छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दो साल का कार्यकाल जल्द ही पूरा करने जा रहे हैं। इस अवधि में विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सरकार के, खासकर कोरोना काल में किए गए कार्यों के संबध में उन्होंने आउटलुक के प्रधान संपादक रुबेन बनर्जी के साथ खास बातचीत में विस्तार से चर्चा की। संपादित अंश:
मुख्यमंत्री के रूप में आपका दो साल का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। इस अवधि में आपकी मुख्य उपलब्धियां क्या रही हैं?
छत्तीसगढ़ में बहुत सारी समस्याएं हैं। एक-एक कर हमने उनके खिलाफ लड़ाई लड़ी और हमें सफलता मिली। जैसे, कुपोषण के खिलाफ लड़ाई, जो हमेशा राज्य को पीछे खींचता रहा है। हमारी कोशिशों से इसी अवधि में 70,000 बच्चे कुपोषण से बाहर आए। इसी प्रकार किसानों के कल्याण के लिए हम लगातार प्रयासरत हैं। किसानों को उपज का दाम हम छत्तीसगढ़ में पूरे देश में सबसे ज्यादा देते हैं। हम धान पर 2,500 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से दे रहे हैं। हमने ऋण माफी भी की है। हम किसानों के लिए राजीव गांधी न्याय योजना लेकर आए, जिसके अंतर्गत चाहे धान, गन्ना, या मक्का के उत्पादक हों, सबको 10,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से दे रहे हैं। उसी प्रकार से देश में तेंदू पत्ता की सर्वाधिक दर 4,000 रुपये हमारे यहां है। केंद्र सरकार की लिस्ट में 17 के आसपास लघु वनोपज हैं, हम 31 लघु वनोपज खरीद रहे हैं, वह भी समर्थन मूल्य पर।
वाटर रिचार्जिंग के मामले में हमारे दो जिलों, सूरजपुर और बिलासपुर को देश में पहला और दूसरा स्थान मिला। देश में 110 ‘एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट’ (आकांक्षी जिले) हैं, जिनमें प्रथम स्थान पर हमारा बीजापुर जिला आया। मनरेगा के अंतर्गत, जब कोरोना के कारण पूरे देश में रोजगार नहीं मिल रहा था, हमने 26 लाख मजदूरों को काम दिया। आज दूसरे लोग गाय के नाम पर राजनीति करते हैं, लेकिन गाय की सही मायने में कहीं सेवा हो रही है तो छत्तीसगढ़ में। हमने 5,036 गौठान बनाए। देश क्या, दुनिया का यह पहला राज्य है जो गोबर दो रुपये प्रति किलो खरीद रहा है। चरवाहों को रोजी नहीं मिलती थी। आज वे गोबर बेचकर 25,000 से 30,000 रुपये महीना कमा रहे हैं।
उपलब्धियां तो हैं, लेकिन ऐसा क्या है जो आप दो साल में नहीं कर पाए?
निश्चित रूप से कुछ योजनाओं को लागू करने में समय लग रहा है, जैसे नाला बनाना। वाटर रिचार्जिंग एक दिन में नहीं होगी। पिछले साल बड़ी मेहनत करके डीपीआर बनाकर हमने 1,300 नाले में वाटर रिचार्जिंग का काम किया। हमारे 30,000 नाले हैं जिनमें आधे तो जंगलों में हैं। छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत जंगल है और हम वहीं नदी, नालों, पहाड़ों से शुरुआत कर रहे हैं। इसमें पांच साल लगेंगे, लेकिन सैटेलाइट की मदद से सब कुछ वैज्ञानिक पद्धति से हो रहा है।
छत्तीसगढ़ में पर्यटन में भी असीम संभावनाएं दिखती हैं ...
पर्यटन की यहां खूब संभावनाएं हैं। जो अछूते क्षेत्र हैं, उन सबको हिंदुस्तान के पर्यटन के मानचित्र पर लाना है। हम पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘श्री राम वन गमन पथ’ पर काम कर रहे हैं। सबसे ज्यादा समय भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान यहीं बिताया था। कौशल्या माता, जिनका यहां मायका है, और लक्ष्मण जी का यहां प्राचीन मंदिर है। हम बुद्ध सर्किट भी बना रहे हैं।
राज्य में नक्सली समस्या की क्या स्थिति है?
नक्सली समस्या है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन, इसे केवल किसी को गोली मार कर समाप्त नहीं कर सकते। जिन नौजवानों की वे भर्ती करते हैं, यदि हम उन्हें रोजगार देते हैं, अगर उन्हें हल पकड़ाते हैं तो वे बंदूक नहीं उठाएंगे। कोरोना काल में केंद्र सरकार ने महुआ का मूल्य 17 रुपये निर्धारित किया तो हमने इस साल तीस रुपये में खरीदा। इतनी दर पहले कभी नहीं मिली। हमने वनाधिकार अधिनियम, चाहे वह व्यक्तिगत रूप से हो या सामुदायिक स्तर पर, को लागू किया। लोगों को लगता है कि यह हमारी सरकार है।
दूसरा है विकास। हमने 13 साल से बंद स्कूलों की फिर शुरुआत की है। बस्तर के लिए अलग से हमने भर्ती प्रक्रिया अपनाई है क्योंकि नक्सली समस्या के कारण वहां के बच्चे पढ़ नहीं पाए। ऐसे में उन्हें रोजगार देना है। हमने एक अलग श्रेणी बनाई है, ताकि स्थानीय लोगों को काम मिले।
आपने कोरोना संकट से कैसे मुकाबला किया?
