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28 नवंबर 2022 · NOV 28 , 2022

आवरण कथा/इंटरव्यू/भूपेंद्र सिंह हुड्डा: ‘बड़े पैमाने पर लोग कांग्रेस से जुड़ रहे हैं’

सत्ता के लिए जिस तरह से देश में ध्रुवीकरण किया जा रहा है, उसके विपरीत यह यात्रा समाज के सभी वर्गों को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश है
भूपेंद्र सिंह हुड्डा

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और कांग्रेस में नए गैर-गांधी अध्यक्ष क्या कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए काफी है? क्या नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का दलित चेहरा और राहुल का जनजागरण अभियान कांग्रेस की तस्वीर और सियासी तकदीर को बदल पाएगा? अपने बूते महज दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ तक सिमटी कांग्रेस क्या हिमाचल प्रदेश और गुजरात समेत उन राज्यों में फिर से सत्ता की चाबी हासिल कर पाएगी, जहां 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव हैं? क्या कांग्रेस को डूबता जहाज मानकर उससे किनारा करने वाले वरिष्ठ नेताओं का पलायन थमेगा? ऐसे तमाम सवालों पर आउटलुक के हरीश मानव की हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री तथा नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा से बातचीत के प्रमुख अंश:

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा क्या कांग्रेस को नया जीवन दे पाएगी?

सत्ता के लिए जिस तरह से देश में ध्रुवीकरण किया जा रहा है, उसके विपरीत यह यात्रा समाज के सभी वर्गों को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक की राहुल जी की इस यात्रा को जिस तरह से भारी जनसमर्थन मिल रहा है, निस्संदेह इसके जरिये बड़े पैमाने पर लोग पार्टी से जुड़ रहे हैं। राजनीति में जनसंपर्क सबसे अहम होता है और भारत जोड़ो यात्रा के जरिये राहुल गांधी वही कर रहे हैं। दिसंबर के पहले हफ्ते में हरियाणा में प्रवेश करने वाली यह यात्रा करीब 12 दिन हरियाणा में रहेगी, जिसका यहां के लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

परिवारवाद के आरोपों से घिरी कांग्रेस में करीब तीन दशक बाद गैर-गांधी पार्टी अध्यक्ष बना है। इसके लिए दलित चेहरे मल्लिकार्जुन खड़गे को आगे किया गया। यह बड़ा बदलाव कांग्रेस को मजबूती देने के लिए क्या काफी है?

देश में कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसमें अध्यक्ष पद के लिए भी आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। देश में तमाम पार्टियों के अध्यक्ष बगैर चुनाव कराए चुन लिए जाते हैं मगर कांग्रेस अपने संगठन में भी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भरोसा करती है। मैं तो यह कहूंगा कि बाकी दलों को भी अपने अध्यक्ष का चुनाव कांग्रेस की तरह लोकतांत्रिक ढंग से करना चाहिए। अध्यक्ष पद के चुनाव के समय मैं तो खड़गे जी का प्रस्तावक था, वे पार्टी के वरिष्ठतम नेता हैं। उनकी अगुआई में पार्टी और मजबूत होगी।

जी-23 में आप और आपके कई कांग्रेसी साथी पिछले कई समय से पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव की मांग करते रहे, पर ऐसा न होने की सूरत में इस ग्रुप में रहे गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल सरीखे कई वरिष्ठ नेता कांग्रेस को अलविदा कह गए। खड़गे के अध्यक्ष बनने से क्या कांग्रेस से वरिष्ठ नेताओं का पलायन थमेगा?

कांग्रेस में कभी कोई जी-23 नहीं रहा। यह मीडिया की देन है। जहां तक पार्टी छोड़ने वाले नेताओं की बात है, मैं किसी के व्यक्तिगत फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। कांग्रेस में अब ऐसी कोई हलचल नहीं दिखाई देती है कि कोई और साथी छोड़ रहा हो। उलटे, कांग्रेस का साथ छोड़ने वाले कई वरिष्ठ साथी फिर से कांग्रेस का हाथ थामना चाहते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे कई नेताओं की पार्टी में वापसी संभव है।

अध्यक्ष पद के लिए खड़गे जी के प्रस्तावक आप और आपके पुत्र दीपेंद्र सिंह थे मगर उन्होंने कांग्रेस कार्यसमिति के बदले बनाई स्टीयरिंग कमेटी में आपको शामिल नहीं किया और पहले से ही कार्यसमिति के सदस्य रहे दीपेंद्र को भी स्थान नहीं मिला, जबकि हरियाणा से आपके धुर विरोधी रणदीप सुरजेवाला और कुमारी सैलजा को उसमें शामिल किया गया। 

मेरे पास पहले से ही हरियाणा में विधायक दल के नेता की जिम्मेदारी है। दूसरे राज्यों के विधायक दल के नेताओं को भी स्टीयरिंग कमेटी में शामिल नहीं किया गया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी इस कमेटी में नहीं लिया गया। प्रदेश अध्यक्षों को भी इससे बाहर रखा गया है। यह पार्टी का नीतिगत फैसला है और इस पर मुझे कोई मलाल नहीं है। 

पांच दशक से कांग्रेस का गढ़ रही आदमपुर सीट उपचुनाव में भाजपा के पाले में चली गई। वहां प्रचार से रणदीप सुरजेवाला, कुमारी सैलजा और किरण चौधरी ने दूरी बनाए रखी जबकि आप और दीपेंद्र ने वहां मोर्चा संभाले रखा। क्या कांग्रेस की गुटबाजी इस उपचुनाव में बड़ी हार का कारण रही?

आदमपुर के मतदाताओं ने कांग्रेस को नकारा नहीं है। हमारे प्रत्याशी ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी। भाजपा ने पूरी सरकारी मशीनरी झोंक दी, फिर भी कांग्रेस का प्रत्याशी दूसरे नंबर पर काफी करीब रहा।

2014के बाद से पार्टी के तीन अध्यक्ष बने और तीनों ही दलित चेहरे थे। दो लोकसभा और दो विधानसभा चुनाव लड़े गए और चारों के चुनाव नतीजे भाजपा के पक्ष में रहे। क्या 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस बगैर संगठन के लड़ेगी?

कुछ समय पहले ही उदयभान नए अध्यक्ष बने हैं। वे आदमपुर उपचुनाव में व्यस्त थे, जल्द ही जिला स्तर पर पार्टी का संगठन मजबूती से खड़ा किया जाएगा।

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