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छत्तीसगढ़ : राम भरोसे बघेल

सत्तारूढ़ कांग्रेस और मुख्यमंत्री को राम वन गमन महत्वाकांक्षी योजना के सहारे अगले साल विधानसभा चुनाव की वैतरणी पार कर जाने की उम्मीद
और मातः बघेल ने हिंदुत्व में दी भाजपा को पटखनी

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार ने विधानसभा चुनाव नरम हिंदुत्व की पिच पर खेलने की तैयारी कर ली है। भगवान राम के ननिहाल कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस की सरकार ने राम की स्मृतियों को सहेजना शुरू किया। राम के सहारे सत्ताधारी कांग्रेस ने प्रदेशभर में भूपेश बघेल सरकार की लहर चलाना शुरू कर दिया है। वैसे तो राम का छत्तीसगढ़ से गहरा नाता है। माना जाता है कि राम ने अपने वनवास काल के 14 वर्षों में से लगभग 10 वर्ष से अधिक समय छत्तीसगढ़ में विभिन्न स्थानों पर बिताए थे। जनश्रुति के अनुसार राम वनवास काल में मांड नदी से चंद्रपुर ओर फिर महानदी मार्ग से शिवरीनारायण पहुंचे थे। छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले के भरतपुर तहसील में मवाई नदी से होकर जनकपुर नामक स्थान से लगभग 26 किलोमीटर दूर स्थित सीतामढ़ी-हरचौका नामक स्थान से राम ने छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था।

कहते हैं, त्रेता युग में छत्तीसगढ़ दक्षिण कोसल और दंडकारण्य के रूप में विख्यात था। दंडकारण्य में राम के वनगमन यात्रा की पुष्टि वाल्मीकि रामायण से होती है। कहा जाता है कि राम छत्तीसगढ़ में विभिन्न स्थानों का भ्रमण करने के बाद दक्षिण भारत की ओर गए थे। अत: छत्तीसगढ़ को दक्षिणापथ भी कहा जाता है।

छत्तीसगढ़ में महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के संगम पर बसा शिवरीनारायण धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध है। देश के चार प्रमुख धाम बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथपुरी और रामेश्वरम के बाद इसे पांचवे धाम की संज्ञा दी गई है। यह स्थान भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान है इसलिए छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी के रूप में प्रसिद्ध है। यहां राम का नारायणी रूप गुप्त रूप से विराजमान है इसलिए यह गुप्त तीर्थधाम या गुप्त प्रयागराज के नाम से भी जाना जाता है।

अपने 15 वर्ष के कार्यकाल में भाजपा की पूर्ववर्ती रमन सिंह सरकार ने राम के वनवास काल को लेकर न रुचि दिखाई न कुछ खास कर पाई। सत्ता में काबिज होते ही भूपेश बघेल ने राम वन गमन कॉन्सेप्ट प्लान बना डाला। इस प्लान के तहत राम के छत्तीसगढ़ में वनवास काल में भ्रमण से संबंधित 75 स्थानों को धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया। राम वन गमन मार्ग में आने वाले स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का काम रायपुर जिले के आरंग तहसील के गांव चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर से शुरू हुआ।

वन गमन पथ पर चलता काम

वन गमन पथ पर चलता काम

योजना के तहत सरकार ने प्रथम चरण में 9 स्थल चिन्हित कर वहां श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए सुविधाएं विकसित करने का काम तेज गति से किया। चयनित स्थानों पर आवश्यकता अनुसार पहुंच मार्ग का उन्नयन, संकेत बोर्ड, पर्यटक सुविधा केंद्र, इंटरप्रिटेशन सेंटर, वैदिक विलेज, पगोड़ा वेटिंग शेड, मूलभूत सुविधा, पेयजल व्यवस्था, शौचालय, सिटिंग बेंच, रेस्तरां, वाटर फ्रंट डवलपमेंट, विद्युतीकरण आदि कार्य को अंजाम भी दिया जा रहा है। ‘राम वन गमन पथ’ नाम की इस योजना के लिए 133 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

यह पहला मौका नहीं है जब छत्तीसगढ़ की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस ने भगवान का सहारा लिया हो। जन्माष्टमी के मौके पर छत्तीसगढ़ में कृष्ण कुंज योजना की शुरुआत हुई। योजना के माध्यम से 1.68 हेक्टेयर क्षेत्र में सांस्कृतिक और जीवनोपयोगी 383 वृक्षों का रोपण किया जाना तय हुआ है। योजना के तहत राज्य में नगरीय क्षेत्रों के 162 स्थानों में विकसित कृष्ण-कुंज में बरगद, पीपल, कदंब जैसे आम, इमली, बेर, गंगा इमली, जामुन, गंगा बेर, शहतूत, तेंदू ,चिरौंजी, अनार, कैथा, नीम, गुलर, पलास, अमरूद, सीताफल, बेल, आंवला के वृक्षों का रोपण किया जा रहा है। 

जन्माष्टमी के मौके पर राज्य में कृष्ण कुंज योजना की शुरुआत पर भाजपा पर कटाक्ष करते हुए बघेल ने कहा की राम और कृष्ण सबके हैं और किसी का उन पर कॉपीराइट या पेटेंट नहीं है। “कृष्ण के उपदेशों को कौन नहीं मानता, भाजपा सिर्फ वोट के लिए कृष्ण का नाम लेती है।” कृष्ण के नाम से योजना शुरू करने से तिलमिलाई भाजपा में बघेल के इस बयान से चुप्पी-सी छा गई थी।

विधानसभा चुनाव को लेकर तेज हो रहे हलचल के बीच भूपेश बघेल हिंदुत्व के तमाम रंग में रंगते नजर आ रहे हैं। समय-समय पर बघेल शिव, राम, कृष्ण को लेकर धार्मिक बयान भी देते नजर आते हैं। बीते दिनों उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था, “शिव शिव हैं। पूरे विश्व की भूमि को कहीं से भी खोदेंगे तो शिव निकलेंगे, बाकी मूर्तियां बाद में प्रकट हुईं लेकिन भगवान शिव का वर्चस्व प्राचीन समय से ही रहा है, निर्णय तो बाबा (भगवान शिव) ही देंगे।”

विशेष शैली से अपनी विशेष जगह बनाने वाले बघेल हाल ही में राजधानी रायपुर के दही हांडी मैदान हनुमान मंदिर गुढ़ियारी में पंडित प्रदीप मिश्रा के शिव महापुराण कथा में शामिल हुए। इससे पहले मुख्यमंत्री ने राजनांदगांव जिले के दौरे में डोंगरगांव विधानसभा क्षेत्र के लालबहादुर नगर में पहुंचकर प्राचीन हनुमान मंदिर और साईं मंदिर में पूजा-अर्चना की और प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की।

राज्य में 2023 में विधानसभा चुनाव को लेकर तेज हो रही हलचल के बीच, भाजपा और आरएसएस अलग-अलग आक्रामक शैली और कार्यक्रमों के जरिये सरकार को घेरने में कोई भी मौका छोड़ते नहीं हैं। हाल में झारखंड के रांची से सड़क मार्ग के जरिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जशपुर पहुंचे। अगले दिन मोहन भागवत ने आदिवासी इलाके में हिंदुत्व जागरूकता के कामों से अपनी पहचान बनाने वाले और जशपुर राजपरिवार के प्रमुख दिलीप सिंह जूदेव की प्रतिमा का अनावरण किया।

मोहन भागवत के दौरे और भाजपा के धर्मांतरण और हिंदुत्व का मुद्दा उठाए जाने को लेकर बघेल ने कहा, “भाजपा के पास कोई विषय नहीं है, न किसान का मुद्दा है, न मजदूरों का है, न आदिवासियों का है, न विकास का मुद्दा है, न मानव विकास के मुद्दे हैं, न भौतिक विकास के मुद्दे हैं. एक धर्मांतरण और एक संप्रदायिकता ये दो ही हथियार हैं भाजपा के पास, इसके अलावा और कुछ नहीं है।”

दरअसल भाजपा के कलेजे पर अंगार बिखेरने के उद्देशय से तैयार कि गई राम वन गमन योजना की कमान खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संभाल रखी है, जिनके नाम पर 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ा जाना है।

तमाम रचना, योजना और क्रियान्वन के जरिए विधानसभा चुनाव में हिंदुत्व की पिच पर खेलने की तैयारी कर चुकी सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस को वोटर कितना दिल से लगाते हैं, यही देखने की बात है।

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