उन्होंने कहा कि जब वह पीएम पद की शपथ लेंगे, तो देश के 130 करोड़ लोग पीएम शपथ लेंगे। फिर उनकी पार्टी में से एक ने कहा कि 127 करोड़ लोग इस मुल्क के चौकीदार हैं। 127 करोड़ लोग चौकीदार बनने को तैयार हैं, पर पीएम बनने को 130 करोड़ लोग तैयार होंगे। यानी मुल्क में चौकीदारों के मुकाबले तीन करोड़ ज्यादा पीएम होंगे। 130 करोड़ पीएम होने के कई मतलब हैं। जरा सोचिए, 130 करोड़ पीएम फिनलैंड नामक देश में पीएम दौरे के तहत गए। फिनलैंड की कुल जनसंख्या सिर्फ 55 लाख और 130 करोड़ पीएम इंडिया से कूद लिए। बुरा न मानें, इन 130 करोड़ में कुछ भारतीय पीएम तो ऐसे होंगे, जो फिनलैंड से वापस आने से इनकार कर देंगे। फिर फिनलैंड पुलिस नॉन-रिटर्न पीएम लोगों की धरपकड़ कर उन्हें इंडिया के जहाज में चढ़ाएगी। मतलब ज्यादा पीएम हो जाएं तो बेइज्जती के बहुत मसले खड़े हो जाएंगे।
‘बस एक या दो पीएम अच्छे होते हैं,’ टाइप बात अब नहीं कही जा सकती क्योंकि देश में करीब 1600 राजनीतिक दल हैं। ‘हर दल को एक पीएम चाहिए,’ यह बात भी नहीं कही जा सकती। हर दल में कम से कम दर्जन भर पीएम पोस्ट के प्रत्याशी हैं। जिन दलों में न्यूनतम आपसी सहमति है, वो तक दूसरे दल वालों को खुलकर पीएम नहीं मानते। खुलकर पीएम मानने की बात तो दूर एमपी तक मानने को तैयार नहीं हैं। राहुल गांधी केरल से एमपी बनने के लिए चुनाव लड़ेंगे, इस बात का कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया मार्क्सवादी ने बहुत बुरा माना है। बंगाल की ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने जिस तरह का घोषणा-पत्र जारी किया है, उससे साफ होता है कि वह खुद को लगभग पीएम मान रही हैं।
यूपी में तो लगभग हर दल का नेता पीएम है, क्योंकि पीएम तो यूपी ही चुनता है। यह बात कई बार कही जा चुकी है। हालांकि शरद पवार इसे मानने को तैयार नहीं हैं। शरद पवार की बात समझी जा सकती है क्योंकि वह महाराष्ट्र से हैं। ताजा अपडेट यह है कि अभी करीब 1600 पीएम हैं। हालांकि यह आंकड़ा 130 करोड़ पीएम के आंकड़े से बहुत नीचे है। 130 करोड़ पीएम हो गए इस मुल्क में तो किसी को अंदाजा नहीं है कि क्या-क्या हो जाएगा। पीएम का एक प्रोटोकाल होता है, सिक्योरिटी होती है, उसके पास परमाणु बम का बटन होता है। सोचिए 130 छाप एक पीएम चौराहे पर रेड लाइट क्रास कर गया और पुलिस ने उसे धर लिया। पुलिस उससे पूछ रही है, हां भाई कौन? बंदा बता रहा है, “जी पीएम हूं।”
अफसर हवलदार कहेगा, “रेड लाइट क्रॉस करने के साथ इसने चढ़ा भी रखी है। दारू पीकर ड्राइविंग का केस भी बनेगा।”
130 छाप पीएम कहेगा, “मैं पीएम हूं, खुद पीएम ने कहा।”
अब 130 छाप पीएम की पिटाई हो जाएगी। अखबार खबर छापेगा, ‘पीएम की पिटाई।’ फिर पीटने वाले के अंदर का भी पीएम जाग्रत होगा और वह कहेगा, “130 करोड़ पीएम में मैं भी तो आता हूं। मैं भी पीएम।” अब खबर बनेगी, ‘पीएम ने पीएम ने पीटा।’ कोई चैनल बिना पूरी खबर समझे चला मारेगा, ‘इंडियन पीएम ने पाकिस्तानी पीएम की पिटाई की।’ कोई फर्जी वीडियो वायरल हो जाएगा, जिसमें इंडियन पीएम, पाक पीएम को घूंसा मारते हुए दिखाए जाएंगे। दे दनादन, दे दनादन पीएम, पीएम को मारते हुए।
विपक्ष इस आधार पर इस्तीफा मांगेगा कि बताओ सुरक्षा व्यवस्था का यह हाल है कि पीएम पिट रहे हैं, पीएम इस्तीफा दें। फिर कोई विपक्षी नेता को याद दिलाएगा कि 130 करोड़ की संख्या में वह विपक्षी नेता भी शामिल है, वह भी पीएम ही है। यानी कुल मिलाकर खबर यूं बनेगी, ‘पीएम ने पीएम को पीटा और इस पीएम की पिटाई पर पीएम ने प्रतिक्रिया दी कि कानून व्यवस्था की हालत बहुतै खराब है तो पीएम इस्तीफा दें।’ पीएम, पीएम से इस्तीफा मांग रहे हैं। इस मुल्क में कुछ भी हो सकता है, लोकतंत्र है।
अपार संभावनाएं हैं 130 करोड़ छाप पीएम के मसले में। वह तो कहकर चले गए कि 130 करोड़ पीएम शपथ लेंगे, पर कैसे-कैसे पीएम हैं इस मुल्क में इसका पूरा अंदाजा न लगाया गया। शोले फिल्म का रीमेक बना, तो ठाकुर भी खुद को पीएम कहेगा और गब्बर सिंह भी। जय-वीरू भी पीएम होंगे और रामगढ़ का हर निवासी पीएम होगा।
130 करोड़ लोग शपथ लेंगे कि भारत का हर नागरिक ही पीएम है। उचक्का चेन-स्नैचिंग कर रहा है, उसे पकड़ो तो बताएगा, “खबरदार मैं पीएम हूं और यह बात खुद पीएम ने बताई है।” यानी उसे पीएम पोस्ट पर नियुक्ति खुद पीएम ने दी है। अब आगे कोई क्या सवाल-जवाब कर सकता है। मैं भी पीएम तू भी पीएम। सारे पीएम। इधर भी पीएम उधर भी पीएम, पीएम ही पीएम मिल तो लें।
मेरा निवेदन है, पीएम की तादाद कुछ कम हो इस मुल्क में। यूं तो मैं भी पीएम ही हूं लेकिन पीएम की संख्या कम करने की मांग करता हूं।