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पुस्तक समीक्षा: दृष्टिहीनों की दुनिया का बेहतरीन चित्रण

इस पुस्तक के अधिकतर पात्र दृष्टिहीन हैं, जिनके जरिए दृष्टिहीनों की दुनिया का बेहतरीन चित्रण किया गया है।
दृष्टिहीनों पर लिखी पुस्तक

जब भी हम शारीरिक रूप से विकलांग किसी व्यक्ति को देखते हैं, तो हमारी दृष्टि में या तो दया का भाव होता है या तिरस्कार का। हम कभी यह नहीं सोचते कि उनके जीवन में भी प्रेम, दुख, हताशा आदि मानव गुण अन्य लोगों जैसे ही हो सकते हैं। इस नजरिए से प्रदीप सौरभ की पुस्तक ब्लाइंड स्ट्रीट हमें इन बातों का एहसास कराती है। इस पुस्तक के अधिकतर पात्र दृष्टिहीन हैं, जिनके जरिए दृष्टिहीनों की दुनिया का बेहतरीन चित्रण किया गया है। लेखक ने बताया है कि प्रेम जैसा सद्गुण हो अथवा अवैध संबंध और मक्कारी जैसा दुर्गुण, यह सब दृष्टिहीनों की दुनिया में भी है।

पुस्तक में लेखक ने यह बताने का भी प्रयास किया है कि दृष्टिहीनों के नाम पर किस तरह खेल किए जाते हैं। उनके नाम से स्कूल तो हैं लेकिन वहां पढ़ाई नहीं होती। पढ़ाई के नाम पर बच्चों के हाथ में ढोल, मजीरे और करताल थमा दिए जाते हैं। व्यवस्था का हाल तो यह है कि देश में दृष्टिहीनों की सही संख्या तक की जानकारी नहीं। ऐसे में वे क्या करते हैं और कहां हैं, इस जानकारी की अपेक्षा करना बेमानी होगी। हॉस्टल में रहने वाली दृष्टिहीन लड़कियों की हालत तो काफी बदतर है। वहां हॉस्टल प्रशासन की मिलीभगत से उनका शारीरिक शोषण होता है। पुस्तक से हमें समाज की और भी कई कुरीतियों का पता चलता है। जैसे दृष्टिहीनों के हॉस्टल में टोना-टोटका वाले दानकर्ता आते हैं और तंत्र-मंत्र की हुई खाद्य सामग्री दे जाते हैं।

पुस्तक में एक वार्तालाप के जरिए आज की व्यवस्था पर कड़ा प्रहार किया गया है। यह वार्तालाप कुछ इस तरह है, “आज तो पूरा देश ही अंधा हो गया है। किसी को कुछ दिख नहीं रहा है। इतनी गड़बड़ियों के बाद भी बोलने के लिए कोई तैयार नहीं है। सबके मुंह पर जैसे टेप चिपका दी गई है।” नागरिकता संशोधन कानून, इसके खिलाफ शाहीन बाग और जामिया में प्रदर्शन और फिर पुलिस की ज्यादती, इन सब का जिक्र करते हुए समकालीन राजनीति पर भी कटाक्ष किया गया है।

पुस्तक हमें बताती है कि समाज के बाकी लोगों को विकलांगों के प्रति सोचने का नजरिया बदलना चाहिए। उनके प्रति हमें अपने मन में सहानुभूति का नहीं, बल्कि सम्मान का भाव रखना चाहिए। हम यह न समझें कि वे सिर्फ भजन-कीर्तन करने और भीख मांगने के ही काबिल हैं।

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