क्रिकेट अब सिर्फ गेंद और बल्ले का खेल नहीं रहा। इंडियन प्रीमियर लीग ने उसे एक ग्लोबल ब्रांडिंग प्लेटफॉर्म में बदल दिया है, जहां खिलाड़ी अब केवल रन नहीं, ब्रांड वैल्यू भी बनाते हैं। 2025 में आइपीएल की कुल ब्रांड वैल्यू 6.5 फीसदी की बढ़त के साथ 16.4 अरब डॉलर (करीब 1.36 लाख करोड़ रुपये) पर पहुंच गई है। यह आंकड़ा बताता है कि भारतीय खेल जगत अब सिर्फ मैदान की सीमाओं में नहीं सिमटा, बल्कि निवेश, मार्केटिंग और डिजिटल उपस्थिति के जरिये अंतरराष्ट्रीय कारोबारी दुनिया का हिस्सा बन चुका है।
सीएसके: ब्रांडिंग शिखर पर फिर धोनी
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में खेलने वाली चेन्नै सुपर किंग्स इस साल भी सबसे कीमती फ्रेंचाइजी बनकर उभरी है। हौलिहान लोके की रिपोर्ट के मुताबिक सीएसके की ब्रांड वैल्यू 52 फीसदी की बढ़त के साथ 23.1 करोड़ डॉलर तक पहुंच गई है। यह सभी टीमों में सबसे ज्यादा है और धोनी की मार्केटिंग और पर्सनल ब्रांड की ताकत को दर्शाता है।
मुंबई इंडियंस: संघर्ष के बावजूद स्थायी ब्रांड
पांच बार की चैंपियन मुंबई इंडियंस हाल के वर्षों में मैदान पर थोड़ा जूझती दिखी है, लेकिन उसकी ब्रांड वैल्यू 11.9 करोड़ तक पहुंच गई है, जो पिछले साल की तुलना में 36 फीसदी अधिक है। इस वृद्धि का श्रेय टीम के स्थायी फैनबेस, ब्रांड पार्टनरशिप है।
आरसीबी: ट्रॉफी नहीं, फिर भी टॉप तीन में
विराट कोहली के नेतृत्व और करिश्मा ने रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर को तीसरे स्थान पर बनाए रखा है। आरसीबी की ब्रांड वैल्यू अब 11.7 करोड़ डॉलर तक पहुंच चुकी है। कोहली की सोशल मीडिया फैन फॉलोइंग और टीम की डिजिटल एंगेजमेंट रणनीति इसकी बड़ी वजह हैं।
केकेआर: क्रिकेट + मार्केटिंग = ब्रांड ग्रोथ
कोलकाता नाइट राइडर्स की ब्रांड वैल्यू 10.9 करोड़ डॉलर है, जिसमें 38 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है। मैदान पर संतुलित प्रदर्शन और आकर्षक मार्केटिंग के कारण यह फ्रेंचाइजी लगातार ब्रांड वर्ल्ड में ऊपर चढ़ती जा रही है।
एसआरएच और आरआर: नए जमाने की चढ़ाई
सनराइजर्स हैदराबाद ने इस साल सबसे तेज ग्रोथ दर्ज की है। 76 फीसदी की वृद्धि के साथ हैदराबाद की ब्रांड वैल्यू अब 8.5 करोड़ डॉलर हो गई है। इस शानदार उछाल का श्रेय टीम की सोशल मीडिया रणनीति, युवा प्रतिभाओं की मौजूदगी और दर्शकों से मजबूत जुड़ाव को जाता है। राजस्थान रॉयल्स भी पीछे नहीं है। उनकी ब्रांड वैल्यू अब 8.1 करोड़ डॉलर तक पहुंच चुकी है। यह टीम युवा खिलाड़ियों के उभार और इनोवेटिव कंटेंट क्रिएशन में विश्वास रखती है, जो उन्हें ब्रांड्स के लिए एक आकर्षक इकाई बनाता है।
मिड-टियर: डीसी और जीटी की स्थिर बढ़त
दिल्ली कैपिटल्स और गुजरात टाइटन्स मिड-टियर रेंज में आते हैं। दिल्ली की ब्रांड वैल्यू 8 करोड़ डॉलर और गुजरात की 6.9 करोड़ डॉलर है। टाइटंस के लिए यह उल्लेखनीय है कि टीम ने 2022 में शुरुआत की थी और इतने कम समय में यह ब्रांड रेस में मजबूत स्थिति में है।
सबसे नीचे: पंजाब किंग्स और एलएसजी
ब्रांड वैल्यू के मामले में सबसे नीचे दो टीमें हैं—पंजाब किंग्स और लखनऊ सुपर जाएंट्स। पंजाब की वैल्यू 6.8 करोड़ डॉलर है, जबकि लखनऊ टीम की 6 करोड़ डॉलर। मैदान पर लगातार अच्छा प्रदर्शन न कर पाना और सीमित फैनबेस इस स्थिति की बड़ी वजह हैं।
आइपीएल ब्रांड ग्रोथ के पीछे की बड़ी ताकतें
डिजिटल इनोवेशन: ओटीटी प्लेटफॉर्म, खासकर जियो सिनेमा जैसे ब्रॉडकास्ट पार्टनर ने लीग की पहुंच घर-घर तक पहुंचाई है। डिजिटल इंटरैक्शन और फैंस के लिए बनाए गए कंटेंट ब्रांड वैल्यू बढ़ाने का बड़ा जरिया बन चुके हैं।
वैश्विक दर्शक: अब आइपीएल केवल भारत नहीं, दक्षिण एशिया, खाड़ी देश, ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी पॉपुलर लीग बन चुका है।
एंडोर्समेंट और स्पॉन्सरशिप्स: टीमों के साथ जुड़ने वाले बड़े ब्रांड का भरोसा लगातार बढ़ा है। आइपीएल टीमें अब केवल खेल की यूनिट नहीं, मार्केटिंग पावरहाउस बन चुकी हैं।
खिलाड़ियों की ब्रांडिंग: शुभमन गिल, ऋषभ पंत, हार्दिक पंड्या जैसे खिलाड़ी अब केवल रन नहीं बना रहे, बल्कि इंस्टाग्राम, एड कैंपेन और यूट्यूब वीडियो के जरिये ब्रांडों की पहली पसंद बनते जा रहे हैं।