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हरियाणाः बेखौफ अवैध खनन

सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार राज्य को सालाना पांच हजार करोड़ रुपये का चूना लगा रहा है खनन माफिया
खनन के चलते आई बाढ़ की वजह से किसानों की सैकड़ों एकड़ धान की फसल बर्बाद हो गई है

नए साल की पहली सुबह पांच खनन मजदूरों की आखिरी सुबह थी। 2022 के पहले ही दिन हरियाणा के भिवानी जिले के डाडम में अवैध खनन की वजह से डाडम पहाड़ के खिसकने से पांच लोग जिंदा दफन हो गए। जांच के लिए गठित विशेष टीम एसआइटी की रिपोर्ट अभी फाइलों में उलझी ही है कि 19 जुलाई की सुबह मेवात के तावडू में खनन माफिया की भेंट चढ़े डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई की हत्या के मामले में एक और एसआइटी गठित हो गई। यही नहीं, अवैध खनन के सिलसिले में दो साल में दर्जन भर से अधिक एसआइटी गठित की गई, जिनकी रिपोर्ट ठंडे बस्ते में है। पूर्व मुख्यमंत्री तथा नेता प्रतिपक्ष भुपेंद्र सिंह हुड्डा ने आउटलुक से बातचीत में कहा, “अवैध खनन, नौकरियों की भर्ती परीक्षा के पेपर लीक, शराब तथा रजिस्ट्री घोटालों की जांच के नाम पर सरकार ने दर्जनों एसआइटी गठित की, लेकिन एक की भी रिपोर्ट सामने नहीं आई है। मौजूदा सरकार में एसआइटी का मतलब स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम नहीं बल्कि ‘सिटिंग इन्वेस्टिगेशन ऑन टेबल’ हो गया है।”  अवैध खनन पर एसआइटी की तमाम रिपोर्टों का इंतजार ही है, जबकि हालात बदतर होते जा रहे हैं। मेवात की अरावली पहाड़ियों से लेकर उत्तर प्रदेश की सीमा से लगते यमुनानगर, करनाल और पंचकूला जिले में अवैध खनन जोरों पर जारी है। अवैध खनन के चलते यमुनानगर के खिजराबाद में यमुना नदी पर बने हथिनी कुंड बैराज और पंचकूला में कौशल्या बांध खतरे में है। खनन के चलते यमुनानगर का ताजेवाला बांध पहले ही बहने के कगार पर है।

अवैध खनन का खतराः हथनीकुंड बैराज पर संकट

अवैध खनन का खतराः हथनीकुंड बैराज पर संकट   

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 1 जनवरी 2020 से 31 जुलाई 2022 तक हरियाणा में अवैध खनन के 1,835 मामले दर्ज किए गए। इस दौरान 1977 लोगों की गिरफ्तारी की गई और 4065 वाहन जब्त किए गए। अवैध खनन की रोकथाम के लिए तैनात पुलिस बल एवं खनन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों पर हमला करने वालों पर दर्ज 69 एफआइआर के तहत 194 आरोपी गिरफ्तार किए गए। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर एक और दलील देते हैं। उन्होंने कहा, “वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अवैध खनन पर रोक लगी है, जो राजस्व से स्पष्ट होता है। हमारी सरकार के कार्यकाल में 2015-16 से 2021-22 तक सात साल में खनन से 4,660 करोड़ रुपये राजस्व आया है जबकि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान 2005 से 2014 तक केवल 1,268 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हुआ था। राजस्व के आंकड़े बता रहे हैं कि पिछली सरकार के कार्यकाल में हमारी सरकार की तुलना में अधिक अवैध खनन था। विधानसभा के मानसून सत्र में कई विधायकों के खनन माफिया पर नकेल कसने के सुझावों पर विचार किया जाएगा। डीएसपी सुरेंद्र सिंह की मृत्यु के मामले में एसआइटी ने 10 एफआइआर दर्ज कर के 11 लोगों को गिरफ्तार किया है।” गृह मंत्री अनिल विज ने कहा, “डीएसपी की हत्या के मामले में तह तक जाने के लिए न्यायिक जांच कराई जाएगी। इसके लिए पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एलएन मित्तल की अगुवाई में आयोग गठित किया है।”

एसआइटी दर एसआइटी बैठाने और राजस्व आंकड़ों की बाजीगरी से अवैध खनन में कमी दिखाने में लगी खट्टर सरकार को यह भी एहसास नहीं है कि फरवरी 2016 से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हथिनी कुंड बैराज के चारों ओर 2.1 किलोमीटर क्षेत्र में खनन पर प्रतिबंध लगाया है। इसके बावजूद वहीं खनन माफिया की कारगुजारियां जारी हैं? सीएजी की ताजा रिपोर्ट में भी खट्टर सरकार को खनिज ठेकेदारों से 1,476.21 करोड़ रुपये वसूली न करने की बात कही गई है। रिपोर्ट में सीएजी ने कहा है कि 95 खनिज खदानों की जांच और निरीक्षण का कोई रिकॉर्ड नहीं है। अवैध खनन से राज्य सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व नुकसान पर गृह मंत्री अनिल विज ने सीएजी रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने आउटलुक से कहा, “सीएजी रिपोर्ट के कोई मायने नहीं हैं। सीएजी रिपोर्ट की जांच के लिए विधानसभा की पब्लिक अकाउंट कमेटी (पीएसी) को भेजी जाएगी। पीएसी की रिपोर्ट के बाद ही अवैध खनन बारे में कुछ कहा जा सकता है।”  

सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 69 खनन ठेकेदारों से किस्त और ब्याज का 1155.84 करोड़ रुपये वसूला ही नहीं गया। सरकार खनन ठेकेदारों से माइंस और मिनरल रिहैबिलिटेशन फंड का 66.74 करोड़ रुपये का मूल और ब्याज लेना भी भूल गई। सरकार की नाक के नीचे खनन ठेकेदार दोगुने खनन क्षेत्र में खनिजों का दोहन करते पाए गए हैं। यहां तक कि गैरकानूनी खनन के चलते नदी के बहाव का मुंह तक मोड़ दिया गया, तटबंध की सीमा पूरी तरह से बदल दी गई और गैरकानूनी तरीके से पुल बनाए गए। सीएजी ने 95 खनन क्षेत्रों में से तीन खनन क्षेत्रों का ‘जियो स्पेशियल सर्वे’ (भू-स्थानिक सर्वे) करवाया। गुमथला उत्तर खनन ब्लॉक के सर्वे में यह साफ तौर से साबित हुआ कि खनन ठेकेदार आवंटित क्षेत्र से दोगुने क्षेत्र (204 प्रतिशत) में खनन कर रहा था। स्वाभाविक तौर से खनन किए जाने वाले रिजर्व की मात्रा भी 20.34 लाख टन से बढ़कर 44.72 लाख टन हो गई थी। सीधे-सीधे सरकार को राजस्व में 100 प्रतिशत चूना लगा है। 

गैरकानूनी खनन से नदी की धारा तक मोड़ दी गई और एक तटबंध भी पूरी तरह से बदल गया। यहां तक कि खनन करने के लिए नदी पर एक पुल भी बना लिया गया। रेत माफिया ने नदी के बीचोबीच ‘डैम’ बनाकर नदी के प्राकृतिक बहाव को भी रोका है।

सीएजी ने यह भी पाया कि बगैर निविदा आमंत्रित किए ही खुलेआम गैर-कानूनी खनन हो रहा है। इस बारे सीएजी ने यमुनानगर के नगली ब्लॉक की सैटेलाइट इमेज लगाकर यह साबित भी किया कि हरियाणा सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। सरकार को इन 95 खनिज खदानों से 2,133 करोड़ रुपये सालाना की आय होनी चाहिए। अगर इसे सभी 95 खनन क्षेत्रों में लागू किया जाए और यह माना जाए कि तीन-चौथाई खनन क्षेत्रों में दोगुने या उससे अधिक क्षेत्रफल में खनन हो रहा है तो 5,000 करोड़ रुपये सालाना से अधिक का सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

खनन माफिया की भेंट चढ़े डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई

अवैध खनन से परेशान अंबाला से भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री रत्नलाल कटारिया का कहना है कि करनाल-यमुनानगर मार्ग पर देर रात तक चलते ओवर लोडेड ट्रालों ने सड़कें तहस-नहस कर दी हैं। कटारिया का कहना है, “अवैध खनन ढोते ओवरलोडेड ट्रालों से टूटी सड़क का दर्द मैंने खुद महसूस किया है।”

संधाला, संधाली, लाल छप्पड़, हंसु माजरा, कंडरोली और खुखानी गांवों के लोगों का कहना है कि खनन की वजह से ही उनके गांव बाढ़ की चपेट में हैं। संधाला गांव के वरयाम सिंह के मुताबिक बाढ़ की वजह से किसानों की सैकड़ों एकड़ धान की फसल बर्बाद हो गई है। राओ गांव के शिव कुमार शर्मा की मानें तो स्थानीय लोगों को खनन का खामियाजा फसलें गंवा कर ही नहीं, बल्कि जान गंवा कर भी चुकाना पड़ रहा है।

खनन माफिया को सत्तारूढ़ भाजपा विधायकों, सांसदों और मंत्रियों का संरक्षण प्राप्त होने के आरोप लग रहे हैं। 8 से 10 अगस्त के दौरान विधानसभा के मानसून सत्र में विपक्षी दल कांग्रेस ने इस सरकार के कार्यकाल में बढ़े अवैध खनन की सीबीआइ जांच कराने की मांग की। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष उदयभान ने कहा, “अवैध खनन के घोटाले की जांच पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट के सिटिंग जज से तीन महीने के अंदर कराई जाए जिससे राजनीतिक, प्रशासनिक, खनन माफिया और खनन ठेकेदारों के गठजोड़ का पर्दाफाश हो।”

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