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‘बी’ यानी बेस्ट स्कूल

यह समय परिवर्तनशील है, और कोविड-19 महामारी के बाद के काल में अनिश्चितताओं ने जिस तरह हमारे सामाजाकि-आर्थिक जीवन को प्रभावित किया है, उससे बी-स्कूल भी अछूते नहीं हैं।
कोरोना के बाद पढ़ाई में भी होगा बदलाव

बदलते समय में छात्रों की मांगें पूरी करने और नियोक्ताओं की जरूरतें पूरी करने के लिए मैनेजमेंट की पढ़ाई में वर्षों से बदलाव होते रहे हैं। नैनो टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, थ्री-डी प्रिंटिंग जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के कारण जरूरतें बदल रही हैं। बिजनेस स्कूल से निकलने के बाद छात्रों का सामना अनिश्चित, जटिल और अस्पष्ट कार्यस्थलों से होता है। इसलिए इन स्कूलों से उम्मीद है कि वे छात्रों को नए तरीके से गढ़ें।

यह समय परिवर्तनशील है, और कोविड-19 महामारी के बाद के काल में अनिश्चितताओं ने जिस तरह हमारे सामाजाकि-आर्थिक जीवन को प्रभावित किया है, उससे बी-स्कूल भी अछूते नहीं हैं। बिजनेस स्कूलों को ऐसे कौशल बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए जिससे जानकारी में लचीलापन आए और समन्वय, विवेचनात्मक सोच, भावनात्मक समझ और जन-प्रबंधन की क्षमता विकसित हो।

इनमें से अनेक कौशल के बारे में क्लासरूम में नहीं सिखाया जा सकता है। यह समय और अभ्यास के साथ ही हासिल होता है। प्रबंधकों को छात्रों में उन हकीकतों को समझने की क्षमता भी विकसित करनी चाहिए, जिनके दायरे में कोई संस्थान काम करता है। राजनीति, अधिकारों का मुद्दा, गठजोड़ और छिपे हुए एजेंडा इस हकीकत का हिस्सा हैं। ज्यादातर कौशल भावनात्मक समझ की अभिव्यक्ति हैं, जो 21वीं सदी के कर्मचारियों की पहचान बनेंगे। अभी तक बी-स्कूल के चयन में प्लेसमेंट सबसे प्रमुख मानदंड होता था। लेकिन जैसे-जैसे अर्थव्यवस्थाएं विकसित हो रही हैं, समाज समृद्ध हो रहा है और ऊंचा वेतन लोगों का एकमात्र लक्ष्य नहीं रह गया है, यह सोच भी बदल रही है। आज के छात्र एक साथ कई क्षेत्रों में काम को लेकर खुले हैं। उद्योग की बदलती जरूरतों को देखते हुए भविष्य लचीले पाठ्यक्रम का है। विश्व अर्थव्यवस्था भी अलग तरह की विशेषज्ञता को महत्व देने के लिए विकसित हो रही है।

महामारी के दौरान अच्छा प्रदर्शन करने वाले संस्थानों को रेखांकित करने के मकसद से हम आउटलुक-आइ-केयर इंडिया एमबीए रैंकिंग्स 2021 प्रस्तुत कर रहे हैं। यह पारदर्शी और नतीजों तथा डाटा पर आधारित रैंकिंग है। इसके लिए तय किए गए मानक दुनियाभर में स्वीकार्य और स्थानीय तौर पर प्रासंगिक हैं।

(कार्तिक इंडियन सेंटर फॉर अकादमिक रैंकिंग्स एंड एक्सीलेंस (आइ-केयर) के वाइस चेयरमैन हैं। सैयद, आइ-केयर के मुख्य विश्लेषक और रैंकिंग्स तैयार करने वाली डाटा एनालिसिस विंग के प्रमुख हैं)

रैंकिंग पद्धति

निरंतर बेहतर पद्धति अपनाए जाने के कारण आउटलुक-आइ-केयर रैंकिंग की हर वर्ग में व्यापक स्वीकार्यता और सम्मान है। इस रैंकिंग में पांच सामान्य लेकिन व्यापक मानदंडों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें संस्थानों के प्रदर्शन का प्रभावी आकलन होता है। इस बार बी-स्कूलों को इन मानकों पर परखा गया हैः-

1.फैकल्टी और छात्र का अनुपात - 20 फीसदी

2.रिसर्च - 20 फीसदी

3.रोजगार के मौके - 40 फीसदी

4.फैकल्टी की योग्यता - 10 फीसदी

5.समावेशिता - 10 फीसदी

पाठकों की जरूरतों के मुताबिक बी-स्कूलों को उनके प्रकार, स्थान और सरकारी तथा निजी आधार पर श्रेणीबद्ध किया गया है।

रैंकिंग

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