नवंबर 2023 में तय मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों के लगभग डेढ़ साल पहले हुए नगरीय निकायों के चुनावों को सत्ता का सेमीफाइनल कहा जा रहा था। इस लिहाज से कुल 16 नगर निकायों में अब तक आए 11 नतीजों में भाजपा ने अच्छी बढ़त हासिल कर ली है। नगरपालिका और परिषदों में तो स्थिति पिछले बार की तुलना में बेहतर हुई है। विपक्षी कांग्रेस इस बात से खुश है कि कुछ नगर निगमों में उसके महापौर प्रत्याशियों की जीत हुई है। इसमें विशेष ग्वालियर और जबलपुर है, जहां लंबे समय बाद कांग्रेस को जीत मिली है।
अब तक के नतीजों में सात में भाजपा, तीन पर कांग्रेस और एक पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली है। यहां महत्वपूर्ण है कि छिंदवाड़ा नगर निगम को छोड़कर बाकी सभी में भाजपा को बहुमत मिला है। कांग्रेस को छिंदवाड़ा, ग्वालियर और जबलपुर में महापौर पद मिला है तो आप पार्टी को सिंगरौली नगर निगम में जीत मिली है। आप की उम्मीदवार रानी अग्रवाल ने करीब दस हजार मतों से जीत दर्ज की है। पिछली बार सभी 16 नगर निगमों में भाजपा का कब्जा था। वार्डों के चुनाव में ग्वालियर, जबलपुर और सिंगरौली में भी भाजपा को बहुमत मिला है। ग्वालियर में 66 में से 36 पार्षद भाजपा के जीते हैं। कांग्रेस के 19 जीते हैं। जबलपुर में 79 में 39 भाजपा के हैं और कांग्रेस के 30 हैं। सिंगरौली में भी 45 में से 23 पार्षद भाजपा के हैं और कांग्रेस के 13 हैं। कांग्रेस जहां मेयर में जीती है, वहां पार्षदों में हारी है।
सिंगरौली में जीत हासिल करने वाली आप पार्टी की रानी अग्रवाल
नगर पालिकाओं में आए परिणाम को देखकर भाजपा ज्यादा उत्साहित है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज तक ऐसा नहीं हुआ। आम तौर पर नगर पंचायत के चुनाव में बराबरी की स्थिति रहती थी, लेकिन इस बार 80 फीसदी से ज्यादा नगर पंचायत, नगर परिषद में भाजपा ने जीत दर्ज की है। इससे पहले 55-45 का अनुपात रहता था। नगर पालिका में भाजपा ने इतिहास रचा है। मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में 122 नगर पालिकाओं और नगर परिषदों का परिणाम घोषित हो गया है। इन निकायों में अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हुआ। यानी पार्षदों में से अध्यक्ष चुना जाएगा। 85 निकायों में भाजपा का अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। कांग्रेस का अध्यक्ष सिर्फ 9 निकायों में बनता दिख रहा है। हालांकि, 28 निकाय ऐसे हैं, जहां पार्षदों की संख्या बहुमत का आंकड़ा न छू पाने के कारण पेंच फंसा है।
दूसरी ओर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी नगरीय निकाय के पहले चरण के चुनाव को लेकर खुशी जाहिर की और प्रदेश की जनता को आभार जताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया है। ग्वालियर में इतिहास रचा है। शोभा सिकरवार ने यह जीत हासिल की है। कमलनाथ ने कहा कि 1999 में नगर निगम में हमारी दो सीटें थीं। 2004 में दो, 2003 में तीन और 2015 में एक भी सीट नहीं थी। कमलनाथ ने कहा कि महापौर की 11 सीटों में कांग्रेस ने 3 सीटें छीनी हैं। कमलनाथ ने कहा कि बुरहानपुर में हम मात्र 388 वोट से हारे हैं। उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम पर निशाना साधा और कहा कि ओवैसी की पार्टी भाजपा की बी-टीम बनकर आई है।
नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को भले ही बढ़त मिली हो, लेकिन कई दिग्गजों के क्षेत्र में उसे हार का सामना करना पड़ा। खास तौर पर ग्वालियर नगर निगम क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ प्रदेश के मंत्री भारत सिंह कुशवाह की मौजूदगी भाजपा प्रत्याशी को मिले वोटों में नजर नहीं आई। यही स्थिति वरिष्ठ सांसद राकेश सिंह की भी रही। जबलपुर नगर निगम 23 साल से भाजपा के हाथ में था, लेकिन इस बार यह पद कांग्रेस के खाते में चला गया।
नगरीय निकाय चुनावों के परिणामों के आधार पर स्पष्ट है कि भाजपा ने कांग्रेस को हर मोर्चे पर पछाड़ा है। हालांकि कांग्रेस ने अपनी स्थिति में सुधार किया है मगर यह सुधार सत्ता प्राप्त करने के लिहाज से नाकाफी है। राजनीतिक जानकार इन परिणामों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाल रहे हैं कि परिणामों ने शिवराज सिंह के विरोधियों का मुह बंद कर दिया है। इस चुनाव में उम्मीदवारों का चयन मुख्यमंत्री की पसंद के आधार पर नहीं किया गया था, उसके बाद भी बड़ी संख्या में जीत दर्ज हुई है। इससे स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का जादू बरकरार है।