प्रेमपत्र किसी चांद से कम होते हैं क्या। तभी तो युवा कवि, कहानीकार और अनुवादक अनामिका अनु ने प्रेमपत्रों के संकलन का नाम रखा है, यारेख। इस पुस्तक में छत्तीस रचनाकारों के बेहतरीन प्रेमपत्र हैं। यह मात्र प्रेमपत्रों के संकलन की पुस्तक नहीं बल्कि लगभग खत्म हो चुकी इस विधा को फिर याद करने की है। यह कोशिश है, जो पत्रों और उनसे जुड़ी भावनाओं को पुर्नजीवित कर देंगी। कहानी, कविता, यात्रा संस्मरण से इतर जब रचनाकार प्रेमपत्र लिखते हैं, तब उनकी भावनाएं कैसी होती है, यह शैली जानना भी अपने आप दिलचस्प है। उनके प्रेम को अभिव्यक्त करने का तरीका, प्रेमी के साथ संवाद, सब कुछ इस पुस्तक में अलग ढंग से निकल कर आया है। पत्र की लंबाई, शब्दों के संयोजन, कहन और संबोधन में विविधता इस किताब को अंतिम पृष्ठ तक रोचक और आकर्षक बनाए रखती है। पाठक कई तरह की मनोअवस्था से एक साथ अवगत होते हैं। इसमें केरल से लेकर कश्मीर तक के लेखक हैं। राजस्थान से लेकर मणिपुर तक। पहाड़ से समंदर तक की भौगोलिक पृष्ठभूमियों में फैले हर उम्र के पके, अनुभव से भरपूर लोगों ने प्रेम को अपनी शैली में कहने, अभिव्यक्त करने की कोशिश की है। सभी लेखक विभिन्न अनुभव प्रक्रिया, अनुभव संसार और वैचारिक पृष्ठभूमि से आए हैं। ऐसे लोग जब प्रेम कहते हैं, तो कहीं न कहीं कई तरह की मनोभूमियों को कागज और पाठक के जेहन में स्थायी जगह मिल जाती है। के.सच्चिदानंदन, असगर वजाहत, मैत्रेयी पुष्पा, उषाकिरण खान, आलोक धन्वा, नंद भारद्वाज, सविता सिंह, त्रिभुवन, तेजी ग्रोवर, अनुज लुगुन, सूर्यबाला जैसे 36 रचनाकारों ने प्रेमपत्रों में अपने शब्द दिए हैं। पांच अनूदित प्रेमपत्र हैं, जिनका अनुवाद संपादक ने खुद किया है।
कुछ पत्र प्रेम गहरी अनुभूतियों को दिखाते हैं, तो कुछ सामाजिक चेतना को बाहर ले आते हैं। पुस्तक का हर पत्र महत्वपूर्ण है, हर पत्र अपने आप में लिखे से ज्यादा कहता है। यही बात इस पुस्तक को महत्वपूर्ण बनाती है। संकलन के कुछ पत्रों को पढ़कर लगता है, जैसे विपरीत परिस्थितियों में मनुष्य सबसे अधिक प्रेम पा सकने के लिए व्यग्र हो उठता है। प्रेम धैर्य का पाठ पढ़ाता है, जो जीवन जीने का सलीका है। ऐसे माहौल में जब हर तरफ मानसिक, वाचिक और शारीरिक हिंसा फैलती-पसरती जा रही है, यह किताब कोमल, सहृदयी और समझदार होने का सलीका सिखाती है। अंत में प्रेम ही बचेगा और अंत तक मनुष्य में प्रेम की चाह बनी रहेगी यह किताब इसी बात को समझाती है।
यारेखः प्रेम पत्रों का संकलन
अनामिका अनु
प्रकाशक: पेंगुइन-रैंडम हाउस हिंद पॉकेट बुक्स
पृष्ठः 200
मूल्य: 299