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काशी विश्वनाथ कॉरीडोर: सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की जमीन

बनारस में विश्वनाथ मंदिर परिसर के निर्माण से अपना जनाधार मजबूत करने की कोशिश में भाजपा, पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश के चुनाव बेहद अहम
विश्वनाथ मंदिर परिसर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ

भव्य समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उप-मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी में 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का लोकार्पण किया तो यह केवल धार्मिक ही नहीं, राजनैतिक संदेश देने की कोशिश भी थी। बेशक, राजनैतिक रूप से सबसे अहम उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती। काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा से सीधे जोड़ने की इस महत्वाकांक्षी परियोजना से पार्टी को उम्मीद है कि ‘‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’’ की जमीन और मजबूत होगी, जिसकी सियासत नब्बे के दशक में राम मंदिर आंदोलन के जरिए शुरू की गई थी। पार्टी को यह भी उम्मीद है कि यह कोरोना की दूसरी लहर में लोगों की दिक्कतों, बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर भारी पड़ेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कॉरीडोर के लोकार्पण के दौरान इसके राजनीतिक जुड़ाव का संकेत भी दिया। उन्होंने कहा, ‘‘यहां आतताई औरंगजेब आता है, तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं। कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है, तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का एहसास करा देते हैं। यही नहीं, अंग्रेजों के दौर में भी हेस्टिंग का क्या हश्र काशी के लोगों ने किया था, यह तो काशी के लोग जानते ही हैं। आपको यहां अपने अतीत के गौरव का एहसास होगा। कैसे प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही है, कैसे पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं, इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में हम कर रहे हैं।’’

इस मामले में विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया से स्पष्ट है कि काशी विश्वनाथ कॉरीडोर के जरिए भाजपा के ‘‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’’ की सियासत की तोड़ उनके पास नहीं दिखती है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने दावा किया कि काशी विश्वनाथ कॉरीडोर परियोजना को मंजूरी उनके शासनकाल में दी गई थी। बाकी दलों ने इस पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी। जहां तक भाजपा का सवाल है, उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव उसके लिए न केवल 2022 के नजरिए से, बल्कि 2024 में होने वाले आम चुनाव के लिए भी अत्यंत महत्वर्पूण है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि 2024 की राह 2022 से होकर गुजरेगी। यानी विधानसभा चुनावों में कमतर प्रदर्शन हुआ तो पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 

लेकिन कॉरीडोर से विश्वनाथ मंदिर के आसपास का नजारा पूरी तरह बदल चुका है। पहले तंग गलियां और भीड़भाड़ की जगह अब पांच लाख वर्ग फुट में बना चमचमाता कॉरीडोर जगमग करता है। इसमें कुल 23 छोटी-बड़ी इमारतों का निर्माण कराया गया है। मुख्य मंदिर के अलावा 27 मंदिरों का पुनरुद्धार कराया गया है। कॉरीडोर को तीन भागों में बांटा गया है। मुख्य परिसर 50 हजार वर्ग मीटर में है। चार गेटों का निर्माण कर प्रदक्षिणा पथ पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगाए गए हैं। इनमें काशी की पौराणिक और आध्यात्मिक महिमा का वर्णन किया गया है। कॉरीडोर की दीवारों और पिलर पर वेद-पुराण में वर्णित कहानियां उकेरी गई हैं और संस्कृत के श्लोकों का हिंदी अनुवाद भी लिखा गया है।

नए कॉरीडोर के निर्माण में सात तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें मकराना, चुनार का बलुआ पत्थर सबसे खास है। यूपी धर्मार्थ कार्य विभाग के माध्यम से काशी विश्वनाथ कॉरीडोर परियोजना की शुरुआत 19 जून 2018 को कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर की गई थी। इसी कैबिनेट में काशी विशिष्ट क्षेत्र विकास प्राधिकरण वाराणसी अध्यादेश 2018 को मंजूरी दी गई, जिसके जरिए उसका नाम श्री काशी विश्वनाथ क्षेत्र विकास परिषद रखा गया। 4 सितंबर 2018 को हुई कैबिनेट बैठक में मंदिर विस्तारीकरण और सौंदर्यीकरण योजना के तहत खरीदी जाने वाली भूमि और भवनों में सेवाइत संपत्तियों की खरीद के लिए नीति का निर्धारण किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को काशी विश्वनाथ कॉरीडोर की आधारशिला रखी थी। जब यह आधारशिला रखी गई थी, तब मुख्य मंदिर परिसर 5 हजार वर्ग फुट से भी कम था। आधारशिला रखे जाने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस परियोजना को पूरा करने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। इस परियोजना में 320 से ज्यादा मकानों को खरीदा गया। इस दौरान सरकार को विरोध का सामना भी करना पड़ा और पुराने घरों-मंदिरों को तोड़ने तथा छोटे दुकानदारों का रोजगार चौपट करने के आरोप भी लगे। लेकिन बड़े प्रोजेक्ट को देखते हुए योगी सरकार सभी को मनाने में सफल रही। मार्केट रेट से ज्यादा मुआवजा दिया गया। इसे मूर्त रूप देने के लिए योगी कैबिनेट ने अलग-अलग नौ बैठकें कीं।

उम्मीद है कि काशी विश्वनाथ कॉरीडोर के निर्माण के बाद बनारस और आसपास के जिलों में पर्यटन रोजगार में तेजी आएगी। इसी के साथ विंध्याचल धाम का पुनरुद्धार श्रद्धालुओं को अपनी तरफ आकर्षित करेगा, जिससे पर्यटन के साथ इससे जुड़े कारोबारियों को भी लाभ मिलेगा। पिछले कुछ दिनों के भीतर उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई शिलान्यास और लोकार्पण किए हैं, जिनमें पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड डिफेंस कॉरीडोर, कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, गोरखपुर खाद कारखाना, गोरखपुर एम्स, काशी विश्वनाथ कॉरीडोर और जेवर एयरपोर्ट तथा गंगा एक्सप्रेस वे शामिल हैं। मकसद यह दिखाना हो सकता है कि भाजपा और सरकार के एजेंडे में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के साथ विकास भी है।

अब देखना यह है कि चुनावों में भाजपा को इसका कितना फायदा मिलता है या बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ जाति जनणना के मुद्दे हावी रहते हैं। आखिर पश्चिम बंगाल के चुनावों में पार्टी सब कुछ झोंककर भी अपने हाथ जला चुकी है, जिससे पार्टी की चुनावी अजेयता की छवि पर बट्टा लगा है। पार्टी के लिए विपक्ष खासकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस की प्रियंका गांधी की रैलियों में उमड़ रही भीड़ चिंता का विषय हो सकती है। उत्तर प्रदेश का चुनाव दिलचस्प है और देश भर की नजरें उस पर लगी हैं।

नरेन्द्र मोदी

काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा से सीधे जोड़ने की इस परियोजना से पार्टी को उम्मीद है कि ‘‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’’ की जमीन और मजबूत होगी

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