बिल्डिंग ऐज लर्निंग एड (BALA) दृष्टिकोण के अनुसार डिज़ाइन की गई, स्कूल भवन की दीवारों में आकर्षक और इंटरैक्टिव शिक्षण तकनीकें लगाई गई है। ये नंद घर बाल विकास और महिला सशक्तिकरण के एकीकृत दृष्टिकोण का प्रतीक हैं।

2015 में लॉन्च किया गया नंद घर वेदांत की प्रमुख सामुदायिक पहल है, जिसे भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से अनिल अग्रवाल फाउंडेशन के तत्वावधान में चलाया जा रहा है। नंद घर पारंपरिक आंगनबाड़ियों से आगे बढ़कर 6 साल से कम उम्र के बच्चों को प्री-स्कूल तैयारी, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए पौष्टिक भोजन और घर ले जाने वाले राशन के माध्यम से पौष्टिक पोषण, एएनएम कर्मचारियों के माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करके शिक्षा के क्षेत्र में समग्र सेवाएं प्रदान करते हैं।

यह परियोजना संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (यूएन एसडीजी) भूख (लक्ष्य 2), अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण (लक्ष्य 3), गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (लक्ष्य 4), और असमानता कम करने सरीखे लक्ष्यों से भी जुड़ी है।

वेदांता स्थानीय समुदायों को सशक्त और विकास के पथ पर अग्रसर करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाता है। ये कार्यक्रम महिला एवं बाल विकास समेत शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, कौशल विकास, जमीनी स्तर के खेल, कला और संस्कृति के क्षेत्रों से जुड़े हैं, इनसे ना केवल झारसुगुड़ा बल्कि आसपास के क्षेत्रों के लगभग 80 गांवों के 3 लाख से अधिक लोग लाभान्वित होते हैं। यह 358 से अधिक एसएचजी की 4000 से अधिक महिलाओं को सशक्त बनाता है, सालाना लगभग 43,000 लोगों को घर तक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है, 13,000 से अधिक छात्रों को शैक्षिक सहायता देता है, सामुदायिक स्तर पर स्थानीय लोगों के साथ साझेदारी में 1.48 लाख से अधिक पेड़ लगाए हैं।

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