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10 नवंबर 2025 · NOV 10 , 2025

क्रिकेटः शुभ (मन) अध्याय

क्रिकेट अब तेज है, प्रशंसा के साथ यहां आलोचना भी तुरंत होती है, गिल की असली परीक्षा सिर्फ मैदान पर नहीं बल्कि उस संतुलन पर होगी जिसे रोहित ने साधा
रोहित शर्मा

भारतीय क्रिकेट में बदलाव चलता रहता है। इस बार यह बदलाव शुभमन गिल के रूप में आया है। बीसीसीआइ ने रोहित शर्मा से वनडे टीम की कप्तानी लेकर शुभमन गिल को सौंप दी। रोहित के फैंस के लिए यह बुरी खबर है। रोहित ने पिछले डेढ़ साल के भीतर भारत को दो आइसीसी खिताब, जून 2024 में टी20 विश्वकप और इस साल मार्च में चैंपियंस ट्रॉफी दिलाए हैं। हालांकि कप्तानी का यह बदलाव टीम मैनेजमेंट   और विशेष रूप से कोच गौतम गंभीर की दूरदर्शिता दिखाता है। विराट कोहली के उत्तराधिकारी माने जाने वाले शुभमन युवा और आक्रमक बल्लेबाज हैं। हालांकि रोहित का रास्ता गिल से अलग था। एक वक्त था जब रोहित अपनी आइपीएल टीम मुंबई इंडियंस को हर दूसरे साल ट्रॉफी जिता रहे थे। सोशल मीडिया पर रोहित को टीम इंडिया का कप्तान बनाने की आवाज हर दिन बुलंद होती थी। उस समय विराट भारतीय टीम की कमान संभाल रहे थे। बतौर भारतीय कप्तान रोहित का सफर यूं ही शुरू नहीं हुआ था। विराट कोहली के दौर में वे कभी भरोसेमंद उपकप्तान रहे, तो कभी टीम में अनुभवी स्तंभ की तरह मौजूद रहे। टी20 के बाद कोहली ने टेस्ट कप्तानी छोड़ी और इसके बाद उन्हें वनडे कप्तानी से हटा दिया गया। तब टीम इंडिया के लिए रोहित शर्मा ऑल फॉर्मेट कैप्टन के रूप में सामने आए। विराट और रोहित एकदम अलग थे। विराट आक्रामक और गंभीर थे जबकि रोहित शांत। उस समय बीसीसीआइ को ऐसे ही कप्तान की जरूरत थी जो टीम को शांत रख सके और बाहर की बहसों से दूर मैदान की लय में डूबा रहे। रोहित ने यही भूमिका अपनाई।

रोहित ने जब टीम का नेतृत्व संभाला, तब तक वे लीजेंड की श्रेणी में गिने जाने लगे थे। यह बात उनके पक्ष में गई। उनके शुरुआती फैसलों में खास बात यह थी कि भले अलग-अलग सीरीज में नए चेहरे लगातार आजमाए गए, लेकिन टीम बिखरी नहीं। रोहित ने बीच का रास्ता चुना। उन्होंने हर खिलाड़ी को जगह दी। 2022 टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल में हार वह पल था जब भारत के खेलने के तरीके पर सवाल खड़े हुए थे। यहां से रोहित ने राहुल द्रविड़ के साथ मिलकर न केवल अपना खेलने का अंदाज बदला बल्कि टीम को नया रूप दे दिया। भारत ने तगड़े स्ट्राइक रेट से खेलना शुरू किया और इस बदलाव का नेतृत्व रोहित ने आगे से किया।

शुभमन गिल

शुभमन गिल

रोहित ने बतौर कप्तान 56 वनडे में से 42 मैच जीते। यानी 75 प्रतिशत। यह 50 से अधिक मैच खेलने वाले किसी भी भारतीय कप्तान का सर्वाधिक जीत प्रतिशत है और कम से कम 50 मैच खेलने वाले कप्तानों में उन्हें विश्व स्तर पर क्लाइव लॉयड के बाद दूसरे स्थान पर रखा। उनके कार्यकाल में भारत ने दो एशिया कप (2018 और 2023) और 2025 आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीती। अगर 2023 विश्व कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार न मिली होती तो रोहित आइसीसी ट्रॉफी जीतने में धोनी की बराबरी कर लेते। उनका वनडे जीत प्रतिशत उन कप्तानों में गिना जाएगा जिन्होंने अपेक्षाकृत कम समय में स्थिरता पैदा की। लेकिन असली योगदान जीत प्रतिशत से ज्यादा ड्रेसिंग रूम के तापमान को नियंत्रित रखना था। विराट कोहली का दौर ऊर्जा और उग्रता से भरा था। टीम ने उस दौर में कई बार असंभव लक्ष्य का पीछा किया, आक्रामक शैली को नई पहचान दी। लेकिन उस उग्रता के बाद मनोवैज्ञानिक ठहराव की जरूरत थी। रोहित ने वह ठहराव दिया। यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने वनडे क्रिकेट में तनाव और थकान से भरी टीम को गहरी सांस लेने का मौका दिया।

विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया से मिली हार शायद रोहित को लंबे समय तक चुभेगी। उस टूर्नामेंट में भारत एक भी मुकाबला नहीं हारा था। टीम अपने घरेलू मैदानों पर खेल रही थी। बहरहाल, रोहित और भारतीय टीम उस हार को भूलकर अगले ही साल वेस्ट इंडीज में टी20 विश्व कप अपने नाम कर गए। उन्होंने 62 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में भारत की कप्तानी की, जिसमें टीम को 49 जीत और 12 हार मिली। रोहित की कप्तानी में भारत की जीत का प्रतिशत लगभग 79.03 रहा। टी20 में दुनिया पर राज करने के नौ महीने बाद भारत ने दुबई में चैंपियंस ट्रॉफी पर भी कब्जा किया। तब से भारत ने अक्टूबर तक कोई वनडे मुकाबला नहीं खेला। यही सबसे बड़ा कारण है कि फैंस रोहित को हटाने के फैसले पर हैरान हैं। ज्यादा इसलिए भी कि रोहित ने खुद कप्तानी छोड़ने का ऐलान नहीं किया।

भारतीय कप्तानी का इतिहास देखें तो बदलाव कभी सहज नहीं रहा। सौरभ गांगुली के समय में बदलाव हुआ, तो उसके पीछे बोर्डरूम की आवाजें भी थीं। धोनी का उदय एक तरह का रणनीतिक विश्वास था। 2007 वनडे विश्व कप में मिली हार के बाद युवा कप्तान पर दांव लगाया गया और यह दांव सफल रहा। धोनी की कप्तानी में भारत पहला टी20 विश्व चैंपियन बना। गांगुली से धोनी तक की यात्रा में टकराव साफ दिखाई दिया। इसके बाद विराट कोहली आए, जिन्होंने टीम को नया रूप दिया। धोनी से विराट तक का बदलाव आसान रहा, लेकिन विराट की टी20 और टेस्ट कप्तानी छोड़ने की प्रक्रिया शांत नहीं थी। धोनी को अपवाद इसलिए माना जा सकता है, क्योंकि उन्होंने अलग ढंग से कप्तानी छोड़ी। पहले विराट को तैयार किया और खुद कमान सौंप कर साइड हो गए।

शुभमन गिल का चयन सिर्फ युवा बल्लेबाज पर भरोसा नहीं बल्कि नई शैली पर भरोसा है। गिल आज के क्रिकेट की भाषा बोलते हैं। उनका शॉट चयन पारंपरिक है, लेकिन इरादा आधुनिक है। कप्तानी में वे कैसे होंगे यह देखना बाकी है, लेकिन बीसीसीआइ ने उन्हें लंबी योजना के तौर पर चुना है। 26 साल का कप्तान तीन साल बाद होने वाले विश्व कप तक टीम को अपनी सोच के मुताबिक ढाल सकता है। यह वही अवसर है, जो कभी धोनी को मिला था। रोहित और गिल की तुलना में समझना होगा कि एक शांत संरक्षक जा रहा है और एक युवा मार्गदर्शक आ रहा है। रोहित की कप्तानी में कभी व्यक्तिगत पहचान बनाने का प्रयास नहीं देखा गया। कोहली ने कप्तानी को ब्रांड की तरह गढ़ा, गांगुली ने आत्मसम्मान दिया, धोनी ने सिस्टम बनाया। 

शुभमन गिल जब मैदान पर उतरेंगे, तो उनके सामने सिर्फ विपक्ष से लड़ने की चुनौती नहीं होगी। उन्हें वह मानसिकता समझनी होगी जिसे रोहित ने पीछे छोड़ा है। वनडे क्रिकेट फॉर्मेट को नेतृत्व में ऐसे व्यक्ति की जरूरत है, जो दोनों तरह के दर्शकों को साथ लेकर चले। भारतीय क्रिकेट में कप्तान केवल रणनीति नहीं देता बल्कि सांस्कृतिक दिशा भी तय करता है। गांगुली ने आत्मसम्मान दिया, धोनी ने प्रक्रिया दी, विराट ने ऊर्जा दी और रोहित ने ठहराव। अब गिल क्या देंगे यह भविष्य में है।