जब लॉकडाउन हुआ तो छत्तीसगढ़ में सात लाख लोग आए। हमारी इतनी अच्छी व्यवस्था थी कि यहां से सिर्फ 26,000 वापस गए। हमने प्राइवेट सेक्टर को भी अपनी कोशिशों में साथ लिया और घर में क्वारंटीन को बढ़ावा दिया। एक समय था जब हमारे यहां सिर्फ 300 संक्रमण के मामले थे, अब संख्या बढ़ रही है लेकिन अपेक्षाकृत काफी कम है।
क्या आपका चर्चित पोषण अभियान कोरोना के कारण प्रभावित हुआ?
हमारे यहां 40 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करते हैं। ऐसे में हम लोगों ने कोरोना के पहले ही 66 लाख राशन कार्ड को आधार से लिंक कर दिया था। उस समय जो छूट गए थे और जिन्होंने बाद में आवेदन किया और जो बाहर से आये थे, उनका भी राशन कार्ड तत्काल बनाया गया। छत्तीसगढ़ देश में पहला राज्य है जिसने सबसे पहले उन सबको तीन महीने का राशन दिया। इस तरह लोगों को यह चिंता नहीं रही कि उस दौरान भोजन कहां से मिलेगा।
क्या आपकी सरकार भी लोगों को कोरोना वैक्सीन मुफ्त में देगी, जैसा भाजपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान बिहार में वादा किया?
वैक्सीन आये तो पहले। केंद्र सरकार क्या करेगी? कोरोना से लड़ाई तो राज्य सरकार लड़ रही है। शुरू में केंद्र सरकार ने अपनी तरफ से रेड, येलो और ग्रीन जोन घोषित करना शुरू किया। लेकिन स्थिति नियंत्रण से बाहर होती देख राज्यों से कहा गया कि वे स्वयं यह सब करें। भार तो हम पर ही है न? हमने छत्तीसगढ़ में साढ़े चार हजार अतिरिक्त बेड बनाए लेकिन यहां एम्स में बेड का संख्या 500 से 501 नहीं हुई।
क्या केंद्र आपकी कोई मदद नहीं कर रहा है?
महामारी की घोषणा के अलावा उन्होंने क्या किया? जहां तक मुफ्त वैक्सीन देने का सवाल है, अब तो बिहार में उनकी सरकार बन गई है, पहले वहां तो भेज दें! फिर बंगाल में चुनाव आ रहा है, वहां देंगे। फिर उत्तर प्रदेश में चुनाव होगा। फिर बचेगा तो हमारा नंबर 2023 में आएगा।
क्या आपको लगता है कि इस विषय पर राजनीति हो रही है?
यह राजनीति नहीं तो और क्या है? शादी हुई नहीं और बच्चे का नामकरण भी हो गया! वैक्सीन आई नहीं और कहा कि बिहार को देंगे।
आप केंद्र सरकार से 30,000 करोड़ रुपये की मांग करते रहे हैं। इस संबंध में आपको कैसा जवाब मिला है?
हमने तो शुरू से 30,000 करोड़ रुपये की मांग आर्थिक स्थिति सुधारने और कोरोना से लड़ने के लिए की थी, लेकिन कहां कुछ मिला। जो राशि आपदा प्रबंधन के तहत हर साल मिलती है और जो बजट के प्रावधान के अनुसार है, उसके अतिरिक्त कुछ नहीं मिला। और तो और, राज्य के जीएसटी के हिस्से के रूप में जो 4,000 करोड़ रुपये केंद्र से मिलने हैं, वह भी नहीं मिला है। इस वर्ष अप्रैल से नवंबर तक हमें मात्र 350 करोड़ रुपये मिले हैं।
क्या गैर-भाजपा शासित राज्यों के साथ केंद्र का रवैया असहयोगात्मक है?
असहयोग पूरे देश के साथ हो रहा है। पंजाब जैसे उत्पादक राज्य को भी वहां का पैसा नहीं दिया गया है। अर्थव्यवस्था संभल नहीं रही है। जीडीपी को देखें तो प्रथम तिमाही की रिपोर्ट आई है और कर संग्रह घट गया है। जीडीपी का आकार भी घट गया है। वह अलग खतरा है।
क्या आपको लगता है कि गैर-भाजपा शासित राज्यों को अस्थिर करने का प्रयास हो रहा है?
ऐसा कोई गैर-भाजपा शासित राज्य नहीं है जिसकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश नहीं करते हैं। किसी को नहीं छोड़ते। लेकिन हम लड़ रहे हैं।
क्या आपको विश्वास है कि आप अगले तीन साल तक सत्ता में बने रहेंगे?
बिलकुल! क्यों नहीं रहेंगे? अगले तीन साल तक कांग्रेस की ही सरकार रहेगी। जब विधानसभा चुनाव हुए थे तो हमें 90 विधानसभा सीटों में 68 पर जीत मिली। फिर, एक भाजपा विधायक की मृत्यु के कारण हुए उपचुनाव में हमें सफलता मिली। उसके बाद अजित जोगी जी के निधन के बाद उनकी सीट पर भी हमें उपचुनाव में 38,000 मतों से जीत मिली। 70 सीटों के साथ हमें तीन चौथाई से अधिक बहुमत प्राप्त है।
अगले तीन साल के लिए आपके नए लक्ष्य क्या हैं?
वे सारे प्रोग्राम चाहे कुपोषण के खिलाफ लड़ाई हो या किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारनी हो या हर घर पानी पहुंचाने जैसी अन्य योजनाएं हों, हमें ये सभी लागू करनी हैं।
कोई खास लक्ष्य है, जो आप 2022-23 तक पूरा कर लेना चाहते हैं?
हमारा घोषणा-पत्र है। उसको लेकर चल रहे हैं। गौठान योजना जैसी बहुत सारी चीजें हैं। जो चुनौती आ रही है, उसका भी डटकर मुकाबला कर रहे हैं।