Advertisement
4 अगस्त 2025 · AUG 04 , 2025

आवरण कथा/नजरियाः झूठे दावों से खबरदार!

फिल्टर के दौर में सौंदर्य तकनीक की जवाबदेही और जिम्मेदारी तय हो, गफलत के खतरे बड़े
फिल्टर ने बिगाड़े मानक

आज के दौर में फिल्टर और फोटो एडिटिंग ऐप आदत में शुमार होते जा रहे हैं, इसलिए असलियत और डिजिटल सुंदरता के बीच की रेखा लगातार धुंधली होती जा रही है। सोशल मीडिया पर एक नजर डालते ही आपको बिना रोम-छिद्र वाली चिकनी चमकदार त्वचा, तराशी हुई जॉ-लाइन नजर आएगी। ये सब प्राकृतिक नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी से गढ़ी गई परछाइयां हैं। ऐसे समय में एस्थेटिक टेक्नोलॉजी न केवल आत्मविश्वास बढ़ाने का जरिया बन रही है, बल्कि इसके साथ जिम्मेदारी, पारदर्शिता और नैतिकता की भी बड़ी भूमिका जुड़ी हुई है।

अब सुंदर दिखने का दबाव सिर्फ सेलिब्रिटी या मॉडलों तक सीमित नहीं रहा। आम लोग भी खुद की तुलना इन डिजिटल खूबसूरती से करने लगे हैं। एस्थेटिक ट्रीटमेंट जो पहले विलासिता माने जाते थे, अब ज्यादा सुलभ हो गए हैं और अगर सही तरीके से किए जाएं, तो बेहद नेचुरल और सॉफ्ट रिजल्ट देते हैं। त्वचा को फिर से जीवंत बनाने, उम्र के असर को धीमा करने और चेहरे के संतुलन को बेहतर करने के लिए आज कई तरह की नॉन-इन्‍वेसिव (बिना सर्जरी) तकनीकें उपलब्ध हैं। मसलन, स्किन बूस्टर, रेडियोफ्रीक्वेंसी आधारित थेरेपी और कॉलेजन स्टिमूलेटर वगैरह। प्रोफाइलो ट्रीटमेंट, हायल्यूरोनिक एसिड के माध्यम से त्वचा को गहराई से हाइड्रेट करता है और उसे फिर से तरोताजा कर देता है।

हालांकि, चर्चा केवल परिणामों की नहीं होनी चाहिए, बल्कि जिम्मेदारी की भी होनी चाहिए। अपनी छवि के प्रति ज्यादा चौकस लोगों के लिए इस बाजार में नैतिक मानदंड और जवाबदेही सबसे जरूरी है। यह सही परामर्श से शुरू होता है। किसी व्यक्ति की फिक्र, उसकी ख्वाहिश और उम्मीदों को समझना किसी ट्रेंडिंग प्रक्रिया को बेचने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। भरोसेमंद डॉक्टर या विशेषज्ञ कभी परफेक्शन का वादा नहीं करते, वे केवल सुंदरता में सुधार की बात करते हैं, कायाकल्प की नहीं।

चिंता की बात यह है कि अनधिकृत क्लिनिक और अप्रमाणित ट्रेनिंग वाले लोग सस्ते ट्रीटमेंट देने लगे हैं। इससे न सिर्फ मामला जटिल होता है, बल्कि यह अवास्तविक अपेक्षाओं को भी बढ़ावा देता है। नैतिक व्यवहार का अर्थ है कि जब कोई ट्रीटमेंट अनावश्यक, असुरक्षित या केवल ट्रेंड की वजह से लिया जा रहा हो तो उसके लिए मना किया जाना चाहिए। हर एस्थेटिक समाधान, चाहे वह मिनिमल इन्‍वेसिव हो या नॉन-इन्‍वेसिव, उसमें मरीज की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। इसमें एफडीए या यूरोपीय मान्यता प्राप्त तकनीकों का प्रयोग, स्टरलाइज्ड स्थितियां और केवल प्रशिक्षित और प्रमाणित पेशेवरों द्वारा ट्रीटमेंट शामिल हैं। तकनीक भले तेजी से आगे बढ़ रही हो, लेकिन सुरक्षा और गुणवत्ता के मानकों में कोई समझौता नहीं होना चाहिए।

मरीजों को भी पूरी जानकारी दी जानी चाहिए। यानी कौन-कौन सी सामग्री उपयोग हो रही है, क्या संभावित नतीजे होंगे, क्या साइड इफेक्ट हो सकते हैं और बाद में देखभाल कैसे करनी है। सौंदर्य की इस यात्रा में शिक्षा की भूमिका बेहद अहम है। यह मिथकों को तोड़ने और सही जानकारी देने में मदद करती है। जिम्मेदार रवैया यह है कि लोगों को वास्तविक समयरेखा के बारे में बताया जाए और यह समझाया जाए कि त्वचा की सेहत कोई एक बार की प्रक्रिया नहीं, बल्कि लंबे वक्त की है।

आज 20-30 वर्ष की उम्र में लोग प्रिवेंटिव एस्थेटिक्स की ओर झुकाव दिखा रहे हैं, जिसमें वे समय से पहले कॉलेजन को सक्रिय करने, टेक्सचर सुधारने और त्वचा की सेहत बनाए रखने के लिए इलाज कराते हैं। जब यह प्रक्रिया जानकारी के साथ की जाती है, तो सही तरीका अपनाया जा सकता है, ताकि जरूरत से ज्यादा फेरबदल न हो। एस्थेटिक मेडिसिन का भविष्य केवल नियम-कायदों में नहीं, बल्कि इंडस्ट्री की नैतिक जवाबदेही से भी जुड़ा है।

पारदर्शी मूल्य निर्धारण, सही तरीके से पहले और बाद में आने वाले परिणाम, इलाज या किसी प्रक्रिया को किए जाने के स्पष्ट नियम और लगातार डॉक्टरों की ट्रेनिंग, जैसी बातों से लोगों का विश्वास मजबूत होता है। जैसे-जैसे यह क्षेत्र बढ़ रहा है, क्लीनिक और प्रोफेशनल लोगों के नैतिक मानदंड भी उतने ही जरूरी हो गए है। सबसे जरूरी यह है कि सुंदरता को अब किसी एकरूप की तरह नहीं, बल्कि विविध रूपों की तरह देखा जाना चाहिए। तकनीक का उद्देश्य लोगों को सहज बनाने में होना चाहिए, न कि उनमें अपने ऊपर संदेह को बढ़ावा देना।

एस्थेटिक टेक्नोलॉजी का असली काम फिल्टर की नकल करना नहीं, बल्कि सुरक्षित, बाकायदा सही तरीके का और मरीज की जरूरत के हिसाब से समाधान देना है, जो व्यक्ति की प्राकृतिक खूबसूरती के साथ मेल खाता हो। ऐसी दुनिया में जो परफेक्शन के पीछे भाग रही है, असल ताकत प्रामाणिकता में है और यह जिम्मेदारी से शुरू होती है। जब मरीजों का मार्गदर्शन संवेदनशीलता से हो, जब विशेषज्ञ नैतिकता को अपनाएं और इंडस्ट्री ईमानदारी पर टिकी रहे, तब यह तकनीक केवल सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि भलाई के लिए ताकत बन सकती है।

(महाप्रबंधक-हेड ऑफ इंडियन ऑपरेशन, अल्मा लेजर्स (अल्‍मा मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड)

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement