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4 अगस्त 2025 · AUG 04 , 2025

क्रिकेटः आकाश खिला, दीप हुआ रोशन

2018 के बाद विदेशी धरती पर किसी भारतीय तेज गेंदबाज का 10 विकेट लेना संभव हो पाया है, यह मुकाम बुमराह जैसे अनुभवी गेंदबाज भी नहीं छू सके हैं
आकाशदीप

बर्मिंघम के एजबेस्टन में इंग्लैंड के खिलाफ भारत की 336 रनों की जीत टीम की तो थी ही, लेकिन यह जीत एक खिलाड़ी के जोश-जज्‍बे और तकनीकी परिपक्वता की भी थी। कप्तान शुभमन गिल ने दोनों पारियों में 430 रन बनाकर रिकॉर्ड की झड़ी लगा दी, लेकिन लगभग सपाट पिच पर 28 वर्षीय तेज गेंदबाज आकाश दीप ने 10 विकेट लेकर भारतीय टेस्ट क्रिकेट में दुर्लभ उपलब्धि दर्ज की। 2018 के बाद विदेशी धरती पर किसी भारतीय तेज गेंदबाज का 10 विकेट लेना संभव हो पाया है। यह मुकाम अब तक जसप्रीत बुमराह जैसे अनुभवी गेंदबाज भी नहीं छू सके हैं। बिहार के छोटे-से गांव से आकर करियर के शुरुआती चरण में ऐसा प्रदर्शन साधारण बात नहीं है, खासकर तब, जब टीम में बुमराह की जगह खेलने का मौका मिला हो। आकाश के खेल में जो परिपक्वता  दिखी वह सिर्फ क्रिकेटिंग स्किल का परिणाम नहीं है, बल्कि उन परिस्थितियों की समझ का हिस्सा भी है, जिसमें उनका खेल और समझ दोनों आकार ले चुके हैं। सासाराम जिले के बड्डी गांव के आकाश दीप का सफर आसान नहीं रहा। बिहार से अलग होकर झारखंड बनने के बाद वर्षों तक राज्य में क्रिकेट की व्यवस्था अव्यवस्थित रही। बीसीसीआइ की मान्यता की लड़ाई के कारण बिहार के खिलाड़ियों के लिए पेशेवर क्रिकेट तक पहुंचना बेहद कठिन हो गया था। तभी महेंद्र सिंह धोनी ने भी बिहार छोड़कर झारखंड की राह पकड़ी थी। कई प्रतिभाओं को इसी कारण दूसरे राज्यों में जाना पड़ा। आकाश बंगाल गए, जहां घरेलू क्रिकेट का ढांचा अधिक संगठित है। उन्हें दुर्गापुर से क्लब क्रिकेट में जगह मिली और फिर कोलकाता के यूनाइटेड क्लब तक पहुंचा, जहां उन्हें रणदेब बोस और सौराशीष लाहिड़ी जैसे कोच मिले। शुरुआत में, वे बल्लेबाज थे, लेकिन अपने कोचों के अनुरोध पर उन्होंने तेज गेंदबाजी की ओर रुख किया। हालांकि, आकाश का करियर सिर्फ पिच पर बनी रणनीतियों का नतीजा नहीं था, उसमें निजी संघर्ष की मेहनत भी थी।

आकाश पर 2015 में कई मुश्किलों के पहाड़ टूट पड़े। पैरालिसिस से पिता का निधन हुआ और दो महीने बाद बड़े भाई की मौत मलेरिया से हो गई। 19 वर्षीय आकाश के सामने न केवल करियर, बल्कि पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई। हालात ही ऐसे बन गए कि उन्हें क्रिकेट से दूरी बनानी पड़ी। लगभग तीन साल तक वे मैदान से बाहर रहे। इसी दौर में पीठ की चोट ने उसकी वापसी को और मुश्किल बना दिया। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। कोचिंग या सपोर्ट सिस्टम के बिना, उन्होंने अकेले नेट पर अभ्यास किया, वीडियो देखे, अपनी तकनीक को बेहतर बनाया और धीरे-धीरे वापसी की।

