हिमाचल प्रदेश के मतदाताओं ने 2014 और 2019 के परिणामों को बरकरार रखते हुए तीसरी बार भी चारों लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को जिताया। 17 महीने पहले सूबे में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा कांग्रेस से हार गई थी। इस जीत ने न सिर्फ कांग्रेस-शासित प्रदेश में भाजपा के प्रभुत्व को पुष्ट किया बल्कि उसकी वापसी का मार्ग भी प्रशस्त किया है।
जीतने वाले बड़े चेहरों में मंडी लोकसभा सीट से अभिनेत्री कंगना रनौत हैं, जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य को 74,755 वोटों से हराया। उन्होंने खुद को ‘हिमाचल की बेटी’ के रूप में खूब प्रचारित किया था। कंगना की जीत में बड़ा हाथ पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का माना जा रहा है, जिनका मंडी में बहुत प्रभाव है।
हमीरपुर लोकसभा से अनुराग ठाकुर कांग्रेस के पूर्व विधायक सतपाल रायजादा को 1.82 लाख के रिकॉर्ड वोटों से हराकर लगातार पांचवीं बार सांसद बने हैं। उनकी जीत के पीछे उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का हाथ बताया जाता है। हमीरपुर में आज भी उनका बड़ा प्रभाव है। कांग्रेस की सबसे शर्मनाक हार कांगड़ा में हुई, जहां उसके कद्दवर नेता आनंद शर्मा को भाजपा के डॉ. राजीव भारद्वाज ने 2.51 लाख वोटों से हरा दिया। प्रतिष्ठित शिमला लोकसभा सीट (आरक्षित) पर भाजपा के निवृत्तमान सांसद सुरेश कश्यप ने कांग्रेस के पहली बार के विधायक विनोद सुल्तानपुरी को हरा दिया।
इन नतीजों के समानांतर एक और अहम परिणाम छह विधानसभा सीटों के उपचुनाव का है, जिसमें चार सीटों पर कांग्रेस कामयाब रही। इस परिणामों ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को राहत की सांस दी जो छह बागी विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने के चलते संकट में पड़ गए थे।
कांग्रेस ने दिसंबर 2022 में जब सरकार बनाई थी तब पार्टी के पास 40 और तीन स्वतंत्र विधायक थे, जो सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे थे। बीती फरवरी में राज्यसभा के चुनाव में जब छह सत्ताधारी विधायकों ने भाजपा के लिए क्रॉस वोटिंग की तो सुक्खू की सरकार फंस गई। इस कारण भाजपा के हर्ष महाजन राज्यसभा का चुनाव जीत गए, जबकि भाजपा के पास सिर्फ 25 विधायक थे। मुख्यमंत्री सुक्खू को भले तत्काल कुछ राहत मिल गई हो लेकिन चुनाव नतीजों के विश्लेषण के संदर्भ में पार्टी के भीतर की धड़ेबाजी उनके लिए नए संकट लेकर आ सकती है। संभव है उन्हें विक्रमादित्य सिंह के हमलों का शिकार होना पड़े, जो हार कर भी 2024 के हीरो बनकर उभरे हैं क्योंकि उन्होंने अपने दम पर नरेंद्र मोदी, नितिन गडकरी, योगी आदित्यनाथ और जयराम ठाकुर जैसे कद्दावर नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोला था।
उपचुनाव में कांग्रेस जीतने वाले चार विधायकों में, सुजानपुर से कैप्टन रंजीत सिंह, गगरेट से राकेश कालिया, लाहौल स्पीति से अनुराधा राणा और कुटलेहर से विवेक शर्मा शामिल हैं। जिन छह विधानसभाओं में उपचुनाव हुए हैं, उनमें चार हमीरपुर लोकसभा के अंतर्गत आती हैं जो मुख्यमंत्री का गृह जिला है। जिन दो सीटों पर भाजपा की जीत हुई, दोनों सीटें धर्मशाला में हैं। हिमाचल में सीधी लड़ाई कांग्रेस और भाजपा के बीच ही थी लेकिन चारों लोकसभा सीटों पर बहुजन समाज पार्टी ने भी अपने प्रत्याशी उतारे थे।
हिमाचल प्रदेश में चारों सीटों पर भाजपा की जीत के पीछे मोटे तौर पर मोदी के चेहरे ने काम किया है। कांग्रेस के पास मोदी जैसा कोई चेहरा नहीं था, उसका नुकसान उसे झेलना पड़ा है।