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उत्तराखंड हिमस्खलन: बचाव कार्य के लिए वायुसेना के एमआई-17 और चीता हेलीकॉप्टर तैनात

भारतीय वायु सेना के अधिकारियों के अनुसार, उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्रों...
उत्तराखंड हिमस्खलन: बचाव कार्य के लिए वायुसेना के एमआई-17 और चीता हेलीकॉप्टर तैनात

भारतीय वायु सेना के अधिकारियों के अनुसार, उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में रविवार को तलाशी अभियान के लिए एक एमआई-17 हेलीकॉप्टर ड्रोन आधारित इंटेलिजेंट बरीड ऑब्जेक्ट डिटेक्शन सिस्टम को एयरलिफ्ट करने के लिए तैयार है।

28 फरवरी को जोशीमठ के माणा गांव के पास बीआरओ कैंप में हुए हिमस्खलन के बाद वायुसेना के चीता हेलीकॉप्टर शनिवार से चमोली के माणा क्षेत्र में बचाव अभियान में लगे हुए हैं।

उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा, "मौसम ने हमारा साथ दिया है। कुल 54 (बीआरओ श्रमिक) लापता हैं, 50 को बचा लिया गया है और चार लोगों की जान चली गई है। चार लोग अभी भी लापता हैं और तलाशी एवं बचाव अभियान चल रहा है। हमें उम्मीद है कि हम उन्हें जल्द ही ढूंढ लेंगे।"

घायल बीआरओ श्रमिकों को आगे के उपचार के लिए जोशीमठ सेना अस्पताल ले जाया जा रहा है। हिमस्खलन के बाद बर्फ में फंसे शेष श्रमिकों की तलाश के लिए एसडीआरएफ की एक टीम आज पीड़ित लोकेटिंग और थर्मल इमेज कैमरा के साथ रवाना हुई।

पुलिस महानिरीक्षक एसडीआरएफ रिधिम अग्रवाल के निर्देशानुसार माणा में हिमस्खलन के दौरान लापता श्रमिकों की तलाश के लिए एसडीआरएफ की एक विशेषज्ञ टीम को विक्टिम लोकेटिंग कैमरा (वी.एल.सी.) एवं थर्मल इमेज कैमरा के साथ सहस्त्रधारा से हेलीकॉप्टर के माध्यम से घटना स्थल पर भेजा गया है। इन उपकरणों (विक्टिम लोकेटिंग कैमरा (वी.एल.सी.) एवं थर्मल इमेज कैमरा) की मदद से खोज की जाएगी।

चमोली के जिला मजिस्ट्रेट संदीप तिवारी ने शनिवार को कहा कि बचाए गए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के 24 श्रमिकों का जोशीमठ में उपचार चल रहा है, जबकि एक व्यक्ति को रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण एयर एम्बुलेंस के जरिए एम्स ऋषिकेश भेजा गया है।

मुख्यमंत्री ने कल सुबह हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया था। मुख्यमंत्री ने आर्मी अस्पताल में इलाज करा रहे श्रमिकों से मुलाकात की और उनका हालचाल जाना।

उन्होंने जिलाधिकारी को निर्देश दिए कि खोज एवं बचाव अभियान में आवश्यक संसाधनों की कोई कमी न हो और कहा कि केंद्र सरकार भी सभी आवश्यक सहायता उपलब्ध करा रही है। जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि, "बीआरओ के 57 मजदूर वहां कंटेनरों में रह रहे थे, जिनमें से 2 मजदूर छुट्टी पर थे। 55 मजदूरों में से आईटीबीपी और सेना ने तेजी से खोजबीन की और अब तक 50 लोगों को बचा लिया है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने 4 हेलीकॉप्टर भेजे हैं। इनकी मदद से अब तक 25 मजदूरों को ज्योतिर्मठ पहुंचाया जा चुका है।"

उत्तराखंड सरकार ने भी 28 फरवरी 2025 को जोशीमठ के माणा गेट स्थित बीआरओ कैंप के पास हुए हिमस्खलन पर विस्तृत रिपोर्ट जारी की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशन में बचाव एवं राहत कार्य युद्ध स्तर पर जारी है।

रिपोर्ट के अनुसार, बचाए गए लोगों को एयरलिफ्ट करके जोशीमठ लाया गया है और उनका इलाज सेना के अस्पताल में चल रहा है। सेना, आईटीबीपी, बीआरओ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और अग्निशमन सेवाओं सहित आपदा प्रबंधन बलों के करीब 200 जवान राहत कार्यों में लगे हुए हैं।

माना बेस कैंप के पास सेना के हेलीपैड को आपातकालीन ऑपरेशन के लिए तैयार कर दिया गया है। भारी बर्फबारी के कारण बद्रीनाथ में 6-7 फीट तक बर्फ जमा हो गई है और कई स्थानों पर सड़कें बंद हो गई हैं। बद्रीनाथ के पास बर्फबारी के कारण अवरुद्ध 5-6 किलोमीटर के हिस्से को साफ करने के प्रयास जारी हैं।

1 मार्च को सुबह 10 बजे उत्तराखंड सब एरिया के जीओसी मेजर जनरल प्रेम राज और ब्रिगेडियर हरीश सेठी ने राज्य आपातकालीन ऑपरेशन सेंटर (एसईओसी) का दौरा कर सैन्य नेतृत्व में चल रहे बचाव अभियान का आकलन किया और पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।

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