आकाश दीप लौटे, तो अपने टैलेंट से फिर सबका दिल जीत लिया। नतीजा यह हुआ कि बंगाल ने एक ही साल में उन्हें सैयद मुश्ताक अली टी20 ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी और रणजी ट्रॉफी में डेब्यू कैप थमा दी। 2019-20 के रणजी सीजन में बंगाल के लिए 35 विकेट लेकर उन्होंने खुद को साबित किया। उसके बाद भारत ए की ओर से इंग्लैंड ए के खिलाफ मैच में 11 विकेट लेकर उन्होंने राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा। 2022 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरू से उनका आइपीएल करार हुआ। 2024 में इंग्लैंड के खिलाफ रांची में टेस्ट डेब्यू मिला। अभी तक खेले गए 8 टेस्ट मैचों में उसके नाम 25 विकेट दर्ज हैं। लेकिन बर्मिंघम टेस्ट में उनका स्पेल अब तक का सर्वश्रेष्ठ रहा है। गेंदबाजी में अनुशासन, लंबी स्पेल में तीव्रता बनाए रखना और बल्लेबाजों की तकनीकी कमजोरियों को भांपकर उसके अनुसार बॉल फेंकना अहम होता है। जिस गेंद पर उन्होंने जो रूट को आउट किया, उसे सचिन तेंडुलकर ने भी ‘‘बॉल ऑफ द सीरीज’’ कहा। यही वजह है कि प्रदर्शन को केवल संयोग नहीं कहा जा सकता। यह कठिन और प्रतिबद्ध तैयारी का परिणाम है।

इस सफर का एक और पहलू है, जिसके बारे में मीडिया ने भले ही कम लिखा लेकिन यह आकाश दीप के लिए बहुत अहम था। 2025 की शुरुआत में जब वे लखनऊ सुपरजायंट्स के लिए आइपीएल खेल रहे थे, तब पता चला कि उनकी बड़ी बहन को स्टेज-3 कैंसर है। आकाश ने इलाज के हर चरण में बहन का साथ दिया और टूर्नामेंट के बीच में भी लगातार संपर्क में बने रहे। एजबेस्टन टेस्ट के बाद उन्होंने अपने 10 विकेट की सफलता बहन को समर्पित की। उन्होंने मैच के बाद कहा, ‘‘बहन, यह तुम्हारे लिए है।’’ मैच के बाद उन्होंने दो बार बहन से बात की और बताया, ‘‘बहन पूरा देश तुम्हारे साथ है।’’ निजी जिंदगी के इस कठिन दौर का असर उनके खेल में भी झलकता है। वे वहां जैसे संतुलन साधे रहते हैं, वही संतुलन उनके स्पेल में लगातार दिखाई देता है। बिना बिखरे और लाइन-लेंथ बनाए रखते हुए वे मैच की स्थितियों के अनुसार बॉलिंग की अपनी शैली बदल लेते हैं।

हाल में भारतीय तेज गेंदबाजी बुमराह, शमी और कुछ हद तक सिराज के इर्द-गिर्द घूमती रही है। आकाश दीप ने दिखाया कि नए विकल्प भी निर्णायक खिलाड़ी बन सकते हैं। उन्होंने बुमराह की कमी मैदान पर महसूस नहीं होने दी। सिराज ने दूसरे छोर से अनुभव और नियंत्रण का प्रदर्शन किया। यह जीत सिर्फ एक तेज गेंदबाज के उभार की नहीं, बल्कि उस सिस्टम की भी है, जो अब खिलाड़ियों को मौका देने और उसे निखारने का जज्‍बा दिखा रहा है। आकाश दीप का नाम अब सिर्फ संभावनाओं की सूची में नहीं है। उन्होंने इंग्लैंड में 10 विकेट लेकर खुद को विकल्प से जरूरत में बदल दिया है। एक ऐसा गेंदबाज, जो परिस्थिति को नहीं, परिस्थिति उसे परिभाषित करती है।

 

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