दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के 250 वार्डों के लिए नौ महीने की देरी से हुए चुनाव में पंद्रह साल का भारतीय जनता पार्टी का राज खत्म हो गया। बीते 7 दिसंबर को आए परिणाम में आम आदमी पार्टी ने 134, भाजपा ने 104 और कांग्रेस ने 9 वार्डों में जीत हासिल की है। इस तरह देश के बड़े महानगरों चेन्नई, कोलकाता और मुंबई के बाद दिल्ली के नगर निकाय पर भी भाजपा का नियंत्रण अब नहीं बचा है। यह चुनाव दो कारणों से अहम था। पहला, दिल्ली में 2020 के दंगों के बाद यह पहला स्थानीय चुनाव था। दूसरा, पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के एकीकरण के बाद यह पहला निकाय चुनाव था। यह चुनाव मार्च 2022 में होना था लेकिन केंद्र सरकार द्वारा एकीकरण के फैसले के चलते देर से हुआ।
दो अहम नतीजे इस चुनाव के ये हैं कि एक तो दिल्ली दंगे की जद में आने वाले उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के 19 वार्डों में से 12 पर भाजपा की जीत हुई है जबकि आप को चार और कांग्रेस को दो सीटें मिली हैं। कांग्रेस को मिली नौ सीटों पर जीते हुए उम्मीदवारों में से सात मुसलमान हैं, जो एक अहम राजनीतिक संकेत है। दूसरी बड़ी बात इस परिणाम की यह है कि आधे से ज्यादा यानी 132 महिला पार्षदों के साथ एक समलैंगिक प्रत्याशी भी जीता है। सुल्तानपुरी-ए वार्ड से आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी बॉबी की जीत हुई है जो समलैंगिक हैं। एक और महत्वपूर्ण परिणाम यह है कि आप के दिग्गज नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले वार्डों पर आप के प्रत्याशी हार गए हैं। सत्येंद्र जैन हवाला के मामले में जेल में हैं जबकि सिसोदिया शराब नीति पर प्रवर्तन निदेशालय की जांच में फंसे हुए हैं। इसका सीधा असर मतदाताओं के फैसले पर दिखा है।
इस नतीजे के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही प्रदेश अध्यक्ष को बदले जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। इस बीच सिसोदिया ने आरोप लगाया है कि उनके जीते हुए पार्षदों के पास भाजपा की ओर से सौदेबाजी के लिए फोन आ रहे हैं। निकाय चुनाव में चूंकि दल बदल कानून लागू नहीं होता है इसलिए खरीद-फरोख्त की अटकलों का बाजार गर्म है ताकि अपना मेयर बनाया जा सके। सिसोदिया ने अपने पार्षदों को सख्त निर्देश दिया है कि ऐसे किसी फोन कॉल को वे रिकॉर्ड कर लें।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक इस बार चुने गए 250 पार्षदों में 167 करोड़पति हैं जबकि 2017 के चुनाव में चुने गए 266 में से 135 पार्षद करोड़पति थे। लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वेक्षण के मुताबिक दिल्ली सरकार के बुनियादी मुद्दों पर प्रदर्शन के कारण आप को चुनावी कामयाबी मिली है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में 'डबल इंजन' सरकार का वादा मतदाताओं से किया था। मतदाताओं ने उन्हें सकारात्मक जवाब दिया है। खासकर गरीब तबके और महिलाओं ने आप के प्रत्याशियों में भरोसा जताया है। जीते हुए प्रत्याशियों का विश्लेषण बताता है कि अगर तीनों निकायों का एकीकरण नहीं हुआ होता तो पूर्वी दिल्ली नगर निगम भाजपा की झोली में चला जाता जबकि बाकी दो में आप कामयाब रहती।