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पूर्वोत्तर में कांग्रेस साफ

10 साल बाद सत्ता में एमएनएफ की वापसी, कांग्रेस को झटका
अरसे बाद वापसीः मिजोरम नेशनल फ्रंट के मुखिया जोरमथंगा

मिजोरम में दस साल तक सत्ता संभालने वाली कांग्रेस को जनता ने इस बार पूरी तरह नकार दिया है। 2008 से सत्ता से बाहर रहे मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने 26 सीटों के साथ जोरदार वापसी की है। यह पहला ऐसा चुनाव था जिसमें भारतीय जनता पार्टी का खाता खुला है। जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने भी आठ सीटें जीती हैं। इसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लल्दुहोमा दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। पिछले कुछ साल से राज्य में सत्ता विरोधी भावना बढ़ रही थी लेकिन अजीब बात यह है कि राज्य में कांग्रेस नेतृत्व ने इस पर ध्यान नहीं दिया। 2013 के चुनाव में मिजोरम के मतदाताओं ने कांग्रेस को 40 में से 34 सीटों के रूप में ठोस बहुमत दिया था। चुनाव में एमएनएफ को 37.68 और कांग्रेस को 30.20 फीसदी वोट मिले हैं। मिजोरम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एमपीसीसी) को कमजोर करने में सबसे बड़ा फैक्टर पार्टी में गुटों की आपसी लड़ाई थी, जो राज्य में चुनाव घोषित होने से ठीक पहले शुरू हुई। जब राज्य के गृह मंत्री आर ललजिर्लियाना ने कांग्रेस से नाता तोड़ एमएनएफ का हाथ थाम ‌लिया। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री लालिनलिआना सैलो भी एमएनएफ में चले गए। राज्य में विकास के मामलों में भी कोई वास्तविक प्रगति नहीं हुई। राजधानी आइजोल के साथ शेष मिजोरम को जोड़ने वाली सड़कें बहुत खराब हालत में हैं। खराब सड़कों की वजह से पैदा हुई कठिनाइयों ने भी कांग्रेस के खिलाफ नाराजगी बढ़ा दी क्योंकि मतदाताओं ने पिछले चुनाव में कांग्रेस को बड़ी उम्मीदों के साथ अपना वोट दिया था।

कांग्रेस का मिजोरम में शराब से प्रतिबंध हटाने का फैसला भी पार्टी के लिए मुसीबत बना। राज्य में देश में निर्मित विदेशी शराब (आइएमएफएल) की बिक्री के लिए 2015 में मिजोरम लिकर प्रोहिबिशन ऐंड कंट्रोल एक्ट (एमएलपीसी) लागू कर दिया। इस फैसले को लेकर सरकार का भारी विरोध हुआ। एमएनएफ के सत्ता में आने के बाद उम्मीद है कि कम से कम ग्रामीण लोगों की छोटी आकांक्षाएं पूरी होंगी और उन्हें बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

कांग्रेस की हार के पीछे जेडपीएम के वोटों की हिस्सेदारी भी महत्वपूर्ण है, जिसने 2008 और 2013 के चुनावों में अप्रतिबद्ध मतदाताओं को आकर्षित किया। अब यह देखना भी दिलचस्प होगा कि विपक्ष पिछली विधानसभा के मुकाबले इस बार कितनी सशक्त भूमिका निभा पाता है।

(लेलियनचुंगा लोकनीति के मिजोरम में स्टेट कोऑर्डिनेटर और एज्रेला दलिदिया फनई लोकनीति के मिजोरम में सुपरवाइजर हैं )